भारतीय अस्मिता, राष्ट्रीय एकता और साहित्यिक समृद्धि का उत्सवः गांधीनगर हिंदी सम्मेलन
हिंदी हमारे देश की आन-बान-शान है। यह हमारे देश की प्रथम राजभाषा है। पाठकों को बताता चलूं कि इस बार राजभाषा विभाग द्वारा हिंदी दिवस-2025 एवं पांचवां अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का आयोजन दिनांक 14-15 सितंबर, 2025 को महात्मा मंदिर कन्वेंशन एवं एग्जिबिशन सेंटर, गांधीनगर, गुजरात में किया जा रहा है। इस समारोह की अध्यक्षता माननीय केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह जी करेंगे।
विभिन्न मंत्रालयों/विभागों/बैंकों/उपक्रमों/स्वायत्त संस्थानों/संवैधानिक निकायों/बोर्डों/संबद्ध कार्यालयों/अधीनस्थ कार्यालयों के प्रमुख, राजभाषा से जुड़े सभी कार्मिकों और राजभाषा का काम देख रहे अन्य अधिकारी/कर्मचारी इस सम्मेलन में अपनी प्रतिभागिता सुनिश्चित करेंगे। हिंदी और इससे जुड़े लोगों के लिए यह बहुत ही पावन और बड़ा अवसर होगा, जब एक ही मंच पर देश के विभिन्न हिस्सों से लोग एक साथ जुड़ेंगे। वास्तव में, यह सम्मेलन केवल भाषाई चर्चा भर नहीं है, बल्कि भारतीय अस्मिता, राष्ट्रीय एकता और साहित्यिक समृद्धि का उत्सव है।
यहाँ देशभर से विद्वान, लेखक, पत्रकार, शिक्षाविद और हिंदी प्रेमी एकत्र होकर भाषा के विकास, उसके उपयोग, आधुनिक तकनीक में हिंदी की भूमिका तथा युवाओं में हिंदी के प्रचार-प्रसार पर विचार करते हैं। बहरहाल, बहुत कम लोग जानते होंगे कि 600 मिलियन से अधिक भाषाओं के साथ हिंदी विश्व में तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, साथ ही भारत में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है।
आंकड़ों की बात करें तो मूल भाषा के रूप में भारत में 2011 की जनगणना के अनुसार, हिंदी को लगभग 528 मिलियन (52.8 करोड़) लोग अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं, जो देश की कुल जनसंख्या का लगभग 43.6% है, जो अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है। हिंदी को कुल मिलाकर लगभग 609 मिलियन लोग बोलते हैं, जिसमें मूल वक्ताओं के अलावा द्वितीयक वक्ता भी शामिल हैं।
भारत में उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश में हिंदी का प्रमुखता से प्रयोग होता है। हिंदी के विभिन्न रूपों में अवधी, भोजपुरी, ब्रज, मैथिली, राजस्थानी और छत्तीसगढ़ी शामिल हैं, जो क्षेत्रीय भाषाओं के रूप में प्रचलित हैं। न केवल भारत बल्कि हिंदी के वक्ता नेपाल, पाकिस्तान, मॉरीशस, फिजी, त्रिनिदाद और टोबैगो, गुयाना, दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी हैं।
पाठकों को बताता चलूं कि मॉरीशस, फिजी, त्रिनिदाद और टोबैगो जैसे देशों में हिंदी भाषा को सांस्कृतिक पहचान और शिक्षा में संरक्षित रखा गया है। मॉरीशस में हिंदी भाषा दिवस सरकारी रूप से मनाया जाता है। विश्व में वक्ताओं की दृष्टि से हिंदी का तीसरा स्थान है। इस मामले में अंग्रेजी और मंदारिन (चीन) क्रमशः पहले और दूसरे स्थान पर हैं।

