बातें गुजरे जमाने की : ना फिल्मी परिवार ना फिल्मों से दूर-दूर का रिश्ता , फिर भी बॉलीवुड में नामचीन स्टार बन गई फरीदा दादी
ये अपने दौर की बहुत मशहूर बाल कलाकार थी। मगर फिर डॉक्टर बनने का जुनून इन पर कुछ इस कदर सवार हुआ कि इन्होंने बॉबी और उपहार जैसी दो बड़ी फिल्मों में मुख्य हीरोइन का रोल तक ठुकरा दिया। पुराने लोग इन्हें बेबी फरीदा के नाम से जानते होंगे। आज के ज़माने में ये फरीदा दादी के नाम से मशहूर हैं। टीवी शोज़ में दादी-नानी के किरदार जो निभाती हैं। आमिर खान की फिल्म थ्री इडियट में फरहान कुरैशी की मां के रोल में ये ही नज़र आई थी।
किसी भी नाम से ही सही, लेकिन सिनेमा के शौकीन इन्हें पहचानते ज़रूर हैं। आज फरीदा जी का जन्मदिन है। 8 जून 1952 को फरीदा जी का जन्म मुंबई में हुआ था। यूं तो इनके माता-पिता भी मुंबई में ही जन्मे थे। लेकिन उनके परिवार के लोग बरसों पहले यूपी से मुंबई जाकर बस गए थे। फरीदा जी की मां का परिवार यूपी के लखनऊ से और इनके पिता का परिवार प्रयागराज(इलाहाबाद) से मुंबई आया था।
छह भाई बहनों में फरीदा जी तीसरे नंबर पर थी। फिल्मी दुनिया से इनका दूर-दूर तक कोई कनेक्शन नहीं था। ना ही इनके परिवार में किसी ने सोचा था कि ये कभी फिल्मों में काम करेंगी। पर कहते हैं ना कि इंसान इस दुनिया में अपनी किस्मत पहले ही लिखा कर लाता है। तो फरीदा जी की किस्मत इन्हें फिल्मी दुनिया में खींच ही लाई। दरअसल, फरीदा अपने भाईयों-बहनों व अन्य बच्चों के साथ अंधेरी वेस्ट में मौजूद लल्लूभाई पार्क में खेलने जाया करती थी। लल्लूभाई पार्क के पास ही उस दौर के बहुत मशहूर अभिनेता प्रेम अदीब रहा करते थे। प्रेम अदीब ने एक दिन फरीदा को देखा। उन्हें लगा कि ये बच्ची बहुत अच्छी चाइल्ड एक्टर हो सकती है। उन्होंने किसी तरह फरीदा जी के घर का पता निकाला और इनकी मां से बात की।
प्रेम अदीब जी ने फरीदा जी की मां को बताया कि फिल्मालय स्टूडियो को बाल कलाकारों की ज़रूरत है। उन्होंने फरीदा जी की मां को सलाह दी कि आप फरीदा को लेकर फिल्मालय जाईए। प्रेम अदीब के कहने पर फरीदा की मां इन्हें लेकर फिल्मालय पहुंच गई। वहां उनकी मुलाकात फिल्मालय के मालिक शशधर मुखर्जी से हुई। और पहली ही मुलाकात में शशधर मुखर्जी नन्ही फरीदा से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अगले दिन इन्हें शूटिंग पर आने के लिए कह दिया। ये वो दौर था जब शशधर मुखर्जी ने फिल्मालय स्टूडियो की शुरुआत ही की थी। जो पहली फिल्म फिल्मालय के बैनर तले शशधर मुखर्जी बना रहे थे उसका नाम था चैरिटी मास्टर। और उसमें दिलीप कुमार व शांता आप्टे हीरो-हीरोइन थे। फरीदा को शांता आप्टे की बेटी का किरदार निभाना था।
