किंग मेकर जेजेपी के सामने आई बड़ी मुसीबत, पांच विधायकों ने छोड़ा पार्टी का साथ, अब भविष्य क्या?
साल 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले बनी अजय सिंह चौटाला की जननायक जनता पार्टी साल 2024 में मुश्किल के अंदर दिखाई दे रही है। जिस पार्टी ने पिछले चुनाव में 10 सीटें जीतकर किंग मेकर के तौर पर सरकार बनाई थी, वही इस बार बिखरी हुई नजर आ रही है। पांच विधायकों ने पार्टी का साथ छोड़ दिया है।
आपको बता दे की JJP को बहुत बड़ा झटका लग चुका है। हरियाणा में चुनाव की घोषणा कर दी गई है। जिसके बाद पूरे राज्य में चुनाव को लेकर हलचल बढ़ गई है। जहां सारी राजनीतिक पार्टियों जोरों शोरो से तैयारी में लगी हुई है और मतदाताओं को अपनी तरफ आकर्षित करने की कोशिश कर रही है, वहीं जननायक जनता पार्टी इस भगदड़ में पीछे छूट हुई नजर आ रही है। जेजेपी के मुखिया दुष्यंत चौटाला की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। दुष्यंत चौटाला ने पार्टी के विधायकों के इस्तीफे का जिक्र करते हुए यह भी कह दिया कि “21 अगस्त हरियाणा राज्यसभा उपचुनाव के नामांकन की अंतिम तिथि है। अब तो हमारे 4-5 विधायक भी कांग्रेसी हो चुके हैं। अब तो कांग्रेस का उम्मीदवार चुनाव जीतने के क़रीब है। अगर भूपेन्द्र हुड्डा की बीजेपी से सांठगांठ नहीं है तो वो राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार खड़ा करे। हम पहले से ही बीजेपी के ख