आज है मां बगलामुखी जयंती, शत्रु- रोग पर विजय दिलाती हैं मां बगलामुखी, जानें पूजा का मुहूर्त, विधि, महत्व
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मां बगलामुखी की जयंती मनाई जाती है. मां बगलामुखी उन दस महाविद्याओं में से एक हैं, जिन्हें तंत्र से जुड़ी सबसे बड़ी देवी माना गया है. कहा जाता है यह वही दिन है जिस दिन देवी बगलामुखी अवतरित हुई थी. बगलामुखी माता को पितांबरी भी कहा जाता है.
मां बगलामुखी जयंती हर वर्ष वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. कहा जाता है यह वही दिन है जिस दिन देवी बगलामुखी अवतरित हुई थी. सच्ची आस्था और सही विधि से पूजा की जाए तो मां बगलामुखी देवी अपने भक्तों को शत्रुओं से जुड़ी तमाम समस्याओं से दूर रखती हैं. इस बार मां बगलामुखी जयंती 15 मई यानी आज मनाई जा रही है.
10 विद्याओं में से आठवीं महाविद्या मां बगलामुखी को माना जाता है. कहा जाता है यदि सारे ब्रह्मांड की शक्तियां मिल भी जाए तो वह मां बगलामुखी का मुकाबला नहीं कर सकती हैं. इसके अलावा मां बगलामुखी को पीला रंग बेहद ही प्रिय है, जिसके चलते उन्हें पितांबरी भी कहा जाता है.
मां बगलामुखी जयंती शुभ मुहूर्त
मां बगलामुखी जयंती के दिन देवी की पूजा के दो शुभ मुहूर्त हैं. 15 मई को ब्रह्म मुहूर्त का आरंभ प्रात: काल 04:13 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन सुबह 05:01 मिनट पर होगा. वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग का आरंभ 14 मई 2024 को दोपहर 01: 05 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 15 मई को प्रात: काल 05: 49 मिनट पर होगा.इन दोनों ही शुभ मुहूर्त में आप मां बगलामुखी की उपासना कर सकते हैं.
बगलामुखी जयंती पूजन विधि
बगलामुखी जयंती के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद पीले रंग के वस्त्र धारण करें और पूजा प्रारंभ करें. इस दिन की पूजा में मुख पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए. इसके बाद पूजा में जितना हो सके पीले रंग को शामिल करें. जैसे मां का आसन पीले रंग का रखें, मां को वस्त्र पीले रंग के पहनाएं, पूजा में पीले रंग का फूल शामिल करें, फल पीले रंग के शामिल करें इत्यादि. विधिवत रूप से पूजा आदि करने के बाद अपनी यथाशक्ति के अनुसार दान दें. बहुत से लोग इस दिन व्रत भी करते हैं. ऐसे में जिन लोगों को बगलामुखी जयंती के दिन व्रत रखना होता है वो इस दिन रात के समय फलाहार भोजन कर सकते हैं. इसके बाद अगले दिन स्नान आदि करने के बाद पूजा की जाती है और इसके बाद ही आप भोजन ग्रहण कर सकते हैं.
देवी बगलामुखी का स्वरूप
देवी बगलामुखी का सिंहासन रत्नों से जड़ा हुआ है और उसी पर सवार होकर देवी शत्रुओं का नाश करती हैं.
देवी बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं यह स्तम्भन की देवी हैं.
संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं माता शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है.
इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है.
कहा जाता है कि देवी के सच्चे भक्त को तीनों लोक मे अजेय है, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाता है.
क्यों मनाई जाती है बगलामुखी जयंती
मां बागलमुखी मंत्र कुंडलिनी के स्वाधिष्ठान चक्र को जागृति में सहायता करतीं हैं. बगलामुखी जयंती को मां बगलामुखी प्रकटोत्सव के नाम से भी जाना जाता है. इस साल 15 मई 2024 को बगलामुखी जयंती मनाई जाएगी. धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां बगलामुखी की पूजा दस महाविद्या के रूप में भी की जाती है. इसी वजह से देश के कई राज्यों में इन्हें बुद्धि की देवी के नाम से जाना जाता है.
