लोगों ने बनवाया मेरा मंदिर : ममता कुलकर्णी महामंडलेश्वर बनने के बाद पहली बार अपने इंटरव्यू में बोली
खुद की यात्रा को गौतम बुद्ध से जोड़ा, कहा- ‘मैंने भी अपना महल छोड़ा था’
ममता कुलकर्णी, जो हाल ही में महामंडलेश्वर बनीं, ने अपनी जीवन यात्रा को लेकर एक अहम बयान दिया है। न्यूज 9 के साथ एक इंटरव्यू में ममता ने अपनी जीवन यात्रा को गौतम बुद्ध की यात्रा से तुलना करते हुए कहा कि उन्होंने भी जैसे अपने पिता का महल छोड़कर सत्य की तलाश की थी, ठीक वैसे ही उनकी यात्रा भी कुछ वैसी ही रही है।
ममता ने बताया कि जैसे बुद्ध ने दुनिया और ऐश्वर्य को छोड़कर आत्मज्ञान की ओर रुख किया था, वैसे ही उन्होंने भी बॉलीवुड से दूरी बनाई और अपने जीवन में एक नया अध्याय शुरू किया। हालांकि, ममता की यह तुलना कुछ लोगों को नापसंद आई और उन्होंने सवाल उठाए कि ममता खुद को बुद्ध से कैसे जोड़ सकती हैं। इस पर ममता ने स्पष्ट किया कि जैसे बुद्ध ने अपने जीवन से भौतिक सुख-संसार को त्यागा था, उन्होंने भी फिल्मों और चमक-दमक को छोड़कर एक नया मार्ग चुना।
ममता कुलकर्णी ने अपने फिल्मी करियर के बारे में भी बात की। उन्होंने बताया कि उन्होंने कुल 48 फिल्मों में काम किया, जिनमें कई बड़ी हिट फिल्में शामिल हैं। ममता ने कहा कि उनकी लोकप्रियता इस हद तक बढ़ी कि उनके नाम पर मंदिर बनवाए गए और लोग उनके नाम के टैटू तक बनवाने लगे थे।
हालांकि, ममता ने यह भी स्पष्ट किया कि वह अब बॉलीवुड में लौटने के लिए तैयार नहीं हैं। उनका कहना था कि यदि उन्हें कोई फिल्म ऑफर करता है, तो वह इसे केवल समय की बर्बादी मानेंगी।
एक्ट्रेस ने बताया कि मैंने पहली तमिल फिल्म की जिसने रिकॉर्ड बनाया, लोगों ने मुझे इतना पसंद किया कि वो मेरे नाम का टैटू बनवाने लगे. उन्होंने बताया कि उनकी दूसरी फिल्म तेलुगू में थी, जिसके बाद लोगों में उनका क्रेज इतना ज्यादा बढ़ गया कि लोगों ने उनके नाम का मंदिर भी बनवाया. उन्होंने आगे कहा कि इन फिल्मों के बाद वो बॉलीवुड में आई और उनकी ज्यादातर फिल्मों ने अच्छा परफॉर्म किया.
ममता कुलकर्णी की यात्रा अब एक नई दिशा में है, जहां वह न केवल अपनी आध्यात्मिक यात्रा को आगे बढ़ा रही हैं, बल्कि समाज में भी अपनी अलग पहचान बना चुकी हैं।
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