अंतर्राष्ट्रीय मंच पर हिंदी की उपस्थिति बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है, जबकि प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हम ‘हिंदी दिवस’ मनाते हैं, क्योंकि हिंदी दिवस वर्ष 1949 में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अपनाए जाने का प्रतीक है। यदि हम यहां पर हिंदी की संवैधानिक स्थिति की बात करें तो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के अंतर्गत हिंदी को आधिकारिक उद्देश्यों के लिए अंग्रेज़ी के साथ भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है। इसे 8वीं अनुसूची में भी सूचीबद्ध किया गया है, जिसमें आधिकारिक प्रयोग के लिए मान्यता प्राप्त 22 भाषाएँ शामिल हैं।
हिंदी बहुत ही सरल, सुगम, सहज व वैज्ञानिक शब्दावली लिए हुए विश्व की एक सिरमौर भाषा है, जिसमें अभिव्यक्ति आसान है। हिंदी में 1 लाख से अधिक शब्द हैं, जबकि बोलचाल में हम आमतौर पर 5–10 हज़ार शब्दों का ही उपयोग करते हैं। हिंदी देवनागरी लिपि में लिखी जाती है, जिसमें 11 स्वर और 33 व्यंजन होते हैं। हिंदी का व्याकरण सुव्यवस्थित है, जिससे शब्दों के निर्माण, वाक्यों के गठन और अर्थ को समझना सरल होता है। इतना ही नहीं, विभिन्न प्रांतों और भाषाओं के लोगों को जोड़ने में हिंदी का महत्वपूर्ण योगदान है।
हिंदी अधिक ध्वन्यात्मक भाषा है जबकि अंग्रेज़ी में वर्तनी और उच्चारण में अंतर पाया जाता है। हिंदी की खास बात यह है कि इसका उच्चारण ध्वनि आधारित है। शब्द वैसे ही लिखे जाते हैं जैसे बोले जाते हैं। हिंदी अपना शब्द भंडार संस्कृत, फारसी, अरबी, तुर्की आदि से शब्द ग्रहण करती है। हिंदी की संस्कृति की बात करें तो यह भारतीय परंपरा, धार्मिक ग्रंथ, लोककथाओं से समृद्ध हुई है। हिंदी एक लचीली भाषा है और यह बोली और शैली क्षेत्र विशेष के अनुसार बदलती है।
आज का युग डिजिटाइजेशन और एआई का युग है और डिजिटलीकरण और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के इस दौर में हिंदी ने भी तकनीक के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है। कहना ग़लत नहीं होगा कि आज के समय में मोबाइल ऐप, वेबसाइट और सॉफ़्टवेयर में हिंदी भाषा का समर्थन दिया जा रहा है। आज अनुवाद सेवाएँ, वॉइस असिस्टेंट, चैटबॉट आदि हिंदी में उपलब्ध हैं। ई-गवर्नेंस परियोजनाओं में हिंदी को प्राथमिकता दी जा रही है।
सच तो यह है कि आधुनिक प्रौद्योगिकी के युग में प्रयुक्त होने वाले विभिन्न ऐप्लिकेशन, टूल्स और प्लेटफ़ॉर्म्स जैसे कि कंठस्थ, भाषिणी, बोलो-लिखो वॉइस टाइपिंग टूल, चैट जी.पी.टी., गूगल अनुवाद, ओ.सी.आर. सॉफ़्टवेयर, स्पीच-टू-टेक्स्ट टूल्स आदि में भी हिंदी में काम करने की वही सुविधा उपलब्ध है, जो अन्य विदेशी भाषाओं में है। आज विभिन्न स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में हिंदी माध्यम की शिक्षा प्रदान की जाती है।
हिंदी में कबीर, तुलसी, सूर, प्रेमचंद, महादेवी वर्मा जैसे महान साहित्यकारों ने अमूल्य रचनाएँ दी हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे यूपीएससी, बैंकिंग, रेलवे आदि में हिंदी भाषा का प्रयोग होता है। शोध कार्य, निबंध, परियोजना रिपोर्ट आदि हिंदी में लिखे जाते हैं। एक उपलब्ध जानकारी के अनुसार हिंदी में प्रतिवर्ष 1 लाख से अधिक पुस्तकें प्रकाशित होती हैं, जिनमें से कई धार्मिक ग्रंथ, साहित्य, विज्ञान, बच्चों की किताबें और आत्मकथाएँ शामिल हैं।
