कालका मे एक के साथ एक फ्री जुमले की निकली हवा
कालका विधानसभा चुनाव में एक के साथ एक फ्री जुमला भी नहीं आ रहा काम
जनता के बीच कार्तिकेय शर्मा कहते घूम रहे विधायक चुनोगे , सांसद फ्री मिलेगा
कालका में भाजपा उम्मीदवार का चुनावी प्रबंधन सवालों के घेरे में, कांग्रेस को मिल रहा बढ़त का फायदा
खबरी प्रशाद कालका
हरियाणा की कालका विधानसभा में इस बार चुनावी मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच दिलचस्प होता जा रहा है। भाजपा की उम्मीदवार शक्ति रानी शर्मा, जो राज्यसभा सांसद कार्तिकेय शर्मा की माता हैं, जिनके प्रचार के लिए खुद कार्तिकेय शर्मा जनता के बीच जाकर हाथ जोड़कर कह रहे हैं कि विधायक ऐसा चुनो की सांसद फ्री मिल जाए । उनके कहने का मतलब यह होता है कि आप उनकी माता जी को चुनाव में जितवा दें ताकि विधायक के साथ-साथ सांसद जी भी आपकी सेवा में हाजिर हो । पर लगता है शायद जनता इसबार चुनावी जुमलो में आ नहीं रही है । इसके साथ ही शक्ति रानी शर्मा का चुनावी प्रचार और प्रबंधन भी सवालों के घेरे में है । दूसरी ओर, कांग्रेस के मौजूदा विधायक प्रदीप चौधरी अपनी मजबूत टीम और सटीक रणनीति के चलते बढ़त बनाते नजर आ रहे हैं।
कमजोर मीडिया प्रबंधन बन रही समस्या
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा उम्मीदवार का मीडिया प्रचार तंत्र बेहद कमजोर साबित हो रहा है। चुनावी सूचनाएं और गतिविधियां सभी पत्रकारों तक पहुंचने के बजाय चुनिंदा मीडिया प्रतिनिधियों तक ही सीमित रह गई हैं, जिससे पार्टी की छवि को नुकसान पहुंच रहा है। ऐसे हालात में जनता तक सही जानकारी नहीं पहुंचने से उम्मीदवार की लोकप्रियता पर असर पड़ सकता है।
एक के साथ एक फ्री योजना पर भी ग्रहण
हमने अपने सबने बड़े-बड़े दुकानों के बाहर बोर्ड लगे देखा होगा कि एक खरीदो एक फ्री पाओ कुछ ऐसी ही योजना कालका विधानसभा में भाजपा उम्मीदवार की तरफ से भी चलाई जा रही है । भाजपा उम्मीदवार के बेटे शक्ति रानी शर्मा आम जनता के बीच डोर टू डोर प्रचार करने जब जा रहे हैं तो नागरिकों से सिर्फ यही कहते हैं कि आप विधायक चुनेंगे तो सांसद फ्री पाएंगे । मतलब यह चुनाव न होकर भाजपा का सेल्स शोरूम बनकर रह गया है । जिसमें एक के साथ एक फ्री की योजना फिलहाल फ्लॉप होती हुई नजर आ रही है ।
भाजपा के रणनीतिक फैसलों पर उठ रहे सवाल
शक्ति रानी शर्मा की राजनीतिक यात्रा और उनके बेटे की राज्यसभा सदस्यता को प्रचारित करने में भी भाजपा विफल रही है। स्थानीय चुनावी प्रचार में ये तथ्य प्रमुख हो सकते थे, परंतु इन्हें ठीक से जनता तक नहीं पहुंचाया गया। चुनावी प्रबंधन की इस कमी का फायदा प्रतिद्वंदी कांग्रेस के उम्मीदवार प्रदीप चौधरी को मिल रहा है, जो कि स्थानीय हैं और जनता के बीच अच्छी पकड़ रखते हैं।
कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप चौधरी की मजबूती
कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप चौधरी, जो वर्तमान में कालका के विधायक हैं, चुनावी मैदान में सटीक रणनीति और एक मजबूत टीम के साथ उतरे हैं। उनकी ओर से स्थानीय मुद्दों और जनता से सीधा संवाद स्थापित करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है, जिससे वे भाजपा उम्मीदवार के मुकाबले अधिक मजबूत दिखाई दे रहे हैं। वहीं, भाजपा की ओर से कमजोर प्रबंधन और मीडिया में पिछड़ने की वजह से कांग्रेस को लगातार बढ़त मिल रही है।
निर्दलीय उम्मीदवार की भूमिका भी महत्वपूर्ण
इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार गोपाल चौधरी भी समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं। उनकी स्थिति जितनी मजबूत होगी, कांग्रेस को उतना नुकसान हो सकता है। लेकिन अगर निर्दलीय कमजोर पड़ते हैं, तो इसका सीधा फायदा कांग्रेस को मिलेगा। यह स्थिति भाजपा के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि निर्दलीय उम्मीदवार की कम होती लोकप्रियता भाजपा की रणनीति पर असर डाल सकती है।
भाजपा को सुधार की जरूरत
कालका में भाजपा के लिए चुनौती सिर्फ कांग्रेस से नहीं, बल्कि आंतरिक असंगठित प्रचार और प्रबंधन से भी है। स्थानीय नेता और समर्थक पूरी तरह एकजुट नजर नहीं आ रहे, जिससे चुनावी प्रचार प्रभावित हो रहा है। भाजपा को चाहिए कि वे मीडिया प्रबंधन में सुधार करें और प्रचार तंत्र को मजबूत बनाएं। स्थानीय समर्थन प्राप्त करने के लिए उम्मीदवार को अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा, तभी वे चुनावी जंग में मजबूती से खड़े हो पाएंगे।
क्या कहता है कालका विधानसभा मे बीजेपी का भविष्य
यदि भाजपा ने अपने प्रचार और प्रबंधन में आवश्यक सुधार नहीं किए, तो कांग्रेस के हाथों यह सीट खोने की संभावना बढ़ जाएगी। कालका विधानसभा में भाजपा के लिए यह चुनावी लड़ाई कठिन होती जा रही है, और सर्वसाधन संपन्न शक्ति रानी शर्मा इसे जीतने में सफल होती हैं, तो यह जीत उनके राजनीतिक करियर के लिए बड़ी उपलब्धि साबित होगी। लेकिन अगर वे हारती हैं, तो यह न केवल उनकी व्यक्तिगत हार होगी, बल्कि भाजपा के लिए भी बड़ी राजनीतिक चुनौती बन जाएगी ।
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