होली पर बन रहे हैं शुभ योग, वहीं भद्राकाल के कारण 24 मार्च को रात्रि में 11:13 बजे के बाद होगा होलिका दहन : पं. रामकिशन महाराज
होली पर लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत में नहीं देगा दिखाई : पं. रामकिशन महाराज
होली हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। यह दो दिवसीय त्योहार है पहले दिन होलिका दहन किया जाता है और दूसरे दिन रंग खेला जाता है, जिसे धुलण्डी भी कहते हैं। प्राचीन छपारिया हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित रामकिशन महाराज गोवर्धन-मथुरा वाले के अनुसार अबकी बार छोटी होली 24 मार्च को मनाई जाएगी और 24 मार्च को इस दिन ही होलिका दहन के समय भद्रा भी लग रही है जिससे होलिका दहन रात्रि के दौरान देर रात्रि होगा। उन्होंने बताया कि होली पर्व के साथ ब्रज की होली दुनिया भर में प्रसिद्ध है। ब्रज के मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन, गोकुल, नंदगांव और बरसाना में होली के त्योहार में शामिल होने के लिए दुनिया भर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। इसमें भी बरसाना की लट्ठमार होली तो निराली है। होली का त्योहार दो दिन मनाया जाता है। होली के पहले दिन सूर्यास्त के बाद शुभ मुहूर्त में होलिका दहन किया जाता है और इस दिन को छोटी होली के नाम से जाना जाता है। होली के दूसरे दिन को रंग खेलते हैं। सूखे गुलाल और पानी के रंगों का उत्सव मनाते हैं। मौज-मस्ती के कारण दूसरे दिन को ही होली का मुख्य दिन माना जाता है। इसे रंगोंवाली होली या धुलण्डी के नाम से भी जानते हैं। पंडित रामकिशन महाराज ने बताया कि इस त्योहार में होलिका दहन वैधानिक रूप से ज्योतिष गणना के बताए गए नियमों के अनुसार करने की रीति है। ऐसे में इस बार होलिका दहन किए जाने और उसके बाद रंगोत्सव मनाए जाने को लेकर लोगों के मन में द्वंद की स्थिति बरकरार है। पंडित रामकिशन महाराज का कहना था कि पंचांग अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 24 मार्च रविवार की प्रातः 9 बजकर 24 मिनट से आरंभ होकर 25 मार्च सोमवार को दिन में 11 बजकर 31 मिनट तक है। उनका कहना था कि भद्राकाल की बात करें तो यह भी पूर्णिमा तिथि के आगमन से रात्रि 11 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। छपारीया हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित रामकिशन महाराज ने बताया कि धर्म शास्त्रों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि ‘रात्रौ भद्रा वसाने तू होलिका दीप्यते तदा’। यानि कि होलिका दहन तीन शास्त्रीय नियमों के अनुसार किया जाना चाहिए। इसमें फाल्गुन शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि हो तथा प्रदोष रात्रि का समय हो एवं भद्रा बीत चुकी हो। अतः उपयुक्त तीनों नियमों का पालन करते हुए अबकी बार 24 मार्च रविवार की रात्रि 11 बजकर 13 मिनट के बाद और रात्रि 12 बजकर 20 मिनट तक होलिका दहन का मुहूर्त शास्त्रीय नियमों के अनुसार उत्तम है। धुलण्डी 25 मार्च को मनाई जाएगी।
होली पर शुभ योग, होलिका दहन का शुभ मुहूर्त….
पंडित रामकिशन महाराज ने बताया कि होली पर दो शुभ योग बन रहे हैं। वृद्धि योग रात 9 बजकर 30 मिनट तक है, जबकि ध्रुव योग का समय 24 मार्च को पूरे दिन है। वहीं होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 13 मिनट से रात्रि 12 बजकर 20 मिनट तक है।
होलाष्टक हुए प्रारंभ….
