खरी खरी : आंकड़ों के बाजीगरी की विज्ञापनी हड्डियां चूस रहा गो. मी. – अखबारों से अग्निकांड की असली खबर गायब
कुंभ के अश्क तले आने वाले यूपी विधानसभा की नैया पार करने के सपने देख रही योगी सरकार के मंसूबों पर पानी फेरती अव्यवस्था और हाल ही में घटित अग्निकांड। जिसमें 50 से ज्यादा टेंट सहित भोजन सामग्री के साथ ही गीताप्रेस गोरखपुर एवं धर्म संघ करपात्री धाम वाराणसी के धार्मिक ग्रंथ, पूजा सामग्री जलकर स्वाहा हो गये हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार आग पर काबू पाने के लिए दमकल गाड़ियों और एनडीआरएफ की टीम को अग्नि स्थल तक पहुंचने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ी। कुंभ में शामिल होने वाले अविश्वसनीय, अतार्किक आंकड़ों की छांव में बैठकर यूपी सरकार द्वारा महीनों पहले से महाकुंभ की तैयारियों, मेले की सुरक्षा इंतजाम के बारे में बड़े – बड़े दावे किए जा रहे थे। मीडिया में करोड़ों रुपये का विज्ञापन देकर योगी सरकार द्वारा खुद को महिमामंडित कराया जा रहा था। मगर एक अग्निकांड ने सारी पोल को खोलकर रख दी । विज्ञापनी अहसान के बोझ तले दबा स्ट्रीम मीडिया योगी सरकार का कर्जा उतारने में जुट गया है, जिसका पता इसी से चलता है कि यूपी से छपने वाले अधिकतर अखबारों में कुंभ अग्निकांड की असली वजह वाली खबरें गायब है। सांप निकल जाने के बाद अब योगी सरकार अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए जांच कमेटी के साथ – साथ नये निर्देश जारी कर रही है। मसलन अग्निशमन उपकरण अनिवार्य, मानकानुसार सिलेंडर का उपयोग, फायर प्रोटेक्शन सिस्टम को आधुनिक बनाकर विशेष दल तैनात करना आदि।
यूट्यूब व्यूज और टीवी टीआरपी की होड़ में कुंभ महापर्व की महत्ता को पलीता लगाया जा रहा है । देखा गया है कि कुंभ में हमेशा आकर्षण का केंद्र हुआ करता था सनातन संस्कृति, साधु, नागा बाबा, आध्यात्म और आस्था का अद्भुत संगम। अखबारों में लेख हुआ करते थे साधुओं की तपस्या, उनके ज्ञान, अखाड़ों की विशेषता, धार्मिक दर्शन आदि । मगर इस महाकुंभ में यूट्यूबर्स, अखबार और टीवी इन सबसे हटकर दिखा रहे हैं आईआईटी वाले बाबा, नीली आंखों वाली शिष्या, माला बेचने वाली सुंदरी। मतलब आध्यात्म पर हावी हो रही है भौंडी भौतिकता। हिन्दुओं के धार्मिक आयोजनों को छोड़कर शायद ही दूसरे धर्मावलम्बियों के धार्मिक आयोजनों में इस तरह के वीडियोज देखने को मिलते हों जहां धार्मिक आयोजन से व्यापारिक लाभ उठाने के लिए आयोजन को शोपीस बनाया जाता हो ।
अश्वनी बडगैया अधिवक्ता
स्वतंत्र पत्रकार
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