खरी खरी : रक्तबीजों का संहार करने के लिए जरूरी है कालिका का खड्ग और खप्पर
पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मोदी सत्ता ने पखवाडे़ भर की आलोचना के बाद 6-7 मई की दरम्यानी रात 1 बजकर 10 मिनट पर पाकिस्तानी सीमा में बने आतंकी ठिकानों में से 9 ठिकानों को चिन्हित करते हुए हवाई हमला कर नेस्तनाबूद कर दिया। इसके बाद जैसी कि संभावना थी कि पाकिस्तान की ओर से भी अपनी हैसियत के मुताबिक कार्रवाई की जायेगी और की भी गई। भारत ने उसका माकूल जवाब भी दिया। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी तथा कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने समय – समय पर संयुक्त रूप से प्रेस कांफ्रेंस कर चल रही लड़ाई की बड़े संयमित लहजे में जानकारी दी। 10 मई की शाम को दोनों देशों की ओर से सीज फायर यानी युद्ध विराम का ऐलान कर दिया गया। जिस तरह से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने एक्स (X) पर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम की जानकारी सारी दुनिया को दी उससे साबित हो गया कि अभी भी दुनिया भर में हो या ना हो भारत और पाकिस्तान में तो उसकी चौधराहट नरेन्द्र मोदी और शहबाज शरीफ के प्रधानमंत्रित्व काल में बरकरार है। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्रित्व काल का जिक्र इसलिए कि इसी अमेरिका को भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारत – पाकिस्तान युद्ध के बीच ही यह कहते हुए कि अपनी सीमा में रहो उसको उसकी औकात बता दी थी। अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री रहते दुनिया भर के देशों की आपत्ति के बावजूद पोखरण में परमाणु विस्फोट कर भारत की सत्ता की ताकत का अह्सास कराया था। और किसी ने भी अपनी पूरे राजनीतिक जीवन में कभी भी न तो अपने सीने का नाप बताया था न ही कभी यह कहा था …….. है तो मुमकिन है। उनने तो नामुमकिन को भी अपने कार्यों से मुमकिन करके दिखाया है। पाकिस्तान के साथ चल रही लडाई के बीच दो बार हुई सर्वदलीय बैठक से नदारत रहकर पीएम मोदी ने अपनी…….का ही प्रदर्शन किया है। जब देशवासी पीओके को भारत में विलीन करने का सपना देख रहे थे तभी 10 मई की शाम को सीजफायर की घोषणा कर दी गई वह भी उसी अमेरिका के सामने घुटने टेकते हुए जिस अमेरिका को हर प्रधानमंत्री ने अपनी सीमा में रहने की सीख दी थी ।
चाइना की अदृश्य एंट्री से बदल गया आसमान
प्रेस वार्ता में जब कर्नल सोफिया कुरैशी ने भारत के कश्मीरी आकाश में फ्रांस से खरीदे गए सबसे शक्तिशाली 250 मिलियन डॉलर के राफेल को मार गिराये जाने की जानकारी दी तो उसने कई सवालों को जन्म दे दिया। मैम्फिस बार्बर ने टेलीग्राम अखबार के लिए लिखा कि 8 मई की सुबह जो कुछ घटा वह युद्ध के मैदान में नहीं कूटनीतिक युध्दीय मैदान में घटा। रिपोर्ट के मुताबिक चीनी राजदूत ने रावलपिंडी को तात्कालिक काल की और कुछ ही घंटों में लम्बे समय से बनाई गई रणनीतिक योजना को सक्रिय कर दिया गया। इसके बाद जो हुआ वह सिर्फ एक हवाई संघर्ष भर नहीं था बल्कि उस भ्रम का अंत भी था जो भारत की वायु शक्ति को लेकर