स्वतंत्रता के 78 वर्षों की गौरवगाथा और भविष्य की दिशा
15 अगस्त 1947 केवल एक तारीख मात्र नहीं है, बल्कि यह करोड़ों भारतीयों के सपनों, बलिदानों और संघर्षों का परिणाम है।अंग्रेज़ी शासन की बेड़ियों से मुक्त होकर भारत ने लोकतंत्र, समानता और प्रगति की राह पकड़ी।इस क्रम में हम भारतीय इस बार 79 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। पिछले 78 वर्षों के दौरान हमारे देश ने आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक और हरेक क्षेत्र जैसे कि कृषि, अंतरिक्ष, व्यापार जगत, सेना, चिकित्सा, शिक्षा, तकनीक, इंफ्रास्ट्रक्चर- जैसे कि सड़क, बिजली, पानी सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति की है। कहना ग़लत नहीं होगा कि यह दिन हमें यह याद दिलाने का अवसर देता है कि बीते 78 वर्षों में हमने कितना लंबा सफर तय किया है और आने वाले वर्षों के लिए हमें किस दिशा में और कैसे आगे बढ़ना है। पिछले कुछ सालों में भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति की है।
आर्थिक क्षेत्र में प्रगति:- स्वतंत्रता के समय भारत की अर्थव्यवस्था कृषि-प्रधान और संसाधनों के अभाव में थी। आज भारत विश्व की एक बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। पाठकों को बताता चलूं कि हाल ही हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बेंगुलुरु में परिवहन से जुड़ी विभिन्न परियोजनाओं का शुभारंभ करते हुए यह बात कही है कि बीते 11 सालों में भारतीय अर्थव्यवस्था 10वें से पांचवें नंबर पर पहुंच गई है और अब दुनिया ने नए भारत का चेहरा देखा है।भारत आज विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।पाठक जानते होंगे कि कुछ समय पहले ही भारत जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है।उस समय नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने यह बात कही थी कि भारत अगले ढाई से तीन वर्षों में जर्मनी को तीसरे स्थान से हटा देगा। गौरतलब है कि दिल्ली में नीति आयोग की दसवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक के बाद मीडिया को जानकारी देते हुए उन्होंने कहा था कि आईएमएफ के आंकड़ों के अनुसार भारत ‘चार ट्रिलियन डॉलर’ की अर्थव्यवस्था है। उन्होंने उस समय यह कहा था कि केवल संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और जर्मनी की अर्थव्यवस्थाएँ ही भारत से बड़ी हैं।आईएमएफ ने अपनी कुछ समय पहले जारी एक रिपोर्ट में यह कहा था कि भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा।आईएमएफ ने कुछ समय पहले ही वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में यह कहा था कि भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है और अगले दो वर्षों में 6 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर हासिल करने वाला एकमात्र देश है। आईएमएफ के अनुसार, भारत का सकल घरेलू उत्पाद वर्तमान में 4.3 ट्रिलियन डॉलर है। 2015 में भारत की जीडीपी 2.1 ट्रिलियन डॉलर थी, तब से अब तक देश की अर्थव्यवस्था दोगुनी से भी ज़्यादा हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार, तेज़ विकास दर के कारण भारत की जीडीपी 2028 तक बढ़कर 5.5 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी और जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी।
औद्योगिक विकास: आज हमारे देश में ऑटोमोबाइल, इस्पात, सीमेंट, रसायन, सूचना प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी और विनिर्माण उद्योग में विश्वस्तरीय उत्पादन हो रहा है। आंकड़े बताते हैं कि साल 1994 से 2025 तक, औद्योगिक उत्पादन में औसत वृद्धि 5.94% रही है तथा जून 2025 में, औद्योगिक उत्पादन पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 1.50% बढ़ा है। कहना ग़लत नहीं होगा कि 2025 में भारत में कई उद्योगों जैसे कि फार्मास्यूटिकल्स, स्वास्थ्य सेवा, नवीकरणीय ऊर्जा, बुनियादी ढांचा, उपभोक्ता वस्तुएँ, और प्रौद्योगिकी और आईटी में अभूतपूर्व प्रगति हुई है।एक उपलब्ध जानकारी के अनुसार भारत का दवा बाजार 2030 तक 130 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। आज भारत में सौर, पवन और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश लगातार बढ़ रहा है। सरकार बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जिससे सड़कों, रेलवे, बंदरगाहों और हवाई अड्डों के निर्माण में तेजी आई है। शहरी उपभोग में वृद्धि के कारण उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं (जैसे टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन) की मांग बढ़ी है। देश में सॉफ्टवेयर, आईटी सेवाओं और डिजिटल भुगतान जैसे क्षेत्रों में वृद्धि हो रही है।खनन, विनिर्माण, बिजली जैसे उधोगों में वृद्धि दर्ज की जा रही है। इतना ही नहीं, सीमेंट, इस्पात, मशीनरी और उपकरण,मोटर वाहन तथा कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक और ऑप्टिकल उत्पादों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
