जीवित माता-पिता और बुजुर्गों का सम्मान ही सच्चा श्राद्ध: श्राद्ध और गणेश जी का वास्तु शास्त्र में महत्व
वास्तु शास्त्र और धर्मग्रंथों के अनुसार, जीवित माता-पिता और बुजुर्गों का सम्मान और सेवा करना सच्चा श्राद्ध (श्रद्धा) है। यह भावना ही श्राद्ध का वास्तविक रूप है, न कि केवल मृत्योपरांत कर्मकांड करना। भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक चलने वाले पितृपक्ष के दौरान पितरों को याद करने की परंपरा है, जिसे श्राद्ध कहा जाता है।
श्राद्ध का धार्मिक महत्व
ब्रह्म पुराण के अनुसार, इस दौरान यमराज सभी पितरों को पृथ्वी पर पिंडदान प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र कर देते हैं। कर्म पुराण में यह बताया गया है कि पितर यह जानने के लिए पृथ्वी पर आते हैं कि उनके वंशज उन्हें याद कर रहे हैं या नहीं। अगर वंशज श्राद्ध और तर्पण नहीं करते, तो पितर दुखी होते हैं और श्राप देकर लौट जाते हैं। वहीं, श्राद्ध करने वाले को पितर दीर्घायु, धन, संतान, विद्या और सांसारिक सुखों का आशीर्वाद देते हैं।
परंतु श्राद्ध का वास्तविक मतलब केवल मृत पूर्वजों को याद करना नहीं है। भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि आत्मा पुराने शरीर को त्याग कर नया शरीर धारण करती है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि जब आत्मा नया शरीर धारण कर चुकी होती है, तो पितरों की मुक्ति और तर्पण का औचित्य क्या है?
इस संदर्भ में जीते जी माता-पिता और बुजुर्गों का सम्मान करना ही सच्चा श्राद्ध माना जाता है। जो संतान अपने जीवित माता-पिता की अनदेखी करती है, और उनके निधन के बाद तर्पण और श्राद्ध कर्म करती है, वह केवल दिखावा और आडंबर है। जैसा कि किसी कवि ने कहा है, “जीते जी होती नहीं पूजा, मरने पर पूजा होती है, यह कैसी रीति है?” इसका सही अर्थ है कि जीते जी बुजुर्गों का सम्मान करना चाहिए, जिससे उनका आशीर्वाद मिल सके।
वास्तु शास्त्र में गणेश जी का महत्व
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में गणेश जी की स्थापना सकारात्मक ऊर्जा और शुभता लाती है। मुख्य प्रवेश द्वार पर गणेश जी को स्थापित करना विघ्नों को दूर करता है। अलग-अलग दिशाओं में अलग-अलग रंगों के गणेश जी स्थापित करने का विशेष महत्व है:
- ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) के स्वामी गुरु ग्रह हैं। पीले रंग के गणेश जी इस दिशा में स्थापित करने चाहिए।
- आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा) के स्वामी शुक्र ग्रह हैं। पिंक या सफेद रंग के गणेश जी यहां लगाना शुभ होता है।
- वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम दिशा) के स्वामी चंद्रमा हैं। सफेद रंग के गणेश जी इस दिशा में स्थापित करने चाहिए।
- नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम दिशा) के स्वामी राहु ग्रह हैं। ब्राउन रंग के गणेश जी इस दिशा में शुभ माने जाते हैं।
- पूर्व दिशा के स्वामी सूर्य ग्रह हैं। इस दिशा में पिंक रंग के गणेश जी स्थापित करने चाहिए।
- दक्षिण दिशा के स्वामी मंगल ग्रह हैं। लाल रंग के गणेश जी इस दिशा में अच्छे माने जाते हैं।
- पश्चिम दिशा के स्वामी शनि ग्रह हैं। नीले रंग के गणेश जी इस दिशा में स्थापित करना लाभकारी होता है।
पितरों का स्थान और फोटो
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पितरों की फोटो को नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम दिशा) में स्थापित करने का विधान है। यह स्थान पितरों के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
श्राद्ध का सच्चा अर्थ अपने जीवित माता-पिता और बुजुर्गों का आदर और सेवा करना है। उनके जीवनकाल में उन्हें प्रसन्न रखना और उनका आशीर्वाद लेना ही सच्चा श्राद्ध है। इसके साथ ही वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में सही दिशा में गणेश जी की स्थापना और पितरों की फोटो लगाना भी घर में सुख-शांति और समृद्धि लाता है।
डा. कनिका अग्रवाल
वास्तु एक्सपर्ट
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