ज्येष्ठ मास में दूसरे बड़ा मंगल के दिन करें ये खास उपाय, प्राप्त होगी हनुमान जी की कृपा
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ का महीना वैशाख मास के समाप्त होते ही शुरू हो जाता है. यह हिंदू कैलेंडर का तीसरा महीना है. इस महीने में सूर्य अत्यंत ताकतवार हो जाता है और गर्मी भयंकर पड़ती है. सूर्य की ज्येष्ठता के कारण इस महीने को ज्येष्ठ का माह कहते हैं. इस मास में सूर्य और वरुण देव की उपासना विशेष फलदायी होती है. इस बार ज्येष्ठ 24 मई से 21 जून तक रहेगा. 22 जून से आषाढ़ के महीने की शुरुआत हो जाएगी.
ज्येष्ठ मास का वैज्ञानिक महत्व
ज्येष्ठ मास में वातावरण और जल का स्तर गिरने लगता है, इसलिए जल का सही और पर्याप्त प्रयोग करना चाहिए. हीटस्ट्रोक और खान-पान की बीमारियों से बचाव आवश्यक है. इस माह में हरी सब्जियां, सत्तू, जल वाले फलों का प्रयोग लाभदायक होता है. इस महीने में दोपहर का विश्राम करना भी लाभदायक है.
वरुण देव और सूर्य की कृपा
इस महीने रोज सुबह और संभव हो तो शाम को भी पौधों में जल दें. प्यासों को पानी पिलाएं. लोगों को जल पिलाने की व्यवस्था करें. जल की बर्बादी न करें. घड़े सहित जल और पंखों का दान करें. रोज सुबह और शाम सूर्य मंत्र का जाप करें. अगर सूर्य संबंधी समस्या है तो ज्येष्ठ के हर रविवार को उपवास रखें.
ज्येष्ठ मास की पूजन विधि
ज्येष्ठ मास के दिन स्नान, ध्यान और पुण्य कर्म का विशेष महत्व है. आज के दिन व्रत और पूजा-पाठ से विवाह में आ रही दिक्कतें भी दूर होती हैं. आज के दिन श्वेत वस्त्र धारण कर भोलेनाथ की पूजा करनी चाहिए. इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करना भी शुभ माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि पीपल के पेड़ पर भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी वास करती हैं.
ज्येष्ठ माह में क्या करें और क्या न करें
1. इस महीने बाल गोपाल का अभिषेक करने का विशेष महत्व बताया गया है. इसके अलावा उन्हें माखन मिश्री का भोग लगाएं और भगवान को चंदन का लेप लगाएं.
2. पशु, पक्षियों, जीव जंतुओं के लिए पानी की व्यवस्था करें.
3. इसके अलावा आप राहगीरों के लिए भी पानी की व्यवस्था कर सकते हैं.
4. इस महीने में जरूरतमंद लोगों को छाते, अन्न, पेय वस्तुओं आदि का दान भी किया जा सकता है जिसे बेहद ही शुभ माना गया है.
5. किसी गौशाला में हरी घास का दान करें और गायों का ध्यान रखें.
6. शिवलिंग पर जल चढ़ाएं.
7. इस महीने भगवान हनुमान की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है क्योंकि कहते हैं कि ज्येष्ठ के महीने में ही हनुमान जी की मुलाकात भगवान श्रीराम से हुई थी.
ज्येष्ठ मंगल पर ऐसे करें हनुमान पूजन
इस दिन सुबह उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करके साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद मंदिर की सफाई कर लें। फिर एक लकड़ी की चौकी या फिर मंदिर में ही एक लाल रंग का कपड़ा बिछाकर हनुमान जी मूर्ति या फिर तस्वीर रख लें। इसके बाद हनुमान जी को फूल, अक्षत, सिंदूर, नैवेद्य चढ़ाने के बाद बूंदी या बेसन के लड्डू, तुलसी दल चढ़ाकर पान का बीड़ा अर्पित करें। इसके बाद जल चढ़ाने के साथ घी का दीपक और धूप जला लें। फिर हनुमान चालीसा, हनुमान मंत्र आदि का पाठ कर लें। इसके बाद विधिवत आरती करने के बाद भूल चूक के लिए माफी मांग लें। ऐसे आप हर बड़ा मंगल के दिन भगवान हनुमान की पूजा कर सकते हैं।
हनुमान मंदिर जाकर भगवान को चोला, पीपल के पत्ते में राम नाम लिखकर अर्पित कर सकते हैं। इसके साथ ही बूंदी के लड्डू या फिर बेसन के लड्डू का भोग लगा सकते हैं।
ज्येष्ठ मंगल हनुमान मंत्र
1.ॐ अं अंगारकाय नमः’
2.मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥
3.ॐ हं हनुमते नम:
4.अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि॥
5.ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट
खबरी प्रशाद अखबार के लिए आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी
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