“जल है तो कल है”, इसे बचाने के लिए सबको प्रयास करने होंगे- ओ पी सिहाग
सारे संसार के प्राणियों से लेकर पेड़ पौधों के जीवित रहने के लिए हवा के बाद सबसे जरूरी कोई चीज है तो वो है पानी यानि “जल है तो कल है” इस बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दे बारे चर्चा करते हुए पीपल्स फ्रंट पंचकूला के अध्यक्ष एवं सामाजिक कार्यकर्ता ओ पी सिहाग ने कहा कि संसार में पानी से क़ीमती कोई चीज नहीं है ।उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया भर मे जिस प्रकार से पानी का दोहन हो रहा है, पानी बर्बाद हो रहा है तथा जलवायु परिवर्तन हो रहा है उससे 2030 तक पूरे विश्व में पानी की कमी के कारण लगभग 70 करोड़ लोग अपना घर छोड़ने को विवश हो जाएंगे ।उन्होंने कहा कि एक रिपोर्ट के मुताबिक 2025 के आखिर तक पूरी दुनियां में 125 करोड़ लोग पानी के संकट से जूझने पर मजबूर होंगे। सिहाग ने कहा कि दक्षिणी अफ्रीका के शहर केपटाउन में पानी बिल्कुल खत्म हो चुका है तथा अगर यही हालात रहे तो दुनिया में बहुत से शहरों में पानी बिल्कुल खत्म हो जाएगा । उन्होंने कहा कि भारत के इंदौर तथा जयपुर शहर भी जल्दी ही पानी की समस्या से जूझते नजर आयेंगे। भारत समेत सारी दुनिया के सामने घटते पानी का मुद्दा सबसे बड़ा मुद्दा है तथा आने वाले भविष्य में मानव जाति ,प्राणियों तथा वनस्पति के अस्तित्व के लिए संकट का कारण बन सकता है।
ओ पी सिहाग ने कहा कि अगर हम पूरे ब्रम्हाण्ड की बात करे तो धरती का 71 प्रतिशत भाग पानी से ढका है। धरती पर इतना ज्यादा पानी होने के बावजूद केवल 3 प्रतिशत पानी ही पीने के योग्य है जिसमें से 2.4 प्रतिशत पानी ग्लेशियरो , उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव में जमा हुआ है तथा केवल 0.6 प्रतिशत पानी नदियों, झीलों तथा तालाबों में उपलब्ध है। बाकी बचा हुआ 97 प्रतिशत पानी सागरों, महासागरों में उपलब्ध है जो नमकीन तथा खारा है और पीने के योग्य नहीं है। अगर हम भारत की बात करे तो उपलब्ध पानी में से केवल 10 प्रतिशत पानी ही पीने के योग्य है । उन्होंने कहा कि देश में नदियों का ज्यादातर पानी समुद्र में या व्यर्थ में बह जाता है ।उन्होंने कहा कि एक स्टडी के अनुसार उत्तर भारत में पिछले दो दशकों में ही ज्यादा दोहन के कारण 450 घन किलोमीटर भूजल घट गया है ।
ओ पी सिहाग ने कहा कि अगर हम बात करे हमारे प्रदेश हरियाणा की तो दक्षिणी हरियाणा में स्थित फरीदाबाद, गुरुग्राम,मेवात, पलवल, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़,चरखी दादरी ,भिवानी आदि जिलों में पानी की उपलब्धता धीरे धीरे कम होती जा रही है। जहां इन जिलों में सतही जल की कमी है वहीं भूजल भी काफी कम मात्रा में उपलब्ध है अगर मिलता भी है तो पीने के लायक नहीं है। सिहाग ने कहा कि जिस तरीके से भूजल का दोहन हो रहा है पूरे प्रदेश में कुल 141 ब्लॉको में से 85 ब्लॉको को भू जल के अति ज्यादा दोहन के कारण डार्क जोन घोषित कर दिया गया है। इन क्षेत्रो में भू जल 40 मीटर से भी ज्यादा नीचे चला गया है। प्रदेश के काफी हिस्सों में भूजल काफी नमकीन है तथा प्रयोग करने के लायक नहीं है। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस वक्त प्रदेश के कुल 7287 गांवों में से 6150 गांवों में भू जल नीचे जाता जा रहा है तथा कई क्षेत्रों में एक हजार से भी ज्यादा गहराई में भी पानी उपलब्ध नहीं है।