बना हुआ था। भारतीय वायु सेना पश्चिमी मोर्चे पर तकरीबन 180 विमानों के साथ बालाकोट जैसी घटना को फिर एक बार अंजाम देने की तैयारी कर रही थी। जिससे पाकिस्तानी रक्षा कवच को तोड़कर एक बार फिर अपने रणनीतिक दबदबे को साबित कर सके। लेकिन अब वो 2019 वाला आकाश नहीं रहा। भारतीय सेना कभी भी 300 किलोमीटर सीमा पार नहीं गई और दुश्मन 300 किलोमीटर से ज्यादा दूर इंतजार कर रहा था। जहां चीनी J-10 C फाइटर जेट बेहद शांत और घातक तथा PL-15 मिसाइलें – Mach 5 रफ्तार 300+ किलोमीटर रेंज का। एरिआई रडार जो हर हथियार को एक जानलेवा नेटवर्क से तोडता है। भारत को सिर्फ पाकिस्तानी पायलट ही नहीं दिखे बल्कि पूरा चीनी वायु युद्ध सिध्दांत दिखाई दिया जो स्कर्दू से पासनी तक फैला हुआ है और राफेल ! उन्हें पता ही नहीं चला कि हमला कहां से हुआ। और 250 मिलियन डॉलर वाला फ्रांसीसी विमान हवा में ही मार गिराया गया तथा एक अन्य राफेल विमान बमुश्किल वापस लौट सका। उसका SPECTRA EW सिस्टम जिसे सबसे उन्नत रक्षक माना जाता है वह चुपचाप नाकाम हो गया। PL-15 मिसाइल रडार के साथ नहीं आई वह AI से गाइडेड खामोशी के साथ आई थी। यह डाॅग फाइट नहीं घात थी। पाकिस्तानी वायुसेना, चीनी टारगेटिंग सैटेलाइट और AWACS की मदद से सेंसर-फ्यूजन किल को अंजाम देने में सफल रही। राफेल टारगेट लाॅक तक नहीं कर पाए। जब मिसाइल लगी तब तक बहुत देर हो चुकी थी। भारत समझ गया कि जब एक राफेल गिर सकता है तो पांच भी गिर सकते हैं। इसीलिए बेड़ा ग्राउण्डेड है और इसीलिए वे सीमा पार 300+ किलोमीटर दूर रहते हैं। भारत के लिए यह एक रणनीतिक शर्मिंदगी है। भारत के गौरवशाली माने जाने वाले हथियार राफेल को पाकिस्तानी जेट से लांच हुए एक चीनी मिसाइल ने मार गिराया। यह केवल एक रणनीतिक विफलता भर नहीं है बल्कि यह एक भू-राजनीतिक संदेश है। ब्लूमबर्ग ने तो यहां तक लिखा कि यह चीनी – पाकिस्तानी संयुक्त युद्ध प्रणाली का लाइव प्रदर्शन था। पश्चिमी विश्लेषक हैरान हैं, फ्रांस के रक्षा सौदों में हडकंप है और चीन चुपचाप मुस्करा रहा है। भारत समझ गया है कि पाकिस्तानी हवाई सीमा में कोई भी घुसपैठ J-10C, PL-15 और पाकिस्तानी संकल्प की बनाई हुई एक जानलेवा जाल में फंस सकता है। सही मायने में भारतीय पायलट विफल नहीं हुआ है वह एक अदृश्य युद्ध क्षेत्र में फंस गया था जो सैटलाइट्स, सेंसर और मशीनों से बना था। भारत का हवाई प्रभुत्व का सपना जिसे 36 राफेल, SPECTRA प्रणाली और फ्रांसीसी इंजीनियरिंग पर आधारित किया गया है कश्मीर के आसमान में टूट गया है। यह डाॅग फाइट नहीं थी, बराबरी की लडाई भी नहीं थी यह तो सिध्दांतों का पतन था। जिसे दुनिया भर के सैन्य रणनीतिकारों ने लाइव देखा। खतरनाक किल चैन। एक बाॅक्स, एक नेटवर्क, एक गुपचुप काम करने वाली किल चैन के साथ यह चीन की चुपचाप एंट्री है जो पश्चिमी विशेषज्ञों के लिए भी अकल्पनीय है। Saab Erieye AWACS चुपचाप गश्त करते हुए J-10C फाइटर पासिव मोड में PL-C मिसाइलें 300+ किलोमीटर रेंज और Mach 5 की रफ्तार राफेल को पता ही नहीं चला कि वो टारगेट हुआ है जब तक कि मिसाइल 50 किलोमीटर दूर नहीं रह गई, उस