कृषि क्षेत्र: हरित क्रांति, श्वेत क्रांति और हाल के वर्षों में डिजिटल कृषि ने भारत को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बना दिया। गौरतलब है कि भारत में कृषि क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें 2022-23 में 330.5 मिलियन मीट्रिक टन खाद्यान्न उत्पादन हुआ तथा इस साल यानी कि 2025 तक भारतीय कृषि क्षेत्र का बाजार आकार 24 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। यह महत्वपूर्ण और अहम् है कि साल 2000 से 2024 तक कृषि सेवा क्षेत्र ने 3.08 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित किया है,जो भारत की एक बड़ी उपलब्धि है। गौरतलब है कि साल 2024-25 (अप्रैल-मई) में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों का निर्यात 4.34 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। पाठकों को बताता चलूं कि भारत में 179.8 मिलियन हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है, जो दुनिया में सबसे बड़ी है। भारत में 11% विश्व की कृषि योग्य भूमि है, लेकिन यह विश्व की 18% आबादी को भोजन प्रदान कर रहा है।कृषि क्षेत्र में निवेश और निर्यात दोनों में वृद्धि हो रही है। आज भारत में चावल, गेहूं, मक्का, और दालों का बड़े पैमाने पर उत्पादन हो रहा है।
व्यापार एवं निर्यात: आज भारत सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं का अग्रणी निर्यातक है। हमारे सॉफ्टवेयर इंजीनियर और तकनीकी विशेषज्ञ विश्वभर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं।
अंतरिक्ष और विज्ञान:- स्वतंत्रता के शुरुआती दशकों में जब भारत अंतरिक्ष विज्ञान में शून्य पर था, तब 1969 में इसरो की स्थापना हुई। आज चंद्रयान, मंगलयान, गगनयान जैसे अभियानों ने हमें विश्व पटल पर सम्मान दिलाया है। चंद्रयान-3 की सफलता ने भारत को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बना दिया। कुछ समय पहले ही भारत और अमेरिका ने संयुक्त रूप से विकसित ‘निसार’ उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया है। यह प्रक्षेपण भारत-अमेरिका अंतरिक्ष सहयोग में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. निसार उपग्रह पृथ्वी की भूमि, बर्फ और जल की सतहों में होने वाले सूक्ष्म परिवर्तनों का पता लगाने में सक्षम होगा, जिससे प्राकृतिक और मानव-जनित खतरों की भविष्यवाणी करने में मदद मिलेगी। इतना ही नहीं, उपग्रह प्रक्षेपण, मौसम पूर्वानुमान, दूरसंचार और रक्षा तकनीक में हमारी क्षमताएं कई विकसित देशों के बराबर हैं। यहां पाठकों को बताता चलूं कि अगले कुछ महीनों में, एक ऐसा देश, जिसे अमेरिका से छोटा रॉकेट मिला था, वह अपने रॉकेट से करके भारत से अमेरिका द्वारा निर्मित 6,500 किलोग्राम का संचार उपग्रह लॉंच करने जा रहा है। यह हमारे देश की एक महत्वपूर्ण प्रगति है। 50 वर्ष पहले जिस देश के पास उपग्रह प्रौद्योगिकी नहीं थी, उसी इसरो ने आज तक अपने रॉकेटों से 34 देशों के 433 उपग्रहों को लॉंच किया है।
सैन्य शक्ति और सुरक्षा:- स्वतंत्रता के बाद भारत ने अपनी सैन्य ताकत को लगातार बढ़ाया। आज भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना विश्व की सबसे सशक्त सेनाओं में शामिल हैं।इसी वर्ष भारत ने पाकिस्तान पर ‘आपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया। पाठकों को बताता चलूं कि ऑपरेशन सिंदूर 7 मई, 2025 को शुरू किया गया था, यह पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा की गई एक सैन्य प्रतिक्रिया थी।इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई थी। ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य सीमा पार आतंकवाद को रोकना और आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले करना था।ऑपरेशन सिंदूर भारत की एक सामरिक सफलता थी।इसने भूमि, वायु और समुद्र में उच्च परिशुद्धता, समन्वित सैन्य कार्रवाई कर भारत की क्षमता का प्रदर्शन किया। इतना ही नहीं, आजआत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत हथियार, मिसाइल, लड़ाकू विमान और नौसैनिक जहाज का निर्माण देश में ही किया जा रहा है। इतना ही नहीं, शांति स्थापना मिशनों में भी भारत की भूमिका सराहनीय रही है।