पंडित रामकिशन महाराज ने बताया कि होलाष्टक गत दिवस रविवार से प्रारंभ हो चुके हैं। होलाष्टक शब्द होली और अष्टक दो शब्दों से मिलकर बना है। जिसका अर्थ होता है होली के आठ दिन। होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी से शुरू होकर फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तक रहता है। इसी दिन से होली उत्सव के साथ-साथ होलिका दहन की तैयारियां भी शुरू हो जाती है। पंडित रामकिशन महाराज का कहना था कि होलाष्टक के दौरान सभी ग्रह उग्र स्वभाव में रहते हैं, जिसके कारण शुभ कार्यों का अच्छा फल नहीं मिल पाता है। इसलिए रविवार 17 मार्च से होलिका दहन तक सभी मांगलिक कार्य बंद हो गए हैं। उनका कहना था कि होलाष्टक के पहले दिन यानी अष्टमी को होलिका दहन वाले स्थान पर गोबर, गंगाजल आदि से लिपाई की जाती है। साथ ही वहां पर होलिका का डंडा लगा दिया जाता था, जिसे हरियाणा की भाषा में होली का डंडा गाड़ना भी कहते हैं। जिनमें एक को होलिका और दूसरे को प्रह्लाद का प्रतीक माना जाता है। होलिका दहन करते समय प्रह्लाद को अग्नि से बाहर निकालकर उनकी शीतल जल से पूजा की जाती है।
उग्र रहते हैं सभी ग्रह….
पंडित रामकिशन महाराज के अनुसार होलाष्टक के दौरान अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहु उग्र स्वभाव में रहते हैं। इन ग्रहों के उग्र होने के कारण मनुष्य की मानसिक स्थिति पर नकारात्मक बदलाव आता है जिससे उसकी निर्णय लेने की क्षमता भी कमजोर हो जाती है जिसके कारण कई बार उससे गलत निर्णय भी हो जाते हैं। इस कारण हानि की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए जनमानस को इन आठ दिनों में महत्वपूर्ण कार्यों का निर्णय लेने से बचना चाहिए और यदि जरूरी हो तो बहुत अधिक सतर्क रहकर निर्णय लेने चाहिए।
होलाष्टक में क्या न करें….
पंडित रामकिशन महाराज ने बताया कि किसी भी शुभ कार्य में सफलता के लिए ग्रहों का मजबूत होना जरूरी है। इसलिए इन दिनों में ग्रहों की कमजोर स्थिति की वजह से मांगलिक कार्य न करने की सलाह दी जाती है। इस समय विशेष रूप से विवाह, वाहन खरीद, नए निर्माण व नए कार्यों को आरंभ नहीं करना चाहिए अर्थात् इन दिनों में किए गए कार्यों से कष्ट, अनेक पीड़ाओं की आशंका रहती है तथा विवाह आदि संबंध विच्छेद और कलह का शिकार हो जाते हैं या फिर अकाल मृत्यु का खतरा या बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है।
होलाष्टक में क्या करें….
पंडित रामकिशन महाराज ने बताया कि शास्त्रों में उल्लेख है कि इन दिनों में दान करने से तीर्थों में स्न्नान करने जितना पुण्य फल मिलता है। इन आठ दिनों में ईश्वर के निमित्त जो पूजा-पाठ, व्रत, दान-स्न्नान आदि किए जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है और प्रभु की भक्ति करने वाले के सभी पाप मिट जाते हैं। इस दौरान जरूरतमंद लोग, गरीबों, ब्राह्मणों, बीमार पशुओं की सेवा करने का बहुत महत्व है। होलाष्टक में दान के साथ ही भगवान विष्णु के मंत्र जाप करना भी लाभकारी माना गया है। इसलिए इन दिनों के चलते व्यक्ति को तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज, मछली, अंडा और मांस-मदिरा आदि से दूर रहना चाहिए और शुद्ध शाकाहारी भोजन करने का प्रयत्न करना चाहिए।
होली पर बन रहा है महालक्ष्मी राजयोग…
पंडित रामकिशन महाराज ने बताया कि होली पर बन रहा महालक्ष्मी राजयोग से कुछ राशि वालों को धन लाभ और भाग्योदय के प्रबल योग बन रहे हैं। उनका कहना था कि वैदिक पंचांग की गणना के मुताबिक इस वर्ष होली पर कई तरह के योग बनने जा रहे हैं। होली पर जहां एक तरफ चंद्र ग्रहण लगेगा वहीं शुक्र और मंगल की युति से होली पर महालक्ष्मी राजयोग बनने जा रहा है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में महालक्ष्मी राजयोग को बहुत ही शुभ माना गया है। वैदिक राजयोग बनने से व्यक्ति के जीवन में धन लाभ और सफलता के योग बनते हैं। इस वर्ष होली 25 मार्च को है और शुक्र-मंगल की युति भी रहेगी। महालक्ष्मी राजयोग के निर्माण से कुछ राशि के जातकों के अच्छे और शुभ दिन शुरू होने के प्रबल संकेत हैं। जीवन में सुख-शांति, सफलता और आर्थिक स्थिति में सुधार के योग बन रहे हैं।
होली पर महालक्ष्मी राजयोग बनने से किन-किन राशियों को फायदा मिल सकता है….