गति पर भारतीय पायलट के पास 9 सेकंड थे जिसमें न तो वह अपना बचाव कर सकता था न ही कोई प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकता था। Erieye जो देख सकता है वह भारतीय रडार नहीं देख पाता है क्योंकि PL-15 राफेल रेंज से बाहर लांच होता है। इस युद्ध को C4ISR की श्रेष्ठता से तय किया गया है यानी COMMAND, CONTROL, COMMUNICATION, COMPUTERS, INTELLIGENCE, SURVEILLANCE, RECONNAISSANCE. कह सकते हैं कि भारत ने प्लेटफॉर्म में निवेश किया और पाकिस्तान ने किल चैन में। नरेन्द्र मोदी का सिध्दांत है – प्रभुत्व खरीदो। हकीकत बताती है – प्रभुत्व बनाना पड़ता है। कोई SPECTRA प्रणाली उस मिसाइल को नहीं रोक सकती जिसे उसने देखा ही नहीं। कोई EW सिस्टम उस डेटा को नहीं छल सकता जो सैटेलाइट से आ रहा है। कोई फाइटर उस मौत से नहीं भाग सकता जिसे उसने आते नहीं देखा। सच यही है कि आसमान बदल चुका है। यह वायु युद्ध का अंत नहीं है बल्कि यह एक नये युग की शुरुआत है। चुपचाप, अदृश्य और अजेय वायु प्रभुत्व की।
अमेरिका की चौधराहट के आगे दंडवत हो गया नानबाॅयजिकल का छप्पन इंची सीना
भारत और पाकिस्तान के बीच सीज फायर यानी युध्द विराम को लागू हुए तीन घंटे भी नहीं हुए थे कि पाकिस्तानी सेना ने सीज फायर का उल्लंघन करते हुए भारतीय सीमा में गोलीबारी शुरू कर दी। जबकि कहा तो यही गया था कि सीज फायर दोनों देशों की आपसी सहमति से हुआ है। DGMO आपस में चर्चा कर चुके हैं और 12 मई को एकबार फिर से बातचीत करने बैठेंगे। मगर पाकिस्तान ने उसका भी इंतज़ार नहीं किया। बताया गया है कि पाकिस्तानी सैनिकों ने अकेले जम्मू-कश्मीर में 500 से ज्यादा ड्रोन और मिसाइल दागी। इसके अलावा राजस्थान, गुजरात और पंजाब जो सीमावर्ती राज्य हैं यहां पर भी मिसाइलें दागी गईं और ड्रोन से हमला किया गया है। सवाल यह है कि जब युध्द विराम अमेरिका की मध्यस्थता में हुआ और पाकिस्तानी सेना ने 180 मिनट के भीतर ही सीज फायर तोड़ दिया है तो क्या इसे अपना अपमान मानते हुए पाकिस्तान के खिलाफ की जाने वाली भारतीय कार्रवाई में अमेरिका भारत के साथ खड़ा होगा ? भारत ने पहले तो पाकिस्तान द्वारा की गई गोलीबारी को नजरअंदाज किया लेकिन जब गोलीबारी बंद होने के बजाय बढ़ती ही गई तो भारतीय विदेश मंत्रालय और सेना ने रात में ही साझा प्रेस वार्ता आयोजित कर कहा कि पाकिस्तान हाल के घंटों में हुए सीज फायर का उल्लंघन कर रहा है और अब भारतीय सेना जवाबी कार्रवाई कर रही है। सेना को ठोस और सख्त कदम उठाने के निर्देश दे दिए गए हैं। पाकिस्तानी सेना द्वारा युध्द विराम का उल्लंघन करने से यह तो साफ हो गया है कि जहां सीज फायर से पाकिस्तानी पीएम राष्ट्र को संबोधित करते हुए आवाम को शुभकामनाएं दे रहे हैं वहीं पाक सेना प्रमुख का यह कहना ध्यान रखा जाना चाहिए कि भारत और पाकिस्तान एक सरीखे कतई नहीं हैं, दोनों की धारायें अलग – अलग है। जो आतंकवाद कश्मीर में हो रहा है उसके पीछे पाकिस्तान को खड़ा होना होगा क्योंकि वह पाकिस्तान की गले की नब्ज है। मतलब तो यही निकलता है कि पाकिस्तान में सत्ता और सेना के बीच कोई तालमेल नहीं है और