भीषण विमान हादसे के बीच उठे सवाल: उड़ान से पहले एयरपोर्ट से रनवे तक कैसे होती है विमान की जांच ? जानिए पूरी प्रक्रिया
रिपोर्ट – ख़बरी प्रसाद न्यूज़ डेस्क
अहमदाबाद
गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में गुरुवार को हुए भयानक विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर दिया है। एयर इंडिया के Boeing 787-8 ड्रीमलाइनर विमान के क्रैश हो जाने से अब तक 250 से ज्यादा लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। विमान में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी सवार थे, जिनकी इस हादसे में मृत्यु हो गई। हादसे में केवल एक यात्री—40 वर्षीय ब्रिटिश नागरिक रमेश विश्वास कुमार—चमत्कारिक रूप से बच पाए।
इस दर्दनाक दुर्घटना के बाद आम जनता के मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब विमान उड़ान भरने से पहले कई चरणों से गुजरता है, तो फिर ऐसी चूक कैसे हो सकती है? आइए समझते हैं कि किसी भी विमान के उड़ान भरने से पहले एयरपोर्ट पर क्या-क्या जांच और प्रक्रियाएं होती हैं।
1. उड़ान से पहले की तैयारी (Pre-Flight Preparation)
- उड़ान योजना (Flight Planning):
हर फ्लाइट से पहले एयरलाइन की ऑपरेशंस टीम फ्लाइट प्लान तैयार करती है, जिसमें मार्ग, मौसम की स्थिति, ईंधन, वैकल्पिक एयरपोर्ट और फ्लाइट ड्यूरेशन जैसी अहम बातें शामिल होती हैं। - मौसम की समीक्षा (Weather Analysis):
पायलट और फ्लाइट डिस्पैचर मौसम की METAR और TAF रिपोर्ट्स की जांच करते हैं, जिससे टेकऑफ, क्रूज़ और लैंडिंग के दौरान मौसम को लेकर तैयारियां की जा सकें। - तकनीकी जांच (Technical Inspection):
विमान के इंजनों, ब्रेक सिस्टम, लैंडिंग गियर, हाइड्रॉलिक और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम्स की मैकेनिकल टीम द्वारा गहन जांच की जाती है। - ईंधन प्रबंधन (Fuel Management):
जरूरी ईंधन की गणना कर उसमें रिजर्व और संभावित डायवर्जन के लिए अतिरिक्त मात्रा जोड़ी जाती है। - वजन और संतुलन (Weight & Balance):
यात्री, लगेज और ईंधन का कुल भार और विमान का संतुलन तय किया जाता है, ताकि उड़ान के दौरान स्थिरता बनी रहे।
2. ग्राउंड हैंडलिंग और यात्री प्रक्रिया (Ground Handling & Passenger Process)
- चेक-इन और बोर्डिंग:
यात्रियों का पहचान सत्यापन, सामान की जांच, और बोर्डिंग प्रक्रिया पूरी की जाती है। - सामान लोडिंग:
यात्रियों का सामान सुरक्षा जांच के बाद एयरक्राफ्ट में लोड किया जाता है। खतरनाक सामग्रियों की विशेष जांच होती है। - ग्राउंड सपोर्ट:
विमान को रनवे पर पुशबैक देने वाले ट्रैक्टर, पॉवर सप्लाई यूनिट, और एयर कंडीशनिंग जैसी सेवाएं सक्रिय होती हैं।
3. क्रू और पायलट द्वारा की जाने वाली तैयारियां
- प्री-फ्लाइट ब्रीफिंग:
पायलट और केबिन क्रू उड़ान संबंधी योजनाओं, संभावित जोखिमों और आपातकालीन प्रक्रियाओं पर चर्चा करते हैं। - बाहरी निरीक्षण:
कप्तान या फर्स्ट ऑफिसर विमान के बाहरी हिस्सों—जैसे विंग्स, टेल, लाइट्स, और अंडरकारेज—की विजुअल जांच करते हैं। - कॉकपिट चेकलिस्ट:
पायलट विमान के सभी कंट्रोल सिस्टम्स, ऑटोमैटिक फ्लाइट सिस्टम्स, रडार और रेडियो संचार की परीक्षण प्रक्रिया पूरी करते हैं।
4. एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) समन्वय
- क्लियरेंस प्राप्त करना:
टेकऑफ से पहले पायलट ATC से टेक्निकल परमिशन लेते हैं, जिसमें पुशबैक, टैक्सी और रनवे क्लीयरेंस शामिल होता है। - टैक्सींग:
विमान को रनवे तक पहुंचाया जाता है, और ATC के निर्देशों के अनुरूप अन्य विमानों से सुरक्षित दूरी बनाए रखी जाती है।
5. रनवे पर अंतिम जांच
- रनवे निरीक्षण:
रनवे की सतह पर किसी भी प्रकार की गंदगी, पानी या कोई वस्तु की उपस्थिति की जांच की जाती है। - अंतिम चेकलिस्ट:
टेकऑफ से ठीक पहले इंजन थ्रस्ट, फ्लैप्स, स्पॉइलर्स, ब्रेक्स और अन्य सिस्टम्स को अंतिम बार परखा जाता है।
6. टेकऑफ
सभी अनुमतियों और जांचों के बाद पायलट विमान को टेकऑफ के लिए तैयार करता है। टेकऑफ के दौरान हर सेकंड क्रू अलर्ट रहता है ताकि कोई भी असामान्यता तुरंत पकड़ी जा सके।
महत्वपूर्ण बात: सुरक्षा सबसे ऊपर
भारत में सभी फ्लाइट संचालन DGCA और अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ICAO के नियमों के तहत किए जाते हैं। उड़ान की हर प्रक्रिया सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए होती है, और किसी भी असामान्यता पर उड़ान रोक दी जाती है।
इस हादसे के बाद DGCA और अन्य नियामक एजेंसियां जाँच में जुट गई हैं। हादसे की असली वजह तकनीकी थी या मानवीय चूक—यह रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।
जवाबदेही और पारदर्शिता की आवश्यकता के इस दौर में, ऐसे हादसे एक बार फिर से विमानन सुरक्षा पर पुनर्विचार करने की मांग खड़ी करते हैं।
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