कब है गोवर्धन , पूजा विधि , कथा और महत्व
गोवर्धन पूजा 2024 इस साल 2 नवंबर, शनिवार को मनाई जाएगी। यह त्योहार दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है, जो भगवान कृष्ण की विजय का जश्न को दर्शाता है ।
गोवर्धन पूजा के शुभ मुहूर्त 2024:
– प्रातःकाल मुहूर्त: सुबह 06:34 से 08:46 के बीच
– सायाह्नकाल मुहूर्त: अपराह्न 03:23 से 05:35 के बीच ¹व
गोवर्धन पूजा की विधि:
– पूजा की थाली में रोली, चावल, बताशे, धूप, तेल का दीपक, कलश में जल, केसर, नैवेद्य, धूप, मिठाई, गंगाजल, पान, फूल, दही, शहद, फूल माला, खीर आदि रखकर गोवर्धन पर्वत के चित्र की पूजा करें।
– गोवर्धन पर्वत की पूजा के बाद परिवार के साथ भोजन करें और शगुन स्वरूप जुआ खेलें।
– इस दिन विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाकर गोवर्धन की पूजा करें।
– गाय-बैल आदि पशुओं को स्नान कराके धूप-चंदन तथा फूल माला पहनाकर उनका पूजन करें और गौमाता को मिठाई खिलाकर उसकी आरती उतारें और प्रदक्षिणा करें
गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान कृष्ण की विजय का जश्न मनाता है। यह त्योहार दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है।
गोवर्धन पूजा की कथा:
प्राचीन समय में, भगवान कृष्ण के गाँव में, इंद्र देवता की पूजा की जाती थी। लोग इंद्र देवता को वर्षा के लिए पूजते थे। भगवान कृष्ण ने लोगों को समझाया कि इंद्र देवता वर्षा के लिए नहीं, बल्कि अपने कर्मों के अनुसार वर्षा होती है।
इंद्र देवता को यह बात बुरी लगी और उन्होंने भगवान कृष्ण के गाँव पर वर्षा की सजा दी। भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर गाँव को बचाया। इंद्र देवता को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान कृष्ण से माफी मांगी।
गोवर्धन पूजा की कथा इस प्रकार है:
श्रीकृष्ण ने गोकुल के लोगों को इंद्र पूजा न करने के लिए समझाया और कहा कि इंद्र वर्षा के लिए नहीं, बल्कि अपने कर्मों के अनुसार वर्षा होती है। लेकिन इंद्र को यह बात बुरी लगी और उन्होंने गोकुल पर वर्षा की सजा दी।
श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर गोकुल को बचाया और इंद्र को अपनी गलती का एहसास हुआ। इंद्र ने श्रीकृष्ण से माफी मांगी और श्रीकृष्ण ने इंद्र को माफ कर दिया।
इसके बाद गोकुल के लोगों ने श्रीकृष्ण की विजय का जश्न मनाया और गोवर्धन पूजा की। इस दिन से गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जाता है।
गोवर्धन पूजा की कथा हमें सिखाती है कि हमें अपने कर्मों के अनुसार फल प्राप्त होता है, न कि किसी देवता की कृपा से। यह त्योहार भगवान कृष्ण की विजय और उनकी शक्ति का प्रतीक है।
गोवर्धन पूजा का महत्व:
गोवर्धन पूजा का महत्व यह है कि यह त्योहार भगवान कृष्ण की विजय और उनकी शक्ति का प्रतीक है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि हमें अपने कर्मों के अनुसार फल प्राप्त होता है, न कि किसी देवता की कृपा से।
गोवर्धन पूजा की रस्में:
गोवर्धन पूजा की रस्में निम्नलिखित हैं:
– गोवर्धन पर्वत की पूजा
– भगवान कृष्ण की पूजा
– गायों की पूजा
– अन्नकूट का भोग
– परिवार और मित्रों के साथ मिलन
गोवर्धन पूजा का महत्व आज भी बना हुआ है, और यह त्योहार हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
गोवर्धन पूजा की आरती:
श्रीगोवर्धन भगवान की, आरती जो कोई।
गाएं गुन गोबिंद के, मिल गिरिधारी जो कोई।
जय गोवर्धन जय गोवर्धन,
उध्दर दीन को तुम भल करन वाला।
जय गोवर्धन जय गोवर्धन,
गिरिधारी तुम्हारी जय हो।
तुम पालन क्षिति को, तुम ही भरते पोट।
तुम्ही वृष्टि कर के, सबको अन्न देते।
जय गोवर्धन जय गोवर्धन,
उध्दर दीन को तुम भल करन वाला।
जय गोवर्धन जय गोवर्धन,
गिरिधारी तुम्हारी जय हो।
गोवर्धन की पूजा में, अन्नकूट का भोग।
भक्तों को तुम्हारा,
गोवर्धन पूजा विशेष विधि विधान:
1. स्नान और शुद्धि: पूजा से पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें।
2. पूजा स्थल की सफाई: पूजा स्थल को साफ और सजाएं।
3. गोवर्धन पर्वत की स्थापना: गोवर्धन पर्वत की मिट्टी या गोबर से बनी मूर्ति स्थापित करें।
4. पूजा की थाली तैयार करें: पूजा की थाली में रोली, चावल, बताशे, धूप, तेल का दीपक, कलश में जल, केसर, नैवेद्य, धूप, मिठाई, गंगाजल, पान, फूल, दही, शहद, फूल माला आदि रखें।
5. गोवर्धन पर्वत की पूजा: गोवर्धन पर्वत की पूजा करें और आरती गाएं।
6. अन्नकूट का भोग: गोवर्धन पर्वत को अन्नकूट का भोग लगाएं।
7. गाय-बैल आदि पशुओं की पूजा: गाय-बैल आदि पशुओं को स्नान कराके धूप-चंदन तथा फूल माला पहनाकर उनका पूजन करें और गौमाता को मिठाई खिलाकर उसकी आरती उतारें और प्रदक्षिणा करें।
8. परिवार के साथ भोजन: परिवार के साथ भोजन करें और शगुन स्वरूप जुआ खेलें।
9. दान और पुण्य: दान और पुण्य करें और जरूरतमंदों की मदद करें।
गोवर्धन पूजा के दौरान इन विशेष विधि विधानों का पालन करके भगवान कृष्ण की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
कनिका अग्रवाल ज्योतिषाचार्य
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