कमिश्नर साहब ,एक बार काम न करने वाले और भ्रष्ट कर्मचारियों के घर पर भी बजवा देते ढोल !
नागरिकों के घर ढोल बजवाने का मुद्दा अब पहुंचा राजभवन
ढोल बजवाने पर लोगों ने दी तीखी प्रतिक्रिया
साहब को भ्रष्ट कर्मचारियों के घर ढोल बजवाने में क्या लगता है डर ?
रीतेश माहेश्वरी
चंडीगढ़ नगर निगम में हाल ही में एक नई मुहिम शुरू की है जिसमें सड़क पर कूड़ा फेंकने वाले नागरिकों के घरों के बाहर ढोल बजाया जाएगा और उनसे जुर्माना वसूला जाएगा । इस मुहिम की शुरुआत सोमवार को हुई और सोमवार को मनीमाजरा क्षेत्र में दो नागरिकों घर पर ढोल बजाकर उन्हें शर्मिंदा किया गया और बाद में निगम कर्मचारियों ने सड़क पर फेंका गया कूड़ा उन्हें देखकर फोटो खिंचवाई गई और उनसे जुर्माना वसूला गया । तरीका अच्छा है इसमें कोई दो राय नहीं है की कूड़े को कूड़े की जगह पर ही फेंका जाना चाहिए सड़क पर कूड़ा फेंकने से गंदगी फैलती है और चंडीगढ़ एक साफ सुथरा शहर माना जाता है और साफ सुथरा शहर बनाने की जिम्मेदारी अधिकारियों के साथ-साथ नागरिकों की भी होती है । तभी शहर साफ सुथरा रहेगा और स्वच्छता रैंकिंग में नंबर वन आ सकता है जब नियमों का पालन सख्ती के साथ किया जाएगा ।
पर इस तरह ढोल बजवाने से निगम पर ही कई तरीके के सवाल खड़े हो गए हैं सोशल मीडिया पर चंडीगढ़ के अलावा दूसरे शहरों के आम नागरिकों ने भी सवाल खड़े कर दिए हैं लोगों ने सवाल करते हुए पूछा की कामना करने वाले कर्मचारी या फिर जिन कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते हैं उनके घर भी ढोल बजेगा क्या ?
भ्रष्ट कर्मचारियों के घर कब बजेगा ढोल ?
पर यहां एक सवाल खड़ा होता है कि अभी ज्यादा दिन नहीं बीते हैं दो-तीन महीने पहले नगर निगम के ही एक सफाई कर्मचारी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल किया था जिसमें उसने नगर निगम के ही कुछ कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। उस मामले का क्या हुआ ? क्या निगम कमिश्नर साहब , बताएंगे कि आरोपी भ्रष्टाचारी कर्मचारी कौन सी वाशिंग मशीन में डालकर साफ कर दिए गए । और अगर अब तक नहीं साफ किए गए हैं तो एक बार ढोल उनके घर पर भी बजवा देते । ताकि आम जनता को पता चल जाता कि निगम के यह कर्मचारी हैं जो पैसा लेकर काम कर देते हैं ।
जब नगर निगम का ढोलकी नियम तोड़ने पर आम नागरिकों के घर पर जाकर ढोल बजा सकता है तो वही ढोलकी भ्रष्टाचारी कर्मचारियों के घर पर जाकर ढोल क्यों नहीं बजाता । न्याय का तराजू तभी बराबर माना जाएगा जब आप अपने कर्मचारियों के घर के बाहर पहले ढोल बजवाते फिर आम नागरिकों के घर के बाहर ढोल बजवाया जाता । तब नागरिकों को कोई एतराज नहीं होता ।
साहब को भ्रष्ट कर्मचारियों के घर के बाहर ढोल बजवाने में क्यों लगता है डर ?
सवाल इस बात का हो गया कि क्या निगम कमिश्नर भी दो तरह से न्याय करते हैं । आम नागरिक नियम तोड़े तो उसके घर पर ढोल और अगर कर्मचारी नियम तोड़े तो शाबाशी । क्योंकी वह तो आपके अपने हैं उनके घर के बाहर आप कैसे ढोल बजा सकते हैं अगर आपने उनके घर के बाहर ढोल बजवा दिया तो यह भी हो सकता है कि वह आपका विरोध करने लग जाए या कर्मचारी संगठन आपका विरोध में उतर जाए । सीधा सा तात्पर्य कि कहीं ना कहीं आपके मन में इस बात का डर है कि अगर भ्रष्टाचारी कर्मचारियों की पोल खोली या खुलवाई तो मुसीबत गले पड़ सकती है । इसलिए भ्रष्टाचारी किसी भी कर्मचारी के घर पर ढोल ना बजा है और नहीं बजेगा । ढोल बजेगा तो सिर्फ और सिर्फ आम नागरिक के दरवाजे पर जाकर ।
निसंदेह स्वच्छता रैंकिंग सुधारने के लिए निगम का यह तरीका अच्छा हो सकता है पर कमिश्नर साहब यह कैसे भूल गए की निगम पर गाहे बगाहे भ्रष्टाचार के भी आरोप लगाते हैं । कोई ऐसा तरीका वहां के लिए भी निकालिए साहब जी , कि अगर भविष्य में ( पिछले भ्रष्टाचार को अगर छोड़ भी दिया जाए तो ) अगर कोई कर्मचारी भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़ा जाएगा तो उसके घर भी ढोल बजाया जाएगा ।
आम नागरिक के घर पर सार्वजनिक तौर पर ढोल बजाने पर लोगों की प्रतिक्रिया भी सामने आई है
सफाई व्यवस्था पर कांग्रेस नेता का सवाल—“जनता किसके घर ढोल बजवाए?”
मनीमाजरा के कांग्रेस नेता रमेश गोयल ने चंडीगढ़ प्रशासन के सफाई अभियान पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि शहर में गंदगी बढ़ने के लिए आम नागरिकों से ज्यादा ज़िम्मेदार खुद सरकारी विभागों की लापरवाही है। गोयल ने आरोप लगाया कि वन विभाग पेड़ों की कटिंग के दौरान मोटी टहनियां तो उठा लेता है, लेकिन पतली शाखाएं और पत्ते वहीं छोड़ देता है, जिससे सड़कों पर गंदगी फैलती है। इसी तरह, बिल्डिंग और रोड विभाग मरम्मत के बाद तैयार हुआ मलबा और मिट्टी कई दिनों तक नहीं उठाता, जिससे जगह-जगह कचरे के ढेर बन जाते हैं। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा कि अगर गलती करने वालों के घर के बाहर ढोल बजाना ही निगम की नीति है, तो सबसे पहले उन सुपरवाइजरों और जूनियर इंजीनियरों के घर ढोल बजाए जाने चाहिए जो अपने कार्यों में लापरवाही बरत रहे हैं। गोयल का कहना है कि कई इलाकों में कचरा गाड़ियां समय पर नहीं आतीं और सफाई कर्मचारी गली का कचरा उठाने की बजाय छोड़ जाते हैं। ऐसे में जब गंदगी बढ़ती है, तो जनता किसे दोष दे और ढोल किसके घर बजवाए?