हरियाणा को पीने व फसलों की सिंचाई के लिए सालाना 34 लाख करोड़ लीटर पानी की आवश्यकता है पर पानी केवल 20 लाख करोड़ लीटर सतही एवं भूजल उपलब्ध है तथा हर साल 14 लाख करोड़ लीटर पानी की कमी है। जिस ढंग से पूरे प्रदेश में अर्बननाईजैसन बढ़ रहा है ये डिमांड अगले दो सालों में 9.63 लाख करोड़ लीटर अतिरिक्त रूप से बढ़ जाएगी। अगर हम बात करे नदियों तथा नहरों से मिलने वाले पानी की तो प्रदेश को चार मुख्य नदियों से पानी का हिस्सा मिलता है। सतलुज नदी से मिलने वाले पानी का हिस्सा है 5,42,700 करोड़ लीटर , पानी मिलता है 4,70,000 करोड़ लीटर। रावी-ब्यास के पानी में प्रदेश का कुल शेयर 4,31,700 करोड़ लीटर है पर पानी मिलता है 2,13,000 करोड़ लीटर ।यमुना नदी से मिलने वाला शेयर 5,13,000 करोड़ लीटर है पर पानी मिलता है 4,38,000 करोङ लीटर तथा घगर से मिलने वाला पानी का पूरा हिस्सा 47800 करोड़ लीटर मिलता है जो ज्यादातर बारिश के दिनों में बहकर पाकिस्तान चला जाता है । इस प्रकार प्रदेश को चारो नदियों से कुल मिलने वाले 15,95,200 करोड़ लीटर के मुकाबले 11,68,800 करोड़ लीटर पानी मिलता है। पहले कुछ पानी राजस्थान से बहकर आने वाली साहबी तथा कृष्णावती नदियों से भी दक्षिणी हरियाणा को मिलता था जो अब राजस्थान सरकार द्वारा बांध बनाने के कारण उपलब्ध नहीं है। बाकी पानी भूजल तथा जलाशयों, तालाबों से उपलब्ध होता है।
ओपी सिहाग ने कहा कि हरियाणा प्रदेश में थोङे से हिस्से को छोड़कर ज्यादातर जमीन समतल है तथा अच्छी खेती होती है जिसके लिए सिंचाई हेतू पानी की उपलब्धता जरूरी है इसके अलावा जिस प्रकार से प्रदेश में बड़ी रफ्तार से शहरीकरण तथा औद्योगिकीकरण हो रहा है उसके लिए अतिरिक्त पानी की जरूरत पड़ेगी। सिहाग ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा पीने के पानी की सप्लाई की जाती है तथा शहरी क्षेत्र में 135 लिटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन एवं ग्रामीण क्षेत्र में 55 लिटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन पानी की मात्रा उपलब्ध करवाई जा रही है। पीने का पानी प्रदेश भर में उपलब्ध कराने के लिए सरकार अरबों रुपये खर्च करने पड़ते हैं। उदाहरण के तौर पर पंचकूला में जो विभाग घरों में पानी सप्लाई कर रहा है उसको स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के लिए अनुमानित 15 रुपये प्रति किलो लीटर से ज्यादा का खर्चा करना पड़ रहा है ।
ओपी सिहाग ने चिंता जताते हुए कहा कि यदि इसी प्रकार भूजल का दोहन होता रहा , बारिश भी कम हुई तथा पानी की डिमांड बढती रही तो आने वाले सालों में प्रदेश में पानी का संकट आना लाजमी है। उन्होंने कहा कि जिंदगी जीने के लिये हवा के बाद सबसे जरूरी कोई चीज है तो वो है पानी। हमे अपने खुद के तथा आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को लेकर चिंतित होना चाहिए तथा पानी जो जीवन जीने के लिए, जिवित रहने के लिए बेहद अहम है उसको सहेज कर रखना होगा, पानी की फिजूल खर्ची पर अंकुश लगाया होगा । सिहाग ने कहा कि बरसात के पानी को जिस तरह हमारे पूर्वज जोहड़ो, तालाबों, बावङियो, कुंडों में संचित करते थे वहीं प्रणाली फिर शुरू करनी होगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को भी बारिश के पानी को रोकने के लिये जरूरत के हिसाब से प्रदेश भर में डैम बनाने होंगे, ग्रे वाटर को दोबारा से इस्तेमाल करने बारे बड़े पैमाने पर तरीके इजाद करने होंगे। भूजल की मात्रा बढ़ाने के लिए नई तकनीक से भूमि में पानी रिचार्ज करना होगा। सरकार को बड़े बड़े हाउसिंग कॉम्प्लेक्सिस, औद्योगिक इकाईओ , सरकारी कार्यालयो, बड़े प्रतिष्ठानो के प्रांगणो में भूमिगत पानी को रिचार्ज करने बारे सख्त कानून बनाने होंगे। सिहाग ने कहा कि पानी को बचाने की मुहिम में आमजन को शामिल होना होगा तथा हम सभी को य़ह याद रखना होगा कि “जल है तो कल है “।
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