किन्हीं वजहों से ‘चैरिटी मास्टर’ नाम की वो फिल्म पूरी नहीं हो सकी। उसी दौरान किसी ने फरीदा जी को गुरूदत्त साहब से मिलाया। गुरूदत्त अपनी फिल्म ‘कागज़ के फूल’ के एक गीत के लिए कुछ बच्चों को तलाश रहे थे। उसी गीत में फरीदा जी को पहली बार कैमरा फेस करने का मौका मिला था। हालांकि गुरूदत्त जब पहली दफा फरीदा जी से मिले थे तो उन्होंने फरीदा जी को ये कहकर रिजेक्ट कर दिया था कि ये बच्ची गरीब नहीं दिखती है। मगर बाद में उन्होंने फरीदा जी को मौका देने की हामी भर दी। ‘कागज़ के फूल’ के जिस गीत में फरीदा जी नज़र आई थी उसके बोल थे ‘एक दो तीन और पांच… उनमें थे झगड़े सौ।’
‘कागज़ के फूल’ के उस गीत में फरीदा के साथ उस दौर की एक और बहुत विख्यात बाल कलाकार बेबी नाज़ ने भी काम किया था। बेबी नाज़ से उस गीत की शूटिंग के दौरान फरीदा की अच्छी दोस्ती हो गई। नाज़ के पिता से भी इनकी बढ़िया जान-पहचान हो गई। नाज़ के पिता ने ही फरीदा को महान बिमल रॉय से मिलाया था। बिमल दा ने बेबी फरीदा को अपनी फिल्म सुजाता में एक अहम किरदार के लिए साइन कर लिया। सुजाता और कागज़ के फूल, दोनों ही फिल्में साल 1959 में रिलीज़ हुई थी। पर चूंकि सुजाता पहले रिलीज़ हो गई थी तो वही फरीदा जी की पहली फिल्म मानी जाती है।
सुजाता सफल रही। सुजाता की सफलता का फायदा बेबी फरीदा को भी मिला। उन्हें ढेर सारी फिल्मों में काम करने का मौका मिला। महबूब खान की सन ऑफ इंडिया, राज कपूर की संगम, एल.वी.प्रसाद की बेटी बेटे, राजश्री प्रोडक्शन्स की दोस्ती, व और भी कई फिल्मों में फरीदा बाल कलाकार के तौर पर दिखी और बेबी फरीदा के नाम से फिल्म इंडस्ट्री में मशहूर हो गई। भारत-चीन युद्ध पर बनी बाल फिल्म ‘दिल्ली की कहानी’ में बेबी फरीदा के काम को खूब सराहा गया। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के हाथों बेबी फरीदा को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। फिल्म ‘बेटे बेटी’ के लिए सोवियत सरकार ने भी बेबी फरीदा को अवॉर्ड दिया। व फिल्म ‘जब जब फूल खिले’ के लिए आंध्र प्रदेश सरकार ने भी बेबी फरीदा को सम्मानित किया।
जैसा कि अधिकतर बाल कलाकार के जीवन में होता है, जब कोई बाल कलाकार बड़ा हो जाता है तो फिर उसे फिल्मों में काम मिलना कम हो जाता है। ऐसा ही कुछ फरीदा जी के साथ बी हुआ। 1969 में आई ‘बड़ी दीदी’ बाल कलाकार के तौर पर फरीदा जी की आखिरी फिल्म साबित हुई। चूंकि उस वक्त इन्हें फिल्में मिलना कम हो गई थी तो इन्होंने खुद ही खुद को पूरी तरह से फिल्मों से दूर कर लिया। और फैसला किया कि अब वो पढ़-लिखकर डॉक्टरी के पेशे में जाएंगी। फरीदा ने अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगा दिया। ये वही दौर था जब राज कपूर ने बॉबी फिल्म में फरीदा को मुख्य हीरोइन का रोल ऑफर किया। राजश्री प्रोडक्शन्स की तरफ से उपहार फिल्म में हीरोइन का रोल निभाने का ऑफर भी फरीदा जी को मिला। लेकिन डॉक्टर बनने की धुन उस वक्त इन पर कुछ इस कदर सवार थी कि इन्होंने वो दोनों ऑफर ठुकरा दिए। हालांकि तमाम प्रयासों के बावजूद इन्हें डॉक्टरी में दाखिला ना मिल सका।
