DLf लैंड डील मामले की जांच ढीली क्यो? IAS अशोक खेमका ने सोशल मीडिया पर पूछा सवाल
हरियाणा के बहुचर्चित DLF लैंड डील विवाद में प्रदेश के चर्चित IAS अशोक खेमका ने फिर से सवाल उठाए हैं। उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल X पर लिखा है कि वाड्रा-DLF सौदे की जांच सुस्त क्यों?
10 साल हुए, और कितनी प्रतीक्षा। ढींगरा आयोग की रिपोर्ट भी ठंडे बस्ते में। पापियों की मौज।
उन्होंने यह भी लिखा है कि शासक की मंशा कमजोर क्यों? प्रधानमंत्री का देश को वर्ष 2014 में दिया गया वचन एक बार ध्यान तो किया जाए।

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इससे पहले खेमका ने 11 महीने पहले भी लगातार दो ट्वीट कर इस लैंड डील को लेकर सवाल उठाए थे। खेमका मार्च 2023 में इस मामले में वित्तीय लेन देन की जांच को लेकर सरकार के द्वारा गठित की गई नई SIT पर भी सवाल खड़े कर चुके हैं।
वह कह चुके हैं कि क्या पुलिस तहकीकात का भी यही हश्र होगा ? जिन्हें कटघरे में खड़ा होना चाहिए था, वह हाकिम बने हुए हैं। उन्होंने न्याय नीति पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि यह कैसी न्याय नीति है।
क्या है DLF लैंड मामला
डीएलएफ लैंड मामला 2008 में कांग्रेस की सरकार भूपेंद्र सिंह हुड्डा के टाइम का है । इस मामले में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा और प्रमुख भारतीय रियल एस्टेट डेवलपर डीएलएफ लिमिटेड के बीच सौदा हुआ था । रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने गुड़गांव के पास 7:50 करोड रुपए में करीब 3:30 एकड़ जमीन खरीदी जिसका 24 घंटे के अंदर ही मलिकान हक राबर्ट वाड्रा को ट्रांसफर कर दिया गया ।
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