पहले भारत के खिलाफ उगला जहर, अब 4 महीने में दूसरी बार भागे-भागे भारत क्यों आए मुइज्जू? जानिए ‘बैकफुट’ पर आने की वजह
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू दूसरी बार भारत दौरे पर आए हुए हैं। आज वो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। इससे पहले मुइज्जू चार महीने पहले जुलाई में भारत दौरे पर आए थे। हालांकि, जिस व्यक्ति ने भारत विरोधी बयान और ‘इंडिया आउट’ कैंपेन चलाकर अपनी राजनीति की रोटियां सेकी थीं, उसे ऐसी क्या जरूरत पड़ गई कि इतनी जल्दी दूसरी बार भारत दौरे पर आना पड़ा? चलिए जानते हैं इसके पीछे का गणित।
मालदीव के राष्ट्रपति को अब इस बात का एहसास हो चुका है कि वो भारत के बिना अपने देश का भविष्य सुरक्षित नहीं कर सकते। उदाहरण के तौर पर, जब उनके कुछ मंत्रियों ने बीते साल प्रधानमंत्री मोदी पर अभद्र टिप्पणी की थी, उसके बाद भारतीय पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आई। नतीजतन, मालदीव का टूरिज्म सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ। मालदीव की आय का मुख्य स्रोत पर्यटन है, और जब भारतीय पर्यटकों ने मालदीव जाना कम कर दिया, तो इसका सीधा असर विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ा, जो घटकर लगभग 40 करोड़ डॉलर रह गया।
अब जानते हैं कि और किन कारणों से मालदीव भारत पर निर्भर है:
मालदीव भारत पर क्यों निर्भर है?
- रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र: मालदीव की सुरक्षा के लिए भारत अहम भूमिका निभाता है। 1988 से ही भारत मालदीव को डिफेंस सपोर्ट देता आ रहा है। 2016 में इस संबंध को और मजबूत करने के लिए एक समझौता भी हुआ था। भारत मालदीवियन नेशनल डिफेंस फोर्स (MNDF) की डिफेंस ट्रेनिंग में काम आने वाले 70% उपकरण प्रदान करता है। बीते 10 सालों में MNDF के 1,500 से ज्यादा सैनिकों को भारत से ट्रेनिंग मिली है।
- इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास: भारत ने कई बड़े प्रोजेक्ट्स जैसे एयरपोर्ट्स और कनेक्टिविटी के निर्माण में मदद की है। ग्रेटर माले इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसमें भारत ने 50 करोड़ डॉलर की राशि दी है।
- स्वास्थ्य क्षेत्र: मालदीव में कैंसर अस्पताल के निर्माण में भारत ने 52 करोड़ रुपये दिए, जिसका नाम इंदिरा गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल है।
- शिक्षा क्षेत्र: भारत ने 1996 में मालदीव में टेक्निकल एजुकेशन इंस्टीट्यूट स्थापित करने में भी मदद की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में भारत और मालदीव के बीच व्यापार चार गुना बढ़ा है, जो 17 करोड़ से बढ़कर 50 करोड़ डॉलर हो गया है।
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