मां बगलामुखी की पूजा खासतौर पर कोर्ट-कचहरी और शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए की जाती है. देवी को बगलामुखी, पीताम्बरा, बगला, वल्गामुखी, वगलामुखी, ब्रह्मास्त्र विद्या आदि नामों से भी जाना जाता है.
देवी बगलामुखी की पूजा के लाभ
शत्रु पर नियंत्रण – हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि जो भक्त देवी बगलामुखी की पूजा करते हैं, वे अपने शत्रुओं पर सम्पूर्ण नियंत्रण पा कर उनसेस छुटकारा पा लेते हैं. देवी व्यक्ति को उसकी भावनाओं और व्यवहार पर नियंत्रण की भावना भी प्रदान करती है अर्थात् क्रोध, मन के आवेग, जीभ और खाने की आदतों पर. आत्म-साक्षात्कार और योग की प्रक्रिया में, इस तरह के नियंत्रण की महत्वपूर्ण आवश्यकता है.
काला जादू से बचाव – यह भी माना जाता है कि देवी की पूजा करने से, खुद को काले जादू और अन्य गैर-घटनाओं से बचा सकते हैं. व्यक्ति दूसरों को सम्मोहित करने के लिए शक्तियों को प्राप्त करने के लिए भी देवता की पूजा करते हैं.
कानूनी लड़ाई – किसी कानूनी समस्या से मुक्त होने के लिए भी देवता की पूजा की जाती है. जो भक्तिपूर्वक देवी की आराधना करता है, वह प्रभुत्व, वर्चस्व और शक्ति से परिपूर्ण हो जाता है. मां बगलामुखी की पूजा करने से भक्त भयंकर रोगों पर विजय प्राप्त करता है. दरिद्रता नाश के लिये माँ बगलामुखी की उपासना की जाती हैं.
मां बगलामुखी का मंत्र जाप
“ऊँ ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय, जिह्ववां कीलय, बुद्धि विनाशय, ह्रीं ॐ स्वाहा”
इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करने से माना जाता है कि मां बगलामुखी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सभी दुख और बाधाओं से मुक्त करती हैं.
बगलामुखी जयंती उपाय
- मां बगलामुखी अपने भक्तों की सदैव रक्षा करती हैं और प्रसन्न होने पर अपना आशीर्वाद बनाए रखती हैं. ऐसे में यदि आप चाहें तो मां बगलामुखी की प्रसन्नता हासिल करने के लिए इस पूजा में ज्यादा से ज्यादा पीले रंग शामिल करें. क्योंकि मां बगलामुखी को यह रंग बेहद ही प्रिय होता है. इसके अलावा इस दिन की पूजा में भी पीले रंग के वस्त्र ही धारण करें.
- इसके अलावा पूजा में भोग शामिल करने का भी अपना अलग महत्व होता है. ऐसा करने से देवी देवता प्रसन्न होते हैं. ऐसे में बगलामुखी जयंती के दिन अपनी इच्छा के अनुसार मां को भोग अवश्य अर्पित करें. पीली वस्तुओं का भोग अर्पित करें. इसके अलावा भोग में यदि पान, पीले रंग की कोई मिठाई, पीले रंग का फल और पांच मेवा शामिल किया जाए तो इससे भी मां बगलामुखी शीघ्र प्रसन्न होती हैं और जीवन में आर्थिक सम्पन्नता का आशीर्वाद बनाए रखती हैं.
- बगलामुखी जयंती के दिन आप मां को चने की दाल अर्पित कर सकते हैं. ऐसा करने से नजर दोष दूर होता है. पूजा करने के बाद इस दाल को किसी ब्राह्मण को दान कर दें.
मां बगलामुखी के प्रसिद्ध साधका
आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य
मो. न:- 9005804317
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