जानिए दुनिया के ऐसे ही कुछ दुर्लभ उदाहरण जब प्लेन क्रैश से कोई जिंदा लौटा
एयर इंडिया विमान हादसे में चमत्कारिक रूप से बचे रमेश विश्वास कुमार
रिपोर्ट: ख़बरी प्रसाद न्यूज़ डेस्क
अहमदाबाद
गुजरात के अहमदाबाद से लंदन जा रहा एयर इंडिया का विमान उड़ान भरते ही हादसे का शिकार हो गया। विमान में 242 लोग सवार थे, जिनमें से अधिकतर की मौत हो गई। लेकिन इसी बीच एक खबर सामने आई जिसने सबको चौंका दिया—सीट नंबर 11A पर बैठे ब्रिटिश नागरिक रमेश विश्वास कुमार इस भयावह विमान हादसे में जिंदा बच निकले।
उनकी जान बचना किसी चमत्कार से कम नहीं माना जा रहा। हालांकि इतिहास में ऐसे कुछ और दुर्लभ मामले भी सामने आए हैं, जब घातक विमान दुर्घटनाओं में कोई न कोई व्यक्ति मौत को मात देकर ज़िंदा लौटा है। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ ऐतिहासिक हादसे और उनमें बचने वाले ‘सर्वाइवर’ की प्रेरणादायक कहानियां:
1. ई. फिलिप ब्रैडली – 1959, अमेरिका
30 अक्टूबर 1959 को वाशिंगटन डीसी से रोआनोक जा रही पीडमोंट एयरलाइंस की फ्लाइट वर्जीनिया के पास क्रैश हो गई। विमान में मौजूद 24 यात्रियों में से ई. फिलिप ब्रैडली नामक यात्री जीवित बचे। हादसे के वक्त उनकी सीट विमान से अलग होकर हवा में झूलती रही और जमीन पर पहुंचते समय वे सीट से बंधे होने के कारण बच गए। वे बुरी तरह घायल हुए, लेकिन जान बच गई।
2. जूलियाने कोएप्के – 1971, पेरू
24 दिसंबर 1971 को LANSA फ्लाइट 508 पेरू के अमेजन रेनफॉरेस्ट में तूफान की वजह से क्रैश हो गई। 92 यात्रियों में से सिर्फ 17 वर्षीय जूलियाने कोएप्के ही जिंदा रहीं। वह अपनी सीट से बंधी हुई करीब 2 मील दूर जा गिरीं। जंगल में 10 दिन तक अकेली भटकने के बाद लकड़हारों ने उन्हें बचाया। यह घटना आज भी एविएशन इतिहास की सबसे चर्चित कहानियों में शुमार है।
3. मोहम्मद अल-फतेह उस्मान – 2003, सूडान
8 जुलाई 2003 को सूडान एयरवेज फ्लाइट 139 दुर्घटनाग्रस्त हो गई। विमान में 117 लोग सवार थे, जिनमें से 116 की मौत हो गई। केवल 2 वर्षीय मोहम्मद अल-फतेह उस्मान चमत्कारिक रूप से जीवित बच गए। उनकी सीट जमीन से टकराने से पहले कई पेड़ों से टकराई, जिससे प्रभाव कम हो गया।
4. बहिया बकरी – 2009, हिंद महासागर
30 जून 2009 को यमनिया फ्लाइट 626 हिंद महासागर में गिर गई। 153 यात्रियों में से 12 साल की बहिया बकरी अकेली जीवित रहीं। वह विमान के मलबे से 12 घंटे तक चिपकी रहीं, जिसके बाद उन्हें बचा लिया गया। उन्हें मामूली चोटें आईं लेकिन उनकी हिम्मत को पूरे विश्व ने सलाम किया।
5. मेलन डियाज़ – 2018, क्यूबा
18 मई 2018 को क्यूबाना डे एविएशन फ्लाइट 972 उड़ान भरने के कुछ देर बाद ही क्रैश हो गई। इस हादसे में 113 में से 112 लोगों की मौत हो गई। केवल मेलन डियाज़ नाम की महिला बचीं। उन्हें गंभीर चोटें आईं और कई सर्जरी हुईं, लेकिन वे जीवित रहीं। आज भी वे एविएशन इंडस्ट्री में जीवटता का प्रतीक मानी जाती हैं।
रमेश विश्वास कुमार – 2025, भारत
अब इसी श्रेणी में शामिल हो गए हैं रमेश विश्वास कुमार, जो अहमदाबाद-लंदन फ्लाइट के क्रैश में अकेले बचे यात्री हैं। शुरुआती जानकारी के अनुसार, वह टेकऑफ के दौरान सीट बेल्ट से मजबूती से बंधे थे, और विमान का पिछला हिस्सा जिस समय अलग हुआ, वह उसी हिस्से में मौजूद थे। विशेषज्ञों का मानना है कि उनके जीवित रहने में किस्मत के साथ सीट पोजिशनिंग और सुरक्षा बेल्ट का भी बड़ा योगदान रहा।
निष्कर्ष:
ऐसे हादसे मानव जीवन की अनिश्चितता और प्रकृति की ताकत का प्रमाण हैं। मगर इन कहानियों से यह भी सीख मिलती है कि हिम्मत, धैर्य और चमत्कार—तीनों मिल जाएं तो मौत भी हार मान जाती है।
रमेश विश्वास कुमार अब न केवल मीडिया की सुर्खियों में हैं, बल्कि उन्हें लेकर चिकित्सा और एविएशन जगत में भी गहन अध्ययन की शुरुआत हो चुकी है।
इन चमत्कारी कहानियों से हम यही सीख सकते हैं कि उम्मीद कभी नहीं छोड़नी चाहिए – क्योंकि जीवन किसी भी क्षण फिर से मुस्कुरा सकता है। और यह भी सही है जाको राखे साइयां मार सके ना कोई
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