कलियुगी गुरुओं की सच्चाई : गुरु पूर्णिमा पर एक चिंतन
आज गुरु पूर्णिमा है — वह पावन दिन जब हम अपने जीवन में ज्ञान और संस्कारों के प्रकाशदाता गुरुजनों को स्मरण करते हैं, उनकी पूजा कर आशीर्वाद लेते हैं। भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान देवताओं से भी ऊपर माना गया है। कहा गया है—
“गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरः।
गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥”
बिना गुरु के जीवन की कल्पना अधूरी है। वह गुरु ही होता है जो अज्ञान के अंधकार से निकालकर जीवन को दिशा देता है। लेकिन आज जब हम गुरु पूर्णिमा मना रहे हैं, यह आवश्यक है कि हम उन कलियुगी गुरुओं की भी चर्चा करें जिन्होंने गुरु जैसे पवित्र रिश्ते को कलंकित किया है।
जब गुरु ही बन जाए गुमराह करने वाला…
सभी अभिभावक अपने बच्चों को इस उम्मीद के साथ स्कूल भेजते हैं कि वहां शिक्षक उन्हें बेहतर इंसान बनाएंगे, ज्ञान देंगे, अच्छे संस्कार देंगे। लेकिन जब वही शिक्षक अपनी जिम्मेदारी से भटक जाए, जब शिक्षा देने वाला ही बच्चों को गलत राह दिखाने लगे — तो सवाल उठता है कि ऐसे गुरु के साथ समाज को क्या करना चाहिए?
हाल ही के वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां तथाकथित “गुरु” अपने छात्रों का मानसिक, शारीरिक या नैतिक शोषण करते पाए गए। स्कूलों, कोचिंग संस्थानों और यहां तक कि आध्यात्मिक आश्रमों में भी इस प्रकार की घटनाएं सामने आई हैं।
गुरु का अपमान या गुरु का पर्दाफाश?
समाज में यह बहस चलती रहती है कि किसी गुरु की आलोचना करना क्या गुरु का अपमान है? लेकिन जब कोई शिक्षक या आध्यात्मिक गुरु अपने पद का गलत इस्तेमाल करता है, तो उसका पर्दाफाश होना भी उतना ही ज़रूरी है, जितना सच्चे गुरुओं का सम्मान।
यह समय है जब हमें सच्चे और झूठे गुरुओं में फर्क करना सीखना होगा। आज के दौर में गुरु पूर्णिमा सिर्फ फूल चढ़ाने या चरण छूने का पर्व नहीं, बल्कि गंभीर आत्मचिंतन का दिन है — कि हम किसे गुरु मान रहे हैं, और क्या वह इस पद का हकदार भी है?
गुरु पूर्णिमा का सार्थक सम्मान
गुरु पूर्णिमा का वास्तविक सम्मान तब होगा जब हम उन सच्चे गुरुओं को पहचानें, जिन्होंने समाज को गढ़ा है, और साथ ही उन छलावों से बचें, जो गुरु की आड़ में अपने निजी स्वार्थ साध रहे हैं।
आइए, आज के दिन हम यह संकल्प लें कि—
हम हर उस व्यक्ति का सम्मान करेंगे जो हमें सच्चा ज्ञान और सही दिशा देता है।
हम आंख मूंदकर किसी को सिर्फ “गुरु” कहकर पूजेंगे नहीं, बल्कि उसे जांचेंगे-परखेंगे।
और हम ऐसे गुरु-छद्मवेशधारियों का सामाजिक रूप से बहिष्कार करेंगे, जो गुरु की छवि को बदनाम करते हैं।
गुरु पूर्णिमा पर सच्चे गुरुओं को प्रणाम — और नकली गुरुओं से सावधान।
गुरु की गरिमा को कलंकित करते आधुनिक अध्यापक अध्यापिकाएं
आधुनिक युग में पतन का कोई मानक नहीं रहा है। पहले जहां गुरु अपने आदर्शों के प्रतिमान रचते थे लेकिन अब गुरु रुपी अध्यापक और अध्यापिकाएं पतन की पराकाष्ठा पार करने लगे हैं।
