हरियाणा में बैकफुट पर भाजपा: किसानों के विरोध ने बढ़ाई मुश्किलें
बड़ी रैली करने से बच रहे उम्मीदवार, नुक्कड़ सभाओं पर अब उम्मीदवारों का भरोसा
हरियाणा में पहले कंगना रनौत की विवादास्पद बयानबाजी, फिर पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के किसानों को लेकर दिए गए बयानों ने किसानों का गुस्सा भड़काया है। किसान अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ खुलकर अपनी आवाज उठाने लगे हैं। भाजपा को इस राजनीतिक संकट से उबरने में कठिनाई हो रही है, और अब पार्टी हरियाणा विधानसभा चुनाव में बैकफुट पर नजर आ रही है।
हरियाणा के किसान, जो पहले भाजपा के समर्थक थे, अब अपनी आवाज उठाने के लिए मजबूर हो रहे हैं। किसानों के मुद्दों पर सरकार की अनदेखी ने भाजपा की लोकप्रियता में गिरावट ला दी है। इस स्थिति का परिणाम यह हुआ है कि भाजपा के उम्मीदवार बड़ी जनसभा करने से बच रहे हैं। उनकी रणनीति अब नुक्कड़ सभाओं पर अधिक निर्भर हो गई है, ताकि अगर कोई हंगामा हो भी जाए, तो ज्यादा बखेड़ा न खड़ा हो।
इसमें कोई शक नहीं है कि भाजपा की चुनावी रणनीति और वादों पर अब सवाल उठने लगे हैं। किसानों के लिए उठाए गए कदमों की कमी और उनकी समस्याओं को नजरअंदाज करने की प्रवृत्ति ने भाजपा को राजनीतिक रूप से कमजोर कर दिया है। पार्टी अब इस सोच में है कि कैसे अपनी छवि को फिर से सुधार पाए।
चुनावी वादों का बुखार उतरा, अब सड़कों पर विरोध
हरियाणा के किसानों के बीच भाजपा की छवि तेजी से धूमिल होती जा रही है। भाजपा के बड़े नेताओं की बातें अब किसानों के दिलों में जगह नहीं बना पा रही हैं। किसान अपनी समस्याओं के समाधान के लिए सरकार से जवाब चाहते हैं, लेकिन लगातार हो रही उपेक्षा ने उनके मन में गुस्सा भर दिया है।
गुरुग्राम में नितिन गडकरी की हताशा
गुरुग्राम में टिकट वितरण के बाद से पार्टी में उठापटक का माहौल बना हुआ है। बीजेपी के उम्मीदवार मुकेश शर्मा को संगठन के साथ-साथ अपने वोटरों का भी समर्थन नहीं मिल रहा है, जिससे उनकी स्थिति कमजोर होती जा रही है। बागी उम्मीदवार नवीन गोयल ने पार्टी के कई नेताओं को अपने पाले में खींच लिया है, जिससे बीजेपी के अंदर खलबली मची हुई है।
गुरुग्राम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को नुक्कड़ सभा करने के लिए मजबूर होना पड़ा है, ताकि भीड़ जुटाई जा सके। पार्टी छोड़ने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं, और अब भाजपा को अपने पुराने कार्यकर्ताओं को ही अपने साथ रखने में मुश्किलें आ रही हैं।
किसानों का आंदोलन और भाजपा की चुप्पी
भाजपा ने अब तक किसानों के आंदोलनों को हल्के में लिया है, लेकिन अब किसान अपने अधिकारों के लिए खड़े हो रहे हैं। हाल ही में पीयूष गोयल की चेतावनी ने किसानों के बीच और भी गुस्सा भरा है। भाजपा की चुप्पी और उनके वादों की अनदेखी ने अब सड़कों पर उतरने का माहौल बना दिया है।
हरियाणा में भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र बबली का ग्रामीणों से टकराव
हरियाणा के फतेहाबाद जिले के टोहाना से भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र बबली का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में बबली को ढाणी सांचला गांव में ग्रामीणों ने घेरकर जबरदस्त नारेबाजी की। ग्रामीणों ने बबली से सवाल-जवाब किए और उनकी मांगों को नजरअंदाज करने पर विरोध प्रदर्शन किया।
ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने पिछले साल अपने सरकारी स्कूल को 12वीं तक अपग्रेड करने की मांग की थी, लेकिन तब बबली ने उनकी बात को अनसुना कर दिया था। अब, भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां ने विवाद के चलते गुरुद्वारा साहिब को दान में दिए गए 11 लाख रुपए लौटाने का निर्णय लिया है।
भाजपा कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि बबली के समर्थक लाठियां लेकर आए और किसानों को धमकी दी। इस हालात ने भाजपा के अंदर भी खलबली मचा दी है और अब बबली के लिए आगे की राह कठिन होती जा रही है।
भविष्य की अनिश्चितता
गुरुग्राम और फतेहाबाद की ये राजनीतिक गतिविधियां इस बात को दर्शाती हैं कि भाजपा को अपने आंतरिक संकटों से निपटने में कठिनाई हो रही है। आगामी चुनावों में इन समस्याओं का असर देखने को मिल सकता है। भाजपा को अपने आपसी मतभेदों को सुलझाने में चुनौती का सामना करना पड़ सकता है, और अब ये देखना होगा कि क्या भाजपा अपनी खोई हुई जमीन वापस पा सकेगी या किसानों के साथ हुए वादे हमेशा के लिए दफन हो जाएंगे।
इस प्रकार, हरियाणा में भाजपा की राजनीति अब किसानों के गुस्से और अंदरूनी विवादों के बीच उलझकर रह गई है। चुनावी नतीजे उनके लिए बड़े सवाल खड़े कर सकते हैं।
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