सीज फायर का उल्लंघन सोची समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है। अघोषित और अप्रत्यक्ष रूप से ही सही जब चीन की एंट्री वार में हो ही गई है तो क्या कहीं सीज फायर तोड़ने के पीछे पाकिस्तान की पीठ पर चीन का अदृश्य हाथ तो नहीं है ? मतलब भारत और पाकिस्तान दोनों अमेरिका और चाइना द्वारा अपने फायदे के लिए बनाये गये चक्रव्यूह में फंसते जा रहे हैं, लगता तो यही है ! After along night of talks mediated by the United States, I am pleased to announce that India and Pakistan have agreed to a FULL AND IMMEDIATE CEASEFIRE. Congratulation to both countries unusing Common Sense and Great Intelligence. Thank you for your attention to this matter ! ये वो ट्यूट है जो अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सबसे पहले दुनिया को बताकर अपनी चौधराहट पर मुहर लगाई। इसके बाद भारत और पाकिस्तान ने अपने-अपने तौर-तरीके से अपने-अपने नागरिकों को बताया। भारत का कहना है कि भारत और पाकिस्तान के DGMO यानी डायरेक्ट जनरल आफ मिलिट्री आपरेशन की आपस में बात हुई है और 12 मई को एकबार फिर आपस में बैठकर बात करेंगे। भारत ने यह भी कहा कि सीज फायर के बाद यदि पाकिस्तान की सीमा से एक भी आतंकी घटना होती है तो उसे एक्ट आफ वार यानी युद्ध माना जायेगा। भारत और पाकिस्तान के बीच 4 दिन से चल रहे युद्ध के बीच में ऐसा क्या हुआ कि अमेरिकी राष्ट्रपति को युद्ध विराम कराने के लिए दखलअंदाजी देनी पड़ गई। इसके पहले अमरीकी उप राष्ट्रपति जेडी वेंस ने तो यही कहा था कि हम भारत और पाकिस्तान के बीच हो रहे युद्ध के बीच में नहीं पडेंगे। अमरीकी संसद के स्पीकर ने भारत के साथ खड़े होने की बात कही थी। और अमेरिका के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख और भारत के विदेश मंत्री से मिलकर मध्यस्थता करने की हामी भरी थी। अमेरिका ट्रेड वार से गुजर रहा है और उसके सामने सबसे बड़ा व्यापारिक दुश्मन चीन है जिस पर अमेरिका ने 145 फीसदी टेरिफ लगाया हुआ है। स्विटजरलैंड में हुई बैठक में अमेरिका ने 65 फीसदी टेरिफ कम करने यानी 80 फीसदी टेरिफ लगाने का प्रस्ताव चीन के सामने रखा लेकिन चीन ने बिना कोई जबाब दिए बैठक छोड़ दी। चीन को चुनौती देने के लिए अमेरिका को भारतीय कंधे की जरूरत है यानी बंदूक अमेरिका की और कांधा भारत का। अमेरिका हो या चीन, रशिया, ब्रिटेन, फ्रांस, या जर्मनी या फिर और कोई व्यापारिक देश सभी की नजर में भारत दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है। यानी दुनिया के भीतर भारत की जो भी साख है वह केवल बाजारवाद के चलते ही है और व्यापारिक देश को केवल और केवल अपने मुनाफे की चिंता रहती है। डोनाल्ड ट्रम्प को भी केवल और केवल अपने डाॅलर की चिंता है कि दुनिया का कोई भी देश डाॅलर को चुनौती न दे सके। अमेरिका का मानना है कि अगर भारत युद्ध में उलझ गया तो चीन फायदे में रहेगा। वैसे भारत को लेकर जिस रास्ते अमेरिका चल रहा है उसी रास्ते ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन भी चल रहे हैं। सारी विपरीत