गुरु पूर्णिमा पर ऐसे गुरुओं के चंद उदाहरण
हाल ही में महाराष्ट्र के मुंबई से एक शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां एक टीचर ने स्कूल में पढ़ने वाले नाबालिग छात्र से शारीरिक संबंध बनाकर अनैतिकता के नए प्रतिमान गढ़े हैं । जांच में सामने आया कि टीचर ने एक बार नहीं बल्कि कई बार छात्र को अपनी हवस का शिकार बनाया।
पुलिस ने बताया कि जब परिवार ने छात्र के व्यवहार में बदलाव देखा, तो उसने यौन शोषण की बात बताई। हालांकि, परिवार को लगा कि स्कूल पास करने में कुछ ही महीनों का समय बाकी है, तो वो चुप रहे। उन्हें उम्मीद थी कि टीचर बच्चे का पीछा छोड़ देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पुलिस ने बताया कि इस साल छात्र बोर्ड की परीक्षा पास कर गया, लेकिन वह डिप्रेशन में था। मामले ने दोबारा तूल तब पकड़ा, जब टीचर ने घरेलू नौकर के जरिए बच्चे से फिर संपर्क साधने की कोशिश की। उसने संदेश भिजवाया कि वह मिलना चाहती है। पुलिस ने कहा, ‘तब परिवार ने हमारे पास आने का फैसला किया और केस दर्ज कराया।’
टीचर की उम्र 40 साल बताई जा रही है और वह शादीशुदा है। साथ ही उसका एक बच्चा भी है। जबकि, पीड़ित छात्र 11 कक्षा में था और 16 साल का था। शिकायत में कहा गया है कि दिसंबर 2023 में हाई स्कूल के वार्षिक समारोह के दौरान डांस ग्रुप बनाने के समय वह कई बार छात्र के संपर्क में आई। तब ही वह उसके प्रति आकर्षित हुई। जनवरी 2024 में उसने पहली बार छात्र के सामने संबंधों का प्रस्ताव रखा। इस पर छात्र ने उससे दूरी बनाना शुरू कर दी। इसके बाद टीचर ने स्कूल में उसकी एक महिला मित्र का सहारा लिया और बात आगे बढ़ाई। इस मामले में दोस्त के खिलाफ भी केस दर्ज हुआ है। उसने कथित तौर पर पीड़ित छात्र से कहा था कि वो दोनों एक दूसरे के लिए बने हैं और उम्रदराज महिलाओं और लड़कों के बीच रिलेशनशिप आम बात है।
इसके बाद टीचर ने उसे दक्षिण मुंबई के अलग-अलग पांच सितारा होटल ले जाना शुरू किया और शारीरिक संबंध बनाए। पुलिस ने बताया है कि संबंध बनाने से पहले कई बार टीचर छात्र को शराब पिलाती थी।
माता-पिता के बाद समाज में अध्यापक का ही सर्वोच्च स्थान माना गया है। अध्यापक ही बच्चों को सही शिक्षा देकर ज्ञानवान बनाते हैं, परंतु आज चंद अध्यापक-अध्यापिकाएं अपनी मर्यादा भूल कर बच्चों का यौन शोषण तक कर रहे हैं।
22 फरवरी को बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश) के लखावटी गांव में स्थित एक सैकेंडरी स्कूल में पहली कक्षा की छात्रा स्कूल में स्कर्ट के स्थान पर लैगिंग्स पहन कर आ गई तो गुस्से में आकर उसकी टीचर ने पूरी क्लास के सामने उसकी लैगिंग उतरवा कर ढ़ाई घंटे तक क्लास रूम में खड़ा रखा। इसका पता चलने पर बच्ची के अभिभावकों ने स्कूल में पहुंच कर भारी हंगामा किया और पुलिस में टीचर के विरुद्ध शिकायत दर्ज करवाई।
20 मार्च को हाथरस (उत्तर प्रदेश) के एक कालेज में भूगोल विभाग के प्रमुख प्रोफैसर रजनीश कुमार के विरुद्ध छात्राओं को अपने घर बुलाकर उनका यौन शोषण करने के आरोप में केस दर्ज किया गया। छात्राएं चेहरा ढांप कर उसके कमरे में पहुंचतीं जहां वह उनका यौन शोषण करता था।
