7 से ज्यादा स्टार प्रचारकों के प्रचार फिर क्यों हारे ज्ञानचंद गुप्ता
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित हुए, जिसमें पंचकूला विधानसभा क्षेत्र का मुकाबला सबसे चर्चित रहा। इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और 10 साल से विधायक रहे ज्ञान चंद गुप्ता को करारी हार का सामना करना पड़ा। गुप्ता, जो तीसरी बार विधायक बनने की उम्मीद कर रहे थे, कांग्रेस के उम्मीदवार चंद्रमोहन से 1976 वोटों से हार गए। यह चुनाव परिणाम न केवल भाजपा के लिए एक बड़ा झटका है, बल्कि यह भी संकेत है कि जनता ने बड़े-बड़े विकास कार्यों के दावों को नकारते हुए सादगी और ज़मीनी मुद्दों पर ध्यान दिया है।
बनिया समाज की वोटों में सेंध, गुप्ता की हार की वजह
इस चुनाव में ज्ञान चंद गुप्ता की हार का एक और महत्वपूर्ण कारण बनिया समाज के वोटों में सेंधमारी रही। निर्दलीय उम्मीदवार प्रेम गर्ग और सुशील गर्ग ने इस समाज के वोटों को अपनी ओर खींचा, जिससे गुप्ता को बड़ा नुकसान हुआ। प्रेम गर्ग ने 3329 वोट हासिल किए, जबकि सुशील गर्ग को 1153 वोट मिले। इन दोनों उम्मीदवारों की मौजूदगी ने बनिया समाज के पारंपरिक वोटों को बांट दिया, जिससे गुप्ता की संभावित जीत खतरे में पड़ गई।
यह स्पष्ट है कि इन दोनों उम्मीदवारों ने भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाई, जिसका सीधा फायदा कांग्रेस के चंद्रमोहन को मिला। प्रेम और सुशील गर्ग के चुनावी मैदान में होने से गुप्ता को एक बड़ा नुकसान झेलना पड़ा, और इसका नतीजा उनकी हार के रूप में सामने आया।
7 से ज्यादा स्टार प्रचारकों की मौजूदगी, फिर भी हार
ज्ञान चंद गुप्ता के समर्थन में भाजपा ने बड़े स्तर पर प्रचार अभियान चलाया। चुनाव प्रचार के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा, नायब सैनी, रेखा शर्मा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भोजपुरी सुपरस्टार और सांसद दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’, और भाजपा के वरिष्ठ नेता राजीव बिंदल जैसे बड़े चेहरों ने गुप्ता के पक्ष में प्रचार किया।
स्टार प्रचारकों की इतनी बड़ी टीम के बावजूद, गुप्ता की हार से भाजपा की चुनावी रणनीति पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की इतनी बड़ी टीम भी जनता को प्रभावित नहीं कर पाई, जो दिखाता है कि सिर्फ चेहरे नहीं, बल्कि मुद्दे चुनाव जीतने में अहम भूमिका निभाते हैं।
कांग्रेस की सैलजा ने पलटा खेल
इस चुनाव में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि जहां भाजपा ने स्टार प्रचारकों की पूरी फौज उतारी, वहीं कांग्रेस की ओर से सिर्फ पार्टी की वरिष्ठ नेता कुमारी सैलजा ने ही चंद्रमोहन के समर्थन में प्रचार किया। सैलजा की सादगी और जमीन से जुड़े हुए उनके मुद्दों ने जनता पर गहरा असर डाला।
सैलजा ने चुनावी रैलियों के दौरान विकास कार्यों के बजाय जनता के असली मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया, जैसे कि बेरोजगारी, महंगाई, और स्थानीय विकास। इसका नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस के चंद्रमोहन ने भाजपा के भारी-भरकम प्रचार अभियान को मात देते हुए जीत हासिल की।
कांग्रेस की रणनीति और भाजपा के लिए सबक
पंचकूला विधानसभा सीट पर कांग्रेस की जीत और भाजपा की हार ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां भाजपा ने बड़े चेहरों पर भरोसा किया, वहीं कांग्रेस ने सैलजा की सादगी और जमीनी मुद्दों पर फोकस किया। इस चुनाव में यह साफ हुआ कि जनता अब विकास के खोखले वादों और स्टार प्रचारकों की बड़ी रैलियों से प्रभावित नहीं होती, बल्कि वह असली मुद्दों पर ध्यान देती है।
यह चुनाव हरियाणा की राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, जहां स्थानीय मुद्दे और सादगी की राजनीति ने विकास के दावों और भारी प्रचार अभियानों को पीछे छोड़ दिया। भाजपा के लिए यह चुनाव एक सीख है कि जनता को लुभाने के लिए बड़े चेहरों से ज्यादा जमीन से जुड़े मुद्दों की जरूरत होती है।
हरियाणा चुनाव के नतीजों ने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य के चुनावों में बड़ी पार्टियों को न केवल अपने प्रचार की रणनीति पर, बल्कि स्थानीय स्तर पर जनता की असल समस्याओं को समझने पर भी ध्यान देना होगा।
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!