एफआईआर के बिना जांच अब पूरी तरह बंद: पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के डीजीपी ने हाईकोर्ट में दाखिल किए हलफनामे
पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में अब पुलिस किसी भी शिकायत पर एफआईआर (FIR) दर्ज किए बिना जांच शुरू नहीं कर सकेगी। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के सख्त रुख के बाद तीनों राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के डीजीपी ने शपथपत्र दाखिल कर इस व्यवस्था को पूरी तरह समाप्त करने की जानकारी दी है। यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए की गई है।
हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी, कहा– सुप्रीम कोर्ट की खुली अवहेलना
हाईकोर्ट की जस्टिस एन.एस. शेखावत की बेंच में यह मामला उस वक्त सामने आया जब एक ही भूखंड विवाद पर तीसरी बार बिना एफआईआर जांच शुरू की गई थी। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह न केवल कानून की प्रक्रिया का उल्लंघन है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार केस में दिए गए स्पष्ट दिशा-निर्देशों की अवमानना भी है।
डीजीपी स्तर पर दाखिल हुए हलफनामे
- पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के डीजीपी द्वारा दिए गए हलफनामों में अदालत को बताया गया कि:
- थानों में पहले ऐसी कई शिकायतों पर एफआईआर दर्ज किए बिना जांच शुरू कर दी जाती थी।
- अब ऐसी सभी लंबित जांचों को तुरंत बंद कर दिया गया है।
- भविष्य में एफआईआर के बिना जांच शुरू करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन करने वालों को देना होगा हर्जाना
अदालत ने स्पष्ट किया कि एफआईआर के बिना जांच करने वाले पुलिस अधिकारियों को न सिर्फ जिम्मेदार ठहराया जाएगा, बल्कि ऐसे मामलों में यदि शिकायतकर्ता या आरोपी को मानसिक या कानूनी नुकसान हुआ, तो दोनों पक्षों को हर्जाना भी दिया जाएगा।
नागरिक अधिकारों का उल्लंघन माना गया
जस्टिस शेखावत ने विशेष रूप से मोहाली जैसे जिलों का जिक्र करते हुए कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों के पास एक ही विषय पर बार-बार अलग-अलग जांच कराना आरोपियों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। यह प्रक्रिया न्याय के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध है।
आगे क्या? अवमानना की कार्रवाई की चेतावनी
हाईकोर्ट ने भविष्य में इस आदेश का उल्लंघन करने पर संबंधित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल करने की चेतावनी दी है। अदालत ने दोहराया कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक प्राथमिक जांच सिर्फ विशेष मामलों (जैसे वैवाहिक विवाद, चिकित्सकीय लापरवाही आदि) में ही की जा सकती है—अन्य सभी मामलों में सीधे एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है।
न्यायिक सख्ती का संकेत
इस फैसले के बाद अब पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में बिना प्राथमिकी किसी भी जांच की शुरुआत कानूनी रूप से अमान्य होगी। इससे न केवल पुलिस की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा भी सुनिश्चित हो सकेगी।
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