तनाव और सहवास : मानसिक स्वास्थ्य के लिए कितना जरूरी !
आधुनिक जीवनशैली में तनाव एक आम समस्या बन चुकी है। काम का दबाव, पारिवारिक जिम्मेदारियां, सामाजिक अपेक्षाएं और व्यक्तिगत आकांक्षाएं हमें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रभावित करती हैं। तनाव को कम करने के लिए लोग कई तरीके अपनाते हैं, जैसे ध्यान, योग, व्यायाम, संगीत, या अपने शौक को समय देना। लेकिन एक और तरीका जो अक्सर चर्चा में रहता है, वह है सहवास। विशेषज्ञों का मानना है कि सहवास न केवल शारीरिक सुख प्रदान करता है, बल्कि यह मानसिक तनाव को कम करने में भी प्रभावी हो सकता है। हालांकि, इसके लिए दोनों पार्टनर्स की सहमति और संतुलित भागीदारी जरूरी है। इस लेख में, हम तनाव और सहवास के बीच के संबंध को गहराई से समझते हैं और विशेषज्ञों की राय के आधार पर कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं।
सहवास और तनाव क्या है वैज्ञानिक आधार ?
वात्स्यायन के ‘कामसूत्र’ में सहवास को केवल शारीरिक क्रिया नहीं, बल्कि मानसिक सुख का स्रोत बताया गया है। आधुनिक विज्ञान भी इस बात की पुष्टि करता है। जब दोनों पार्टनर आपसी सहमति से सहवास में शामिल होते हैं और क्लाइमैक्स तक पहुंचते हैं, तो मस्तिष्क में सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे हार्मोन स्रावित होते हैं। सेरोटोनिन नींद को बेहतर बनाने और मन को शांत करने में मदद करता है, जबकि डोपामाइन खुशी और संतुष्टि का अनुभव कराता है। सीनियर साइकियाट्रिस्ट और सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. संजय चुघ कहते हैं, “सहवास के दौरान कई सकारात्मक हार्मोन स्रावित होते हैं, जो मूड को बेहतर बनाते हैं और तनाव को कम करते हैं। यह एक तरह की शारीरिक गतिविधि की तरह है, जैसे वॉक या जिम में वर्कआउट करने के बाद हमें जो सुकून मिलता है।”
सहवास: तनाव कम करने का एक उपाय, पर सीमाएं भी
हालांकि सहवास तनाव कम करने में प्रभावी हो सकता है, लेकिन यह हमेशा हर स्थिति में उपयुक्त नहीं होता। कई बार एक पार्टनर तनाव को कम करने के लिए सहवास की ओर आकर्षित होता है, जबकि दूसरा पार्टनर इसके लिए मानसिक या शारीरिक रूप से तैयार नहीं होता। मेंटल हेल्थ काउंसलर पूजा प्रियंवदा कहती हैं, “अगर एक पार्टनर सहवास के लिए तैयार नहीं है, तो इसे जबरदस्ती थोपने से उसका तनाव बढ़ सकता है। इसलिए दोनों पार्टनर्स के बीच खुलकर बातचीत और सामंजस्य जरूरी है।”
इसके अलावा, कुछ लोग तनाव से राहत के लिए पॉर्नोग्राफी या मैस्टरबेशन का सहारा लेते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि संयमित मैस्टरबेशन सामान्य है, लेकिन पॉर्न की लत से बचना जरूरी है, क्योंकि यह मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। डॉ. प्रकाश कोठारी, एक प्रसिद्ध सेक्सोलॉजिस्ट, कहते हैं, “अगर कोई व्यक्ति सहवास या मैस्टरबेशन के माध्यम से तनाव कम करता है और यह आपसी सहमति या व्यक्तिगत पसंद पर आधारित है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन इसे एकमात्र उपाय नहीं बनाना चाहिए।”
50 की उम्र के बाद क्या?
