मिस्टर इंडिया के अनिल कपूर की तरह मनीमाजरा से विकास हुआ गायब !
मनीमाजरा की बदहाल सड़कों और लाचार व्यवस्था पर चुप क्यों हैं नेता?
चंडीगढ़ को लोग देश का सबसे खूबसूरत शहर कहते हैं। इसकी हरियाली, सफाई और योजनाबद्ध सड़कों की मिसाल दी जाती है। लेकिन इस चमक-दमक के बीच मनीमाजरा इलाका एक ऐसे दर्द की तस्वीर बन चुका है, जिसे देखने के बाद ‘विकास’ शब्द पर ही सवाल उठने लगते हैं।
मनीमाजरा की सड़कों की हालत महीनों से बदतर है। पुलिस स्टेशन से लेकर टाउन की मुख्य सड़क और अंडरब्रिज तक गड्ढों और टूटी डामर का साम्राज्य है। ऐसा लगता है मानो प्रशासन के अधिकारी इन रास्तों से कभी गुजरते ही नहीं। सड़क किनारे टूटी नालियां, जगह-जगह जमी गंदगी और अंधेरी रातों में बुझी स्ट्रीट लाइटें—ये सब मिलकर विकास का एक ऐसा ‘नमूना’ पेश कर रही हैं, जो शायद पूरे देश में दुर्लभ हो।
बीजेपी के दस साल के कार्यकाल के बाद 2024 में लोकसभा की कमान आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार मनीष तिवारी ने संभाली। संसद में वह चंडीगढ़ से जुड़े सवाल तो पूछ लेते हैं, लेकिन मनीमाजरा की जर्जर सड़कों या ठप पड़े विकास कार्यों पर अब तक कोई ठोस आवाज़ नहीं उठी। शहर के लिए बड़े फंड लाने के दावे भी कागज़ों तक ही सीमित हैं।



मनीमाजरा में विकास के नाम पर जो हालात हैं, वे विडंबना की पराकाष्ठा हैं—
- सड़कें: मरम्मत की बजाय ‘वास्तु’ के हिसाब से खुद ही गड्ढेदार बन चुकी हैं।
- स्ट्रीट लाइटें: एक साल से रिपेयर के ‘शुभ मुहूर्त’ का इंतज़ार कर रही हैं।
- कानून-व्यवस्था: वाहन चोरी, मोबाइल स्नैचिंग और नशे का कारोबार खुलेआम फल-फूल रहा है।
लोग तंज में कहते हैं कि शायद मनीमाजरा का विकास भी फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ के अनिल कपूर की तरह अदृश्य हो गया है—जो है भी और दिखता भी नहीं।
यह सवाल अब जनता के सामने है—क्या ऐसे नेताओं को, जो आंखों के सामने बदहाली देखते हुए भी मौन रहते हैं, राजनीतिक मंच पर जगह मिलनी चाहिए? और क्या मनीमाजरा के लोगों को वह ‘विकास’ कभी दिखेगा, जिसकी तलाश वे सालों से कर रहे हैं?
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