भाजपा नेता रामेश्वर गिरी ने भी सार्वजनिक तौर पर ढोल बजाने पर उठाए सवाल , उन्होंने सोशल मीडिया पर मनीमाजरा के कुछ फोटो भी शेयर कर दिए और फोटो शेयर करने के बाद पूछा
मनी माजरा में ऐसी काफी जगह है जहां पर सफाई कर्मचारी खुद कूड़ा डाल जाते हैं उनके घर पर कौन ढोल बजाएगा , या फिर कब बजाया जाएगा ?


खबरी प्रशाद ने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उठाया मामला तो राज भवन पहुंच संदेश , ढोल बजाने वालों पर कार्रवाई की मांग
चंडीगढ़ नगर निगम द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा फेंकने वालों के घरों के बाहर ढोल बजाकर उन्हें शर्मसार करने की कार्रवाई अब विवादों में घिर गई है। इस मुद्दे को चंडीगढ़ सोशल ग्रुप ने औपचारिक शिकायत के साथ गवर्नर गुलाब चंद कटारिया तक पहुंचाया है।
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि नगर निगम अधिकारी “कानून से ऊपर” होकर काम कर रहे हैं और किसी भी गलती पर इस तरह सार्वजनिक अपमान करना न तो कानूनी है और न ही उचित। ग्रुप के सदस्यों राज चड्ढा और राहुल महाजन ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को इस तरह घर के बाहर भीड़ के बीच अपमानित करने का अधिकार किसी विभाग को नहीं दिया गया है। शिकायत में जिम्मेदार कर्मचारियों और अधिकारियों को तत्काल निलंबित करने की मांग की गई है।
ग्रुप ने यह भी कहा कि यदि ऐसी कार्रवाइयां रोकी नहीं गईं तो भविष्य में प्रशासन की छवि और जनता का विश्वास दोनों प्रभावित होंगे। साथ ही, मांग की गई है कि संबंधित अधिकारियों से सार्वजनिक रूप से लिखित माफी मांगी जाए, ठीक वैसे ही जैसे लोगों को मीडिया में उजागर कर अपमानित किया गया।
शिकायतकर्ताओं ने गवर्नर से अपेक्षा जताई है कि वह मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत हस्तक्षेप करें और शहरवासियों को न्याय दिलाएं।




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