परिस्थितियों के बीच भी आईएमएफ ने पाकिस्तान को 2.3 बिलियन डॉलर का पैकेज दे दिया है। जिसमें से 1 बिलियन डॉलर हाथों हाथ दे दिया गया और बाकी 1.3 बिलियन डॉलर 28 महीने में दिया जायेगा। जाहिर है नख से सिर तक कर्जे में डूबा हुआ पाकिस्तान आईएमएफ के पैकेज का उपयोग कर्जा पटाने की जगह भारत के खिलाफ साजिश करने के लिए हथियार ही खरीदेगा। वैसे हथियार निर्माता देश अमेरिका, रशिया, चाइना, फ्रांस, जर्मनी की तो पालिसी ही है हथियारों को बेच कर ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने की। और हकीकत यही है कि ये सारे देश भी भारत को बाजार मानकर मुनाफा कमाने की सोच रखते हैं तथा अपनी गोद में बैठाने लालायित रहते हैं।
नग्नता की सीमा पार करता गोदी मीडिया और अंधी-गूंगी-बहरी सरकार
पाकिस्तान के लाख उकसावे और तथाकथित देशी चिंटुओं द्वारा उकसावे के हवन में समिधा डाले जाने के बावजूद देश की एकजुटता लेशमात्र भी खंडित नहीं हो पाई। जिसकी सराहना सरकार द्वारा की गई विदेश सचिव विक्रम मिसरी के साथ कर्नल सोफिया कुरैशी संग विंग कमांडर व्योमिका सिंह की हर प्रेस कांफ्रेंस में सुनाई दी। यानी पिछले 11 सालों से तथाकथित देशी चिंटुओं के आईटी सेल और गोदी मीडिया के चेहरे पर कालिख पोत दी। आईएनएस विक्रांत ने उडाया करांची पोर्ट, पाक के चार फाइटर प्लेन सेना ने गिराये, पाकिस्तान के पांच शहर नक्शे से हुए गायब, भारत के कब्जे में आया POK, डर कर भाग गए शहबाज शरीफ और असीम मुनीर, मैच होने से पहले उडा दिया पाकिस्तान का स्टेडियम, भारत का पलटवार पाकिस्तान के 25 शहर तबाह, इस्लामाबाद और सियालकोट में जबरदस्त हमला, INS विक्रांत ने करांची पोर्ट को तबाह किया, सुबह-सुबह पाकिस्तान के छह शहर पर टूट पड़ी भारतीय सेना, पाकिस्तान के कई शहरों पर कब्जा!, करांची नक्शे से गायब, पाकिस्तान का आर्मी चीफ गिरफ्तार, हो गया तख्तापलट पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद पर कब्जा, भारत का खौफ… बंकर में छिपे शहबाज-हाफिज-मिली लोकेशन!, सुबह-सुबह भारत ने उडा दिए पाकिस्तान के कई शहर इन हेडलाइनों को चलाते हुए गोदी मीडिया के न्यूज एंकर स्क्रीन पर उछलकूद करते हुए देश को उत्तेजित कर रहे थे मगर देश शांत था अंध भक्तों को छोड़कर ! भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी, कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह में से किसी ने भी प्रेस कांफ्रेंस में गोदी मीडिया द्वारा प्रचारित – प्रसारित की जा रही खबरों का संकेत तक नहीं दिया। भारत सरकार का दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है कि उसने गोदी मीडिया के उलूल-जुलूल प्रचारित-प्रसारित खबरों पर न तो बंदिश लगाने की कोशिश की न ही मीडिया चैनलों पर कोई कार्रवाई की। जबकि ये जारी की गई एडवाइजरी की धज्जियां उड़ाते रहे और आज भी वही कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ मोदी सरकार ने सवाल के साथ सच का गला घोंटने के लिए कई एंकरों और यूट्यूब चैनलों को बंद कर दिया।
अश्वनी बडगैया अधिवक्ता
स्वतंत्र पत्रकार
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