पंचकूला में माइंड वेदा ने किया। काव्य गोष्ठी का आयोजन
वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच (अंतर्राष्ट्रीय संस्था) चण्डीगढ़ इकाई की मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन हाल ही में माइंड वेदा स्टूडियो में किया गया जिसमे पी जी आई से सेवानिवृत प्रोफेसर एवं वरिष्ठ साहित्यकारा डॉक्टर चेतना वैष्णवी, ने बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम में भाग लिया | मंच संचालन श्रीमति उषा गर्ग ने तथा अध्यक्षता श्री सुरेश कुकरेजा “तन्हा” ने अपने खूबसूरत अंदाज में की जिसकी सब ने सराहना की । कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्वलित करके की गई और सर्वप्रथम बिफमा की डायरेक्टर श्रीमति कृषिता बिंदुसार ने अपनी मधुर आवाज में सरस्वती/गणेश वन्दना गाकर सारा वातावरण भक्तिमय कर दिया । कविता पाठ से पूर्व, श्रीमति वीना मल्होत्रा पत्नी श्री आर पी मल्होत्रा, जी को, 2 मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई | तत्पश्चात वनकाम के राष्ट्रीय सलाहकार श्री कंवल बिंदुसार जी ने श्री नरेश नाज़ द्वारा स्थापित वनकाम के नियम, लक्ष्य और उससे जुड़ी अन्य संस्थाएं जिन की शाखाएं 42 देशों में हैं के बारे जानकारी दी और बताया की किस तरह कविता के माध्यम से पूरा विश्व एक प्लेटफार्म पर एकत्रित हो रहा है । उन्होंने श्री अटल बिहारी जी की 99वीं जन्मजयंती पर अटल जी की लिखी पंक्तियां उन्हीं के अंदाज में सुनाकर उन्हे याद किया फिर अपनी रचना “एहम का वहम” सुना कर सभी को अपने अंदर झांकने पर मजबूर कर दिया ।
मुख्य अतिथि, डा वैष्णवी ने भी अपनी भावों से भरी हुई एक कविता “मैं जीवित हूं” प्रस्तुत की, चिकित्सा जगत से जुड़ी इस महान हस्ती का हृदय इतना कोमल हो सकता है, यह अपने आप में एक मिसाल है । उन्होंने सभी सहभागियों को कविता की मशाल थामने के लिए बधाई दी और शुभकामनाएं दीं । वनकाम चंडीगढ़ के अध्यक्ष श्री आर पी मल्होत्रा ने अपनी कविता में मानव के जीवन चक्र की तुलना सूर्योदय से सूर्यास्त तक करते हुए, कालचक्र के रचइता को नमन किया और सब को भाव विभोर कर दिया । उपाध्यक्ष श्रीमति उषा गर्ग ने समाज में फैलती नशे की आदत पर अपनी कविता “रलमिल करो उपराला” , बेहतरीन संदेश देते हुए प्रस्तुत की । महासचिव श्री सुरेश कुकरेजा “तन्हा” ने अपनी शानदार गज़ल “ढूंढोगे तो मिल ही जाएगी खुशी तो आस पास रहती है” सुनाकर खूब तालियां बटोरी । सचिव श्री रविंद्र जी, ने अपनी बहुत सुंदर रचना “किसी को बुरा न कहो दोस्तो” पेश कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया ।
कविता पाठ में श्रीमति रेणु अब्बी जी ने अपने विशेष अंदाज में, अपनी गज़ल, “नाम उनके ये जिंदगी कर दी” सुना कर किया । श्री एच सी गेरा जी ने अपनी कविता “तितलियां परिंदे आते क्यों नहीं” द्वारा जीवन मृत्यु के रहस्य को सुंदर तरीके से उजागर किया, श्री सुनील मनोचा जी की कविता “वो पल” ने प्रातकाल की महिमा का गुणगान किया, सोमेश जी ने अपनी दिलकश आवाज में अपनी गज़ल “तोड़ना टूटे हुए दिल का” प्रस्तुत की, श्री ओ पी सिहाग जी ने सेना के जवानों के सम्मान में अपनी वीर रस की कविता “हिंदुस्तान के सिपाही” पेश की, श्रीमति कमलेश गेरा ने अपनी रचना “नारी तू महान है” से नारी शक्ति को आईने में उतार दिया, श्री एच के सक्सेना जी ने “लेटरबॉक्स” के गुणों और इतिहास पर काव्यात्मक शैली में ऐसा प्रकाश डाला कि पत्रों के पढ़ते समय की गुदगुदी का एहसास होने लगा इसी बीच मास्टर मनीष ने अपनी छोटी सी कविता से सभी लोगों को बैसाखी मेला दिखा दिया और बचपन याद करा दिया |
श्री बिंदुसार जी व श्री मल्होत्रा जी ने मुख्य अतिथि का धन्यवाद करते हुए वनकाम की ओर से 3 पुस्तकें भेंट कर उनका सम्मान किया ।
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