पाठक जानते हैं कि भारत सरकार की आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी का उपयोग होता है। यहां तक कि आज विभिन्न सरकारी आदेश, अधिसूचना, फॉर्म, आवेदन आदि हिंदी में उपलब्ध होते हैं। संसद और विधानसभाओं में हिंदी में भाषण, चर्चा और दस्तावेज़ प्रस्तुत किए जाते हैं। आज मीडिया और संचार में हिंदी का जमकर प्रयोग किया जा रहा है। समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, रेडियो, टीवी चैनल और ऑनलाइन पोर्टल हिंदी में समाचार प्रसारित करते हैं।
फिल्म, नाटक, वेब सीरीज, विज्ञापन, गीत आदि में हिंदी का व्यापक उपयोग होता है। दिलचस्प बात यह है कि हिंदी सिनेमा (बॉलीवुड) का वार्षिक कारोबार लगभग ₹15,000 करोड़ से अधिक है। हिंदी फ़िल्में केवल भारत ही नहीं, बल्कि मध्य एशिया, अफ्रीका और यूरोप के कई देशों में भी देखी जाती हैं। सोशल मीडिया (फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स, यूट्यूब, व्हाट्सएप आदि) पर भी हिंदी में लेखन, पोस्ट, टिप्पणी का बड़ा चलन है। आंकड़े बताते हैं कि साल 2023 तक भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में से लगभग 55–60% लोग हिंदी में कंटेंट उपभोग करते हैं। अब कई कंपनियाँ हिंदी में चैटबॉट, वॉइस असिस्टेंट और अनुवाद उपकरण विकसित कर रही हैं। अनुमान है कि 2025 तक हिंदी में एआई आधारित सेवाओं का उपयोग 30% तक बढ़ सकता है।
व्यापार और वाणिज्य के क्षेत्र भी हिंदी से अछूते नहीं रहे हैं। स्थानीय बाजारों में उत्पादों का प्रचार हिंदी में किया जाता है। ग्राहक सेवा, हेल्पलाइन, बिलिंग आदि में हिंदी भाषा का प्रयोग बढ़ा है। ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म भी हिंदी में सामग्री प्रदान कर रहे हैं। उपन्यास, कविता, कहानी, नाटक आदि हिंदी में रचे और प्रकाशित होते हैं। लोकगीत, भजन, धार्मिक ग्रंथ हिंदी या उसके स्थानीय रूपों में प्रचलित हैं। सांस्कृतिक आयोजनों, मेलों और उत्सवों में हिंदी का उपयोग होता है। स्वास्थ्य शिविर, टीकाकरण अभियान और सार्वजनिक घोषणाएँ हिंदी में प्रचारित की जाती हैं। नशीली दवाओं के विरोध, मानसिक स्वास्थ्य, पोषण आदि पर हिंदी में सामग्री तैयार की जाती है।
हिंदी को संयुक्त राष्ट्र सहित कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर महत्व दिया जा रहा है। विदेशों में भारतीय दूतावासों द्वारा हिंदी प्रचार कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यह हमें गौरवान्वित महसूस कराता है कि आज विश्वभर में लगभग 2 लाख से अधिक विदेशी हिंदी सीख रहे हैं, जिनमें रूस, जापान, अमेरिका और यूरोप के विश्वविद्यालय शामिल हैं। अंत में यही कहूंगा कि हिंदी भाषा भारत की आत्मा है। यह न केवल संवाद का माध्यम है, बल्कि संस्कृति, परंपरा और विचारों की अभिव्यक्ति का सबसे मजबूत आधार भी है।
इसकी समृद्ध साहित्यिक धरोहर, सहजता और व्यापक उपयोग ने इसे विश्व की प्रमुख भाषाओं में शामिल किया है। कहना ग़लत नहीं होगा कि आज संपूर्ण विश्व में हमारी भाषा हिंदी सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। हिंदी का प्रसार शिक्षा, तकनीक और मीडिया के माध्यम से तेज़ी से हो रहा है, जिससे आने वाले समय में इसका दायरा और व्यापक होगा।
निष्कर्ष: हम कह सकते हैं कि हिंदी हमारी विरासत है और इसे आगे बढ़ाना हमारी ज़िम्मेदारी और नैतिक कर्तव्य है। जय-जय हिंदी।
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