ज्योतिष की दृष्टि में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सीएम की संभावनाएं मजबूत , पर त्रिशंकु विधानसभा के आसार
हरियाणा की राजनीति में 2024 का विधानसभा चुनाव बेहद अहम मोड़ पर खड़ा है। राजनीतिक पंडितों और विश्लेषकों के साथ-साथ ज्योतिषीय गणनाओं पर भी इस बार सबकी निगाहें टिकी हैं। कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच सीधा मुकाबला होता दिखाई दे रहा है, लेकिन ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देखा जाए तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सितारे इस बार ज्यादा चमकते नजर आ रहे हैं।
हरियाणा में मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए कई नाम उभर कर आ रहे हैं, जिनमें भूपेंद्र सिंह हुड्डा सबसे आगे हैं। उनकी कुंडली के अनुसार, इस बार ग्रह-नक्षत्र उनके पक्ष में हैं। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो हुड्डा की कुंडली में मंगल उच्च का है, जो उनके राजनीतिक सफर में अद्वितीय सफलता और शक्ति प्रदान कर रहा है। यह स्थिति उन्हें अपने विरोधियों पर भारी बढ़त देती है, और उनकी राजनीति में मजबूती से वापसी के संकेत दे रही है।
क्या कहती है भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कुंडली : मंगल, शनि और राहु की प्रबल स्थिति
ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कुंडली में मंगल बेहद शक्तिशाली स्थिति में है, जो उन्हें साहसिक निर्णय लेने और राजनीतिक चुनौतियों का सामना करने की क्षमता प्रदान करता है। मंगल का उच्च होना यह दर्शाता है कि हुड्डा जनता के बीच एक लोकप्रिय नेता के रूप में उभरेंगे और चुनावी मुकाबले में बाजी मार सकते हैं।
शनि की स्थिति भी हुड्डा के पक्ष में है। शनि की मजबूत उपस्थिति उनके राजनीतिक सफर को स्थायित्व और दीर्घकालिक सफलता की ओर संकेत करती है। इसके साथ ही, राहु की उच्च स्थिति उन्हें राजनीति में चतुराई और रणनीति के क्षेत्र में बढ़त दिलाती है। इस बार का चुनाव उनके लिए शुभ संकेत लेकर आया है और ज्योतिषीय दृष्टि से भूपेंद्र सिंह हुड्डा का मुख्यमंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा है।
राजयोग के संकेत: भूपेंद्र सिंह हुड्डा का राजनीतिक भविष्य
भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कुंडली में राजयोग की स्थिति बनी हुई है, जो उन्हें न सिर्फ हरियाणा बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी राजनीतिक कद में ऊँचा उठाने में सहायक है। ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, वे जनता के बीच बेहद लोकप्रिय और भरोसेमंद नेता माने जाते हैं। उनकी नेतृत्व क्षमता और जनता के बीच उनकी छवि को देखते हुए, कांग्रेस उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर सकती है। उनकी कुंडली में सूर्य भी मजबूत स्थिति में है, जो सत्ता में वापसी के संकेत दे रहा है।
हालांकि, कुछ बाधाएं भी दिखाई देती हैं। उनकी कुंडली में राहु और केतु की स्थिति भी महत्वपूर्ण है, जो संकेत देती है कि उनके सामने चुनौतियाँ आ सकती हैं, लेकिन वे इन चुनौतियों को सफलतापूर्वक पार करेंगे। इस बार का चुनाव उनके लिए निर्णायक हो सकता है।
क्या कहती है कुमारी शैलजा की कुंडली : कमजोर मंगल और राहु-केतु का प्रभाव
कांग्रेस की एक अन्य प्रमुख नेता कुमारी शैलजा भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं। उनके समर्थक उन्हें हरियाणा की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं, लेकिन ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, उनकी कुंडली में मंगल की स्थिति कमजोर है। मंगल की यह कमजोर स्थिति उनके राजनीतिक करियर में कुछ बाधाओं का संकेत देती है।
राहु और केतु की स्थिति उनके लिए समस्याएं खड़ी कर सकती हैं। राहु-केतु की इस कमजोर स्थिति के चलते कुमारी शैलजा के मुख्यमंत्री बनने की संभावनाएं थोड़ी धुंधली हो जाती हैं। हालांकि, वे कांग्रेस के भीतर एक महत्वपूर्ण नेता बनी रहेंगी, लेकिन ज्योतिष के अनुसार, भूपेंद्र सिंह हुड्डा की तुलना में उनका मुख्यमंत्री बनना थोड़ा कठिन लग रहा है।
क्या कहते है नायब सिंह सैनी के सितारे : राहु-केतु की चुनौतीपूर्ण स्थिति
भाजपा से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार नायब सिंह सैनी की ज्योतिषीय स्थिति अधिक अनुकूल नहीं दिख रही है। उनकी कुंडली में राहु और केतु की स्थिति काफी चुनौतीपूर्ण है, जो उनके राजनीतिक सफर में बड़ी अड़चनें पैदा कर सकती हैं। राहु और केतु ने उनकी कुंडली में एक विशेष रूप से नकारात्मक प्रभाव डाला है, जो उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावनाओं को कम कर देता है। केतु उनके पक्ष में नहीं है, और यह उन्हें सत्ता तक पहुँचने में रोड़ा बनेगा। नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री की दौड़ में बने रहने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है, लेकिन ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, उनका मुख्यमंत्री बनना इस बार संभव नहीं दिख रहा।
ज्योतिषीय गणना के आधार पर चुनावी नतीजे : त्रिशंकु विधानसभा के आसार
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे त्रिशंकु रहने की संभावना है, जैसा कि ज्योतिषीय गणनाओं से संकेत मिल रहा है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के बीच कांटे की टक्कर होगी, लेकिन कोई भी दल स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं कर पाएगा। ज्योतिषीय आकलन के अनुसार, भाजपा की सीटें 26 से 32 के बीच सीमित रह सकती हैं, जबकि कांग्रेस 38 से 44 सीटें जीत सकती है। दोनों दल बहुमत से दूर रहेंगे, और तीसरे दल या निर्दलीय विधायकों की भूमिका किंगमेकर की हो सकती है।
जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) या निर्दलीय विधायक सत्ता की चाबी अपने हाथ में रख सकते हैं। जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला का इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की संभावना है। इसके अलावा, छोटे दल और निर्दलीय उम्मीदवार भी इस त्रिशंकु स्थिति में निर्णायक साबित हो सकते हैं।
हरियाणा विधानसभा में बहुमत का गणित 46 का है । और ऐसे में सभी पार्टियों की सबसे पहली कोशिश 46 का आंकड़ा पार करने की है चाहे वह किसी भी तरीके से हो । अगर ज्योतिष की माने तो कांग्रेस बड़ा दल बनने जा रहा है पर बहुमत से कम रह सकता है तो ऐसी स्थिति में वह निर्दलीयों का या फिर किसी क्षेत्रीय दल का सहारा ले सकते हैं पर आपको बता दे यह सिर्फ ज्योतिषी गणना के आधार पर है । इन सभी बातों का सही पता मंगलवार को जब इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन खुलेगी तब पता चलेगा कि आखिरकार किसके सितारे बुलंद है , और किसको अभी आगे और इंतजार करना पड़ सकता है ।
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