फरीदा जी ही नहीं, इनके दो अन्य भाई-बहन भी फिल्मों में बाल कलाकार के तौर पर काम कर चुके हैं। इनकी बहन बेबी गुड्डी और मास्टर शाहिद को बढ़िया पहचान भी मिली थी। लव इन टोकियो फिल्म में फरीदा जी के भाई मास्टर शाहिद ही बाल कलाकार के तौर पर दिखे थे। वहीं इनकी बहन बेबी गुड्डी ने हरे रामा हरे कृष्णा में काम किया था। और भी कई फिल्मों में मास्टर शाहिद व बेबी गुड्डी ने काम किया था। बेबी गुड्डी उर्फ फौज़िया अब भोपाल में रहती हैं। जबकी मास्टर शाहिद ने चार्टर्ड अकाउंटेंट की पढ़ाई की और वो सऊदी अरब की एक बड़ी कंपनी में नौकरी करने चले गए। शम्मी कपूर की फिल्म ब्रह्मचारी में बेबी फरीदा के साथ मास्टर गुड्डी व मास्टर शाहिद ने भी काम किया था। इनके एक और भाई थे मास्टर जाविद। मास्टर जाविद ने भी चंद फिल्मों में बाल कलाकार के तौर पर काम किया था। आगे चलकर वो इंटीरियर डिज़ाइनर बन गए थे। साल 2006 में उनका निधन हो गया था।
साल 1971 में फरीदा जी की शादी हो गई थी। शादी के बाद इन्होंने खुद को पूरी तरह से पारिवारिक ज़िंदगी में व्यस्त कर लिया था। पर चूंकि दिलीप कुमार व उनकी पत्नी सायरा बानो जी से फरीदा जी के ताल्लुकात बहुत अच्छे थे तो जब सायरा बानो जी ने ‘इस दुनिया के सितारे’ व ‘ज़रा देखो तो इनका कमाल’ नामक टीवी शोज़ बनाए तो उन्होंने फरीदा जी को अपने साथ उन शोज़ में जोड़ लिया। और इस तरह पहली दफा फरीदा जी ने कैमरे के पीछे भी काम किया। फरीदा जी का एक बेटा व एक एक बेटी हैं। जब उन दोनों की शादी इन्होंने करा दी तो इन्होंने फिर से अभिनय करने का फैसला लिया। और साल 2003 में टीवी शो संजीवनी से फरीदा जी ने एक्टिंग की अपनी दूसरी पारी का आगाज़ कर दिया।
इनकी दूसरी पारी की शुरुआत इतनी शानदार रही कि पता ही नहीं चला कि कब ये टीवी की व्यस्ततम अभिनेत्रियों में से एक बन गई। फरीदा जी ने किसे अपना कहें, क्राइम पेट्रोल, साथिया, कभी तो नज़र मिलाओ, यही तो है वो, तंत्र, इच्छाधारी नागिन और ‘बाली उमर को सलाम’ सहित कई दूसरे मशहूर टीवी शोज़ में काम किया। और आज भी कर रही हैं। चंद वेब सीरीज़ में भी फरीदा जी नज़र आ चुकी हैं। जबकी साथ ही साथ वो फिल्मों में भी लगातार काम करती रही हैं। 2022 में आई ब्रह्मास्त्र पार्ट वन में भी फरीदा जी ने काम किया था।
कहना गलत नहीं होगा कि फिल्मों ने फरीदा जी को बहुत कुछ दिया है। और फरीदा जी की किस्मत भी बहुत अच्छी रही है। ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों के दौर से अपना फिल्मी सफर शुरू करने वाली फरीदा जी आज के आधुनिक तकनीकियों वाले युग में भी सिनेमा से जुड़ी हैं। ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। किस्सा टीवी ईश्वर से प्रार्थना करेगा कि फरीदा जी सदा स्वस्थ रहें और ऐसे ही और कई सालों तक अभिनय करती रहें।
माने की : ना फिल्मी परिवार ना फिल्मों से दूर-दूर का रिश्ता , फिर भी बॉलीवुड में नामचीन स्टार बन गई फरीदा दादी
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