उम्र बढ़ने के साथ-साथ सहवास की आवृत्ति और इच्छा में कमी आना स्वाभाविक है। महिलाओं में मेनोपॉज और पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी के कारण सेक्स की इच्छा कम हो सकती है। डॉ. संजय चुघ बताते हैं, “50 की उम्र के बाद सहवास को तनाव कम करने के एकमात्र उपाय के रूप में नहीं देखना चाहिए। इस उम्र में योग, ध्यान, और शारीरिक गतिविधियां अधिक प्रभावी और स्थायी उपाय हैं।” इसके अलावा, अपने शौक जैसे संगीत, नृत्य, पालतू जानवरों के साथ समय बिताना, या किताबें पढ़ना भी तनाव को कम करने में मददगार हो सकता है।
तनाव के प्रकार और उनके समाधान
तनाव दो प्रकार का हो सकता है: तात्कालिक (शॉर्ट-टर्म) और दीर्घकालिक (लॉन्ग-टर्म)
तात्कालिक तनाव: यह अस्थायी होता है, जैसे परीक्षा का तनाव, यात्रा की चिंता, या किसी छोटी घटना का दबाव। इसे दूर करने के लिए गहरी सांस लेना, 10 मिनट का ध्यान, पसंदीदा संगीत सुनना, या पालतू जानवरों के साथ समय बिताना मददगार हो सकता है। सहवास या मैस्टरबेशन भी तात्कालिक राहत प्रदान कर सकता है, बशर्ते दोनों पार्टनर इसके लिए सहज हों।
दीर्घकालिक तनाव: यह जॉब छूटने, आर्थिक नुकसान, या स्वास्थ्य समस्याओं जैसी गंभीर परिस्थितियों से उत्पन्न होता है। ऐसे में पार्टनर का भावनात्मक समर्थन, दोस्तों और परिवार से बातचीत, और विशेषज्ञों की सलाह लेना महत्वपूर्ण है। लाइफस्टाइल में बदलाव, जैसे नियमित व्यायाम, स्वस्थ आहार, और डॉक्टर की सलाह से दवाएं लेना, दीर्घकालिक तनाव को कम करने में मदद करता है।
सहवास का सही अर्थ: आत्मीयता और विश्वास
सहवास का मतलब केवल शारीरिक सुख या क्लाइमैक्स तक पहुंचना नहीं है। यह दोनों पार्टनर्स के बीच विश्वास, आत्मीयता, और भावनात्मक जुड़ाव को बढ़ाता है। डॉ. कोठारी कहते हैं, “सहवास के दौरान टेस्टोस्टेरोन और अन्य सकारात्मक हार्मोन सक्रिय होते हैं, जो तनाव कम करने में मदद करते हैं। लेकिन यह तभी प्रभावी है, जब दोनों पार्टनर इसमें पूरे मन से शामिल हों।” अगर एक पार्टनर तैयार नहीं है, तो जबरदस्ती करने के बजाय अन्य विकल्पों जैसे योग, व्यायाम, या शौक को अपनाना बेहतर है।
सहवास तनाव कम करने का एक प्रभावी तरीका हो सकता है, लेकिन यह एकमात्र उपाय नहीं है। दोनों पार्टनर्स की सहमति, खुली बातचीत, और भावनात्मक जुड़ाव इसके प्रभाव को बढ़ाते हैं। उम्र बढ़ने के साथ-साथ अन्य विकल्पों जैसे ध्यान, योग, और शारीरिक गतिविधियों को अपनाना अधिक लाभकारी हो सकता है। तनाव से निपटने के लिए अपने शौक, परिवार, और दोस्तों के साथ समय बिताना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। अंत में, यह समझना जरूरी है कि तनाव और सहवास का संबंध संतुलन और समझदारी पर टिका है। सही दृष्टिकोण और आपसी सहमति के साथ, सहवास न केवल तनाव को कम करता है, बल्कि रिश्तों को भी मजबूत बनाता है।
नोट : विशेषज्ञों के विचारों और सलाह के लिए संबंधित सेक्सोलॉजिस्ट या मेंटल हेल्थ काउंसलर से संपर्क करें।
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