तुला राशि….
पंडित रामकिशन महाराज का कहना था कि तुला राशि के जातकों के लिए महालक्ष्मी राजयोग किसी तरह से वरदान से कम नहीं है। आपकी राशि में यह राजयोग आपकी राशि से पंचम भाव पर बनने जा रहा है। आपको कई तरह की सफलताएं मिलने के योग बन रहे हैं। शुभ समाचारों की प्राप्ति हो सकती है। नौकरी-पेशा जातकों को नई नौकरी के एक से ज्यादा प्रस्ताव मिल सकते हैं ऐसे में आपको किसी एक का चुनाव करना होगा। कारोबार करने वाले जातकों के मुनाफे में अच्छी वृद्धि होगी भाग्य का अच्छा साथ मिलेगा और आर्थिक मोर्चे पर आपको लाभ होगा।
वृश्चिक राशि….
पंडित रामकिशन महाराज ने बताया कि वृश्चिक राशि में महालक्ष्मी राजयोग राशि से चौथे भाव पर बनने जा रहा है। इस राशि के जातकों के लिए यह योग बहुत ही शुभ और लाभदायक रहने वाला होगा। भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि के योग बन रहे हैं। यह जातक इस दौरान कई तरह के लग्जरी सुख को भोगने का सपना पूरा हो सकता है। निवेश किए गए धन में अच्छी ग्रोथ हो सकती है। कार्यक्षेत्र में इनके कार्यों की प्रशंसा मिलेगी और नौकरी-पेशा जातकों को प्रमोशन और वेतन में वृद्धि के योग दिखाई पड़ रहे हैं।
कुंभ राशि….
पंडित रामकिशन महाराज के अनुसार कुंभ राशि में शुक्र-मंगल की युति होने से महालक्ष्मी राजयोग आपकी लग्न में बनने जा रहा है। इससे कुंभ राशि के जातकों को भाग्य का अच्छा साथ मिलेगा, मनचाहा कार्य सफल होगा। धन लाभ के बेहतरीन मौके मिलेंगे। साझेदारी में किया जाने वाला कार्य आगे बहुत ही प्रगति करेगा। शादीशुदा जातकों को वैवाहिक जीवन में सुखद अनुभूति की प्राप्ति होगी। साहस और पराक्रम में वृद्धि होगी। काम के सिलसिले में कई तरह के अच्छे प्रस्ताव आ सकते हैं।
होली पर चंद्रग्रहण भारत में नहीं देगा दिखाई….
इस बार होली के दिन ही चंद्र ग्रहण लग रहा है इसके बारे में प्राचीन छपारिया हनुमान मंदिर के पुजारी पंडित रामकिशन महाराज गोवर्धन-मथुरा वाले से जाना की कब लगेगा चंद्र ग्रहण और क्या होली पर सूतक काल भी लगेगा जिस पर उनका कहना था कि चंद्र ग्रहण के कारण होली का त्योहार थोड़ा बेरंग रहेगा, क्योंकि 25 मार्च सोमवार को होली के दिन ही साल का पहला चंद्र ग्रहण कन्या राशि में लगेगा। चंद्र ग्रहण सुबह 10 बजकर 24 मिनट से दोपहर 03 बजकर 01 मिनट तक यानी कुल 4 घंटे 36 मिनट तक रहेगा। हालांकि यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए सूतक काल भी भारत देश में मान्य नहीं होगा। इसमें पूजा-पाठ, शुभ और मांगलिक कार्य भी बंद नहीं होंगे। साल का पहला चंद्र ग्रहण उत्तर-पूर्व एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, जापान, रूस, आयरलैंड, इंग्लैंड, स्पेन, पुर्तगाल, इटली, प्रशांत, अटलांटिक और आर्कटिक महासागर आदि स्थानों पर दिखाई देगा।
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