चिकित्सा और स्वास्थ्य क्षेत्र:- स्वतंत्रता के समय चिकित्सा सुविधाएं सीमित थीं, लेकिन आज भारत चिकित्सा पर्यटन का केंद्र बन चुका है। टीका उत्पादन में भारत विश्व अग्रणी है। कोविड-19 महामारी के दौरान ‘वैक्सीन मैत्री’ अभियान ने हमारे वैश्विक योगदान को दर्शाया। ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं, आयुष्मान भारत योजना और डिजिटल हेल्थ मिशन जैसे प्रयासों ने आम नागरिक तक स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाई है।आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन ने देशभर में 79.91 करोड़ से अधिक आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट्स बनाकर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
शिक्षा और अनुसंधान:- आज भारत में आईआईटी, आईआईएम, एम्स, इसरो, डीआरडीओ, सीएसआईआर जैसे संस्थान विश्वस्तरीय अनुसंधान और शिक्षा में योगदान दे रहे हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने शिक्षा को आधुनिक, बहुभाषी और तकनीकी रूप से उन्नत बनाने का मार्ग प्रशस्त किया। आज देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2025, लागू की गई है,जिसका मुख्य उद्देश्य शिक्षा प्रणाली में सुधार करना, 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुसार इसे ढालना और छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करना है।
इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएं:- आजादी के समय जहां सड़कों और बिजली की भारी कमी थी, वहीं आज भारत में हजारों किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग, मेट्रो रेल नेटवर्क, पुल और स्मार्ट सिटीज़ का विकास हो चुका है। बिजली उत्पादन और वितरण में बड़े सुधार हुए हैं। जल जीवन मिशन के तहत हर घर तक पाइप से पानी पहुंचाने का लक्ष्य तेजी से पूरा हो रहा है।सच तो यह है कि आज भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर
जैसे कि डिजिटल, परिवहन, ऊर्जा और ग्रामीण विकास पर लगातार जोर दिया जा रहा है।
डिजिटल क्षेत्र में, यूपीआई लेनदेन में तेजी से वृद्धि हुई है, 2016 में ₹707.93 करोड़ से बढ़कर दिसंबर 2024 में ₹23,24,699.91 करोड़ हो गया है। ग्रामीण कनेक्टिविटी में भी सुधार हुआ है, जल जीवन मिशन ने 79.74% ग्रामीण घरों को नल के पानी के कनेक्शन प्रदान किए हैं। इसके अतिरिक्त, 2014 से 2024 तक मेट्रो रेल नेटवर्क 248 किमी से बढ़कर 993 किमी हो गया है।
सामाजिक बदलाव:- बीते दशकों में महिलाओं की शिक्षा, रोजगार और सुरक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण, सामाजिक न्याय और समान अवसर की दिशा में अहम कदम रहा।डिजिटल क्रांति ने गांव-गांव तक इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग पहुंचाकर नई संभावनाएं खोली हैं।
चुनौतियां और भविष्य की दिशा:- प्रगति के साथ-साथ बेरोजगारी, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, ग्रामीण-शहरी असमानता और सामाजिक विभाजन जैसी चुनौतियां भी सामने हैं।
आने वाले वर्षों में हमें ये सब करना होगा:— आज हम 79 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। वर्ष 2047 तक हमें हमारे देश को विकसित देश बनाना है। इसके लिए हमें देश में हरित ऊर्जा को अपनाना होगा।कौशल विकास पर जोर देना होगा।साथ ही साथ, शिक्षा और स्वास्थ्य को और मजबूत करना होगा तथा सामाजिक सद्भाव बनाए रखना होगा।
निष्कर्ष:- अंत में यही कहूंगा कि 78 वर्षों की यात्रा भारत की संघर्ष, संकल्प और सफलता की कहानी है। यह केवल आंकड़ों या योजनाओं का सार नहीं, बल्कि 140 करोड़ नागरिकों की मेहनत, नवाचार और सपनों का परिणाम है। इस 79वें स्वतंत्रता दिवस पर हमें यह प्रण लेना चाहिए कि हम देश की प्रगति को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में अपना योगदान देंगे, ताकि आने वाली पीढ़ियां एक सशक्त, समृद्ध और सुखी भारत में सांस लें।
सुनील कुमार महला, फ्रीलांस राइटर, कालमिस्ट व युवा साहित्यकार, उत्तराखंड।
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