कुंभ को तो बख्श दो ! यूट्यूबर्स का नया ट्रेंड : महाकुंभ
कुछ भी ऊलजलूल दिखा दो हो रहा वायरल
हाल ही में कुंभ मेला में एक बाबा की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जो कांटों से घिरे हुए हैं। उनके बारे में अब यूट्यूबर्स की एक टीम भी सक्रिय हो गई है, जो उनका पीछा कर वीडियो बना रही है। इनमें से एक लड़की ने तो बाबा से झगड़ा करके उनका वीडियो भी बनाया। ये घटनाएं इस बात को दर्शाती हैं कि कैसे धार्मिक आयोजनों के दौरान कुछ लोग अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
कुंभ मेले में भारी भीड़ होती है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यही ट्रेंड अन्य धार्मिक स्थलों पर भी देखा जाता है? खासतौर पर हज यात्रा जैसे महत्वपूर्ण और पवित्र यात्रा में क्या कभी ऐसा देखा गया है कि लोग वीडियो बनाकर अपनी धार्मिक भावनाओं का अपमान करें? शायद नहीं। जबकि वहां भी हर समय कुछ ना कुछ दिलचस्प या वीडियो बनाने लायक घटना घटित होती होगी, लेकिन मुसलमानों ने कभी अपनी धार्मिक आस्थाओं को इस प्रकार से सार्वजनिक रूप से नहीं बेचा।
यह स्पष्ट है कि कुछ यूट्यूबर्स ने धार्मिक आयोजनों का व्यापारिक लाभ उठाने के लिए इनको एक शो बना दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या हमें धार्मिक आयोजनों को इस प्रकार की सतही प्रसिद्धि से बचाना नहीं चाहिए? धार्मिक स्थलों पर सम्मान और आस्था की भावना को संरक्षित रखना जरूरी है।
क्या इस तरह की चर्चाओं के लिए महाकुंभ ?
महाकुंभ में इस बार हमारी संस्कृति और धर्म से ज़्यादा चर्चा अलग अलग चीज़ों की है, जो कि कतई सही नहीं हैं। इसकी प्रमुख वजह सोशल मीडिया है, इस महाकुंभ में
मॉडल साध्वी
IITian बाबा
ख़ूबसूरत माला बेचने वाली
चिमटा से पीटने वाले बाबा
जैसे अनेकों लोग चर्चा में रहे हैं मगर इस बीच अनेकों साधु जो सच में तपस्वी हैं उनपर बात नहीं हो पाई,
अब मीडिया को इन सब चीज़ों से हटकर महाकुंभ की असली भव्यता और संस्कृति की झलक पर भी फोकस करना चाहिए।
उत्तर प्रदेश में चल रहे हैं महाकुंभ को लेकर कांग्रेस नेत्री सुप्रिया श्री नेत ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा
कुंभ का महात्म बचपन से ही देखा है
मेरी दादी की पढ़ाई इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से हुई – स्वतंत्रता सेनानी परिवार से थीं – अंग्रेज़ों ने पिता को कई बार जेल भेजा तो जीवन का बहुत लंबा समय उन्होंने इलाहाबाद जो अब प्रयागराज कहलाता है में ही बिताया. कुंभ की कहानियाँ उन्हीं से पहली बार सुनी थीं
कुंभ और अर्धकुंभ के भव्य आयोजनों में – सनातन संस्कृति, साधुओं, नागा बाबाओं, अध्यात्म, और आस्था का अद्भुत रूप भी देखा है
लेकिन इस बार कुंभ में – सोशल मीडिया और मीडिया के ज़माने में धार्मिक परंपराओं और आत्मदर्शन से हटकर सारा फोकस किसी IIT वाले बाबा, किसी नीली आँखों की शिष्या, किसी माला बेचने वाली सुंदरी जैसी चीज़ों पर है – अध्यात्म पर पूरी तरह भोंडी भौतिकता हावी है
कोई बाबा मल खाने और 8 महीने से मंजन ना कहने पर कुछ कहता है तो उसके सामने यूट्यूबर्स की लाइन लग जाती है. लेकिन कुंभ आए साधुओं की तपस्या, उनके ज्ञान, अखाड़ों की विशेषता, धार्मिक दर्शन पर कोई विशेष चर्चा सुनाई नहीं दे रही
यूट्यूब व्यूज़ और TV TRP की होड़ में कुंभ जैसे महापर्व के महात्म को बौना करना ग़लत है – यह होता देख अच्छा नहीं लग रहा ।
कांग्रेस नेत्री सुप्रिया श्री नेत के सोशल मीडिया अकाउंट से
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