9 अप्रैल को कुशी नगर (उत्तर प्रदेश) में मल्लूडीह स्थित सरकारी स्कूल में मैनुद्दीन अंसारी नामक एक अध्यापक एक छात्रा को परीक्षा में नम्बर बढ़ाने का झांसा देकर एक कमरे में ले गया और उसके साथ बलात्कार कर डाला। घटना का पता चलने पर गांव वालों ने स्कूल के बाहर नारेबाजी करते हुए धरना दिया और आरोप लगाया कि विद्यालय के प्रिंसिपल सहित अन्य कर्मचारियों को इसकी जानकारी होने के बावजूद उन्होंने अध्यापक को कुछ नहीं कहा, अतः स्कूल का पूरा स्टाफ बदला जाए।
14 अप्रैल को विकास नगर (उत्तराखंड) में चकराता ब्लाक के सरकारी स्कूल के अध्यापक के विरुद्ध पुलिस ने एक युवती से बलात्कार करने के आरोप में केस दर्ज किया। इस घटना से दुखी होकर पीड़िता ने आत्महत्या करने का प्रयास किया परन्तु समय रहते पता चल जाने पर घर वालों ने उसे अस्पताल पहुंचा दिया जिससे उसकी जान बच गई।
18 अप्रैल को कटनी (मध्य प्रदेश) के बरही स्थित सरकारी हायर सैकेंडरी स्कूल के अध्यापक नवीन प्रताप सिंह का 7 स्कूली बच्चों को शराब पिलाने का वीडियो वायरल होने पर उसे निलंबित किया गया।
28 अप्रैल को बस्ती (उत्तर प्रदेश) के प्राइमरी स्कूल में पोर्न देखने के आदी अली आजम नामक अध्यापक के विरुद्ध अपने किराए के मकान के सांझा बाथरूम में सी.सी.टी.वी. कैमरा लगाकर दूसरे किराएदार की बेटियों के निजी क्षणों के वीडियो बनाने के आरोप में पीड़ित परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई।
28 मई को मोतीहारी (बिहार) के कोरिया लोखान स्थित प्राइमरी स्कूल में शमीम अख्तर नामक एक अध्यापक को स्कूल परिसर में एक महिला के साथ रंगरलियां मनाते पकड़े जाने पर गांववासियों ने उसकी जमकर पिटाई करने के बाद हाथ-पैर बांध कर पुलिस के हवाले कर दिया।
23 जून को गुरुग्राम (हरियाणा) स्थित एक निजी स्कूल की शादीशुदा अध्यापिका को एक नाबालिग छात्र को परीक्षा में अच्छे नंबर दिलवाने का झांसा देकर उसे होटलों के अलावा अपने घर ले जाकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
और 25 जून को मध्य प्रदेश के धार जिले में सिधाना गांव के एक प्राइमरी स्कूल में तैनात कविता कोचे नामक अध्यापिका द्वारा नशे की हालत में शराब पीकर स्कूल में आकर हंगामा करने और स्टाफ तथा छात्रों के साथ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने का वीडियो वायरल होने के बाद स्कूल प्रबंधन ने कविता कोचे को निलंबित करने के साथ ही उसके विरुद्ध पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई।
अध्यापकों के एक वर्ग द्वारा मर्यादाहीन आचरण के उक्त चंद उदाहरण इस आदर्श व्यवसाय पर एक घिनौना धब्बा हैं। अतः छात्रों के साथ इस तरह का आचरण करने वाले अध्यापक-अध्यापिकाओं को कठोरतम सजा दी जाए ताकि इससे दूसरे अध्यापक-अध्यापिकाओं को भी नसीहत मिले व छात्र-छात्राएं सुरक्षित वातावरण में पढ़ाई कर सकें।
मनोज कुमार अग्रवाल
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