उपायुक्त मोनिका गुप्ता और पूर्व विधायक ज्ञान सिंह गुप्ता की तनातनी हुई जग जाहिर !
पंचकूला में सत्ता बनाम प्रशासन का टकराव: पूर्व विधायक और उपायुक्त की तकरार खुलकर सामने आई
क्या तनाव की वजह से हो जाएगा पंचकूला उपयुक्त मोनिका गुप्ता का यहां से ट्रांसफर !
पंचकूला रीतेश माहेश्वरी
पंचकूला में लंबे समय से चल रहा सत्ता और प्रशासन के बीच का टकराव आखिरकार बुधवार को खुलकर सामने आ गया। पूर्व विधायक एवं हरियाणा विधानसभा के पूर्व स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता और उपायुक्त मोनिका गुप्ता के बीच तनातनी का मामला अब सार्वजनिक हो गया है, जिसने प्रशासनिक गलियारों से लेकर राजनीतिक हलकों तक हलचल मचा दी है।
विवाद की जड़
बुधवार को माता मनसा देवी मंदिर में आगामी नवरात्रों की तैयारियों को लेकर एक बैठक आयोजित की गई थी। बैठक का समय सुबह 11:30 बजे तय था, जिसमें सभी सदस्य समय पर पहुंच गए। लेकिन उपायुक्त मोनिका गुप्ता करीब 40 मिनट देरी से यानी 12:10 बजे पहुंचीं। इसी बात को लेकर ज्ञानचंद गुप्ता ने नाराज़गी जाहिर की और उपायुक्त पर सवाल उठाए।
उपायुक्त ने पलटकर जवाब दिया कि यह बैठक केवल अधिकारियों के साथ चर्चा करने के लिए बुलाई गई थी न कि सदस्यों के साथ। यह सुनते ही गुप्ता भड़क गए और बैठक बीच में ही छोड़कर बाहर चले गए। नतीजतन माहौल तनावपूर्ण हो गया और मामला सीधे मीडिया की सुर्खियों में आ गया।
हालांकि जब ज्ञानचंद गुप्ता बैठक छोड़कर बाहर निकले उसे समय बैठक में पंचकूला के मेयर कुलभूषण गोयल बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष बंतो कटारिया सहित कई अन्य सदस्य के साथ पंचकूला के कई अधिकारी भी मौजूद थे ।
उपायुक्त के सीधा जवाब देने की वजह से ज्ञान सिंह गुप्ता भड़क गए और बैठक से जब बाहर निकालगया तब उनको बनाने पंचकूला के एसडीएम चंद्रकांत कटारिया और माता मनसा देवी बोर्ड की सचिव शारदा प्रजापति भी उनके पीछे-पीछे बाहर निकली और उनसे दोबारा वापस बैठक में चलने के लिए कहा पर ज्ञानचंद गुप्ता ने दोनों को बैठक में जाने से इनकार कर दिया ।
पुराना विवाद फिर सतह पर
जानकार बताते हैं कि यह झड़प अचानक नहीं हुई। पिछले कई महीनों से दोनों के बीच खींचतान चल रही थी। सूत्रों के अनुसार, 2024 विधानसभा चुनाव में हार के बावजूद ज्ञानचंद गुप्ता प्रशासनिक कामकाज पर अपना दबदबा बनाए रखना चाहते थे और इसी कारण वे अक्सर अधिकारियों को दिशा-निर्देश देते रहते थे। यह रवैया उपायुक्त मोनिका गुप्ता को अखरता था।
बताया जाता है कि छोटे-छोटे कार्यों से लेकर वार्ड स्तर की समस्याओं तक, गुप्ता कई बार सीधे उपायुक्त को फोन कर हस्तक्षेप करते थे। मोनिका गुप्ता का मानना था कि निर्वाचित पार्षद सीधे उनसे मिल सकते हैं, लेकिन हारे हुए उम्मीदवार के दबाव में प्रशासनिक काम नहीं होना चाहिए। यही वजह थी कि बैठकें पहले भी कई बार तनावपूर्ण रही थीं, लेकिन बुधवार को मामला पहली बार बैठक कक्ष से बाहर निकलकर खुली चर्चा का विषय बन गया।
अब आगे क्या?
प्रशासनिक सूत्रों का दावा है कि हालात इतने बिगड़ गए हैं कि उपायुक्त मोनिका गुप्ता ने पंचकूला से ट्रांसफर की इच्छा जताई है। माना जा रहा है कि आने वाले समय में उनका तबादला संभव है। दूसरी ओर, ज्ञानचंद गुप्ता भी अपनी साख और राजनीतिक पकड़ को लेकर पीछे हटने के मूड में नहीं हैं।
अब देखना होगा कि यह टकराव आगे किस दिशा में बढ़ता है क्या उपायुक्त का ट्रांसफर होता है या फिर पूर्व विधायक को दबाव कम करना पड़ता है। फिलहाल इतना तय है कि पंचकूला का यह सत्ता बनाम प्रशासन का संघर्ष आने वाले दिनों में और सुर्खियां बटोरने वाला है।
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