भाजपा कांग्रेस के दांव में उलझ गए तीन परिवार, न घर के रहे ना घाट के
कभी हरियाणा की राजनीति में तीन परिवारों की चलती थी चौधर पर वारिसों की सत्ता चाहत में चौधराहट हुई खत्म
हरियाणा में कभी राजनीति की दिशा तय करने वाले तीन परिवार भाजपा कांग्रेस के राजनीति के खेल में फंस गए । जहां भजनलाल और छोटू राम परिवार को दल बदल ले डूबा तो बंसीलाल परिवार को एकदम से किनारे करने के पीछे आखिर सियासत कौन सा खेल खेलने जा रही है यह जानना बड़ा दिलचस्प है । हरियाणा कांग्रेस के लोकसभा टिकट जारी होने के साथ ही हरियाणा की राजनीति में सक्रिय तीन परिवारों की राजनीति पर अब विराम लगता हुआ नजर आ रहा है । यह तीन परिवार है किरण चौधरी , वीरेंद्र सिंह और कुलदीप बिश्नोई
एक-एक कर बताते हैं कि किसके साथ क्या हुआ
वीरेंद्र सिंह
वीरेंद्र सिंह अपने बेटे बृजेंद्र सिंह के लिए हिसार से कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे । 2019 में विजेंद्र सिंह भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर हिसार से चुनाव लड़े थे और जीत हासिल करके सांसद बने थे । मगर उनके पिता बृजेंद्र सिंह लगातार जननायक जनता पार्टी से हरियाणा में गठबंधन को लेकर भाजपा पर हमलावर थे और उनका कहना था अगर भाजपा और जेजेपी एक साथ लड़ेंगे तो वह भाजपा को छोड़ देंगे । अंततः लोकसभा चुनाव घोषित होने के पहले ही बृजेंद्र सिंह और बाद में वीरेंद्र सिंह ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया । हिसार से पूरी संभावनाएं थीं कि बृजेंद्र सिंह को टिकट मिलेगी । मगर अंतिम समय पर बृजेंद्र सिंह के नाम पर मोहर नहीं लग सकी । टिकट की घोषणा होने के बाद अब वीरेंद्र सिंह ने अपने समर्थकों की बैठक बुलाई है अब इस बैठक में वह क्या निर्णय लेते हैं यह तो बैठक के बाद पता चलेगा और यह निश्चित हो गया कि अब वीरेंद्र सिंह और विजेंद्र सिंह ना भाजपा के रहे ना कांग्रेस के ।
किरण चौधरी & श्रुति चौधरी
भिवानी महेंद्रगढ़ सीट से किरण चौधरी अपनी बिटिया श्रुति चौधरी के लिए टिकट मांग रही थी मगर कांग्रेस ने ऐन मौके पर भिवानी सीट से उनकी टिकट काट दी । कहां जा रहा है की टिकट वितरण में पूरी तरीके से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा की चली है ना की एसआरके गुट की । यही वजह है कि आठ घोषित टिकटों में से सात टिकट हुड्डा गुट के हाथ लगी है जबकि सिरसा की टिकट पर खुद कुमारी शैलजा चुनाव लड़ने उतर रही है । टिकट कटने के बाद आज यानी शनिवार 27 अप्रैल को किरण चौधरी ने अपने समर्थकों की 12:00 बजे भिवानी में अपने आवास पर बैठक बुलाई है जिसमें कि वह कोई बड़ा फैसला ले सकती है ।
बिश्नोई परिवार
भजनलाल की विरासत उनके दोनों बेटे कुलदीप बिश्नोई और चंद्र मोहन संभाल रहे हैं जहां कुलदीप बिश्नोई ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम रखा है तो चंद्र मोहन ने कांग्रेस का दामन पकड़ रखा है । कुछ समय पहले ही कुलदीप बिश्नोई ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा था और अपने बेटे लक्ष्य बिश्नोई को विधायक बनवा दिया था उनको उम्मीद थी कि हरियाणा के नए मंत्रिमंडल में बिश्नोई को एक सम्मान पूर्वक मंत्री पद मिलेगा मगर वह नहीं मिला उसके बाद बिश्नोई परिवार को आस थी कि उनके परिवार में से ही किसी को हिसार से लोकसभा की टिकट मिलेगी मगर यहां पर भी कुलदीप बिश्नोई की नहीं चली और टिकट किसी और के हाथ लग गई । पिछले दिनों खुद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी दिल्ली स्थित बिश्नोई भवन में नाश्ता करने पहुंचे थे और मनाने की कोशिश की थी क्योंकि कुलदीप बिश्नोई ने लगातार लोकसभा की बैठकों से दूरी बना रखी थी । और अब टिकट नहीं मिलने के बाद ऐसा लगता है कि शायद बिश्नोई परिवार भाजपा से भी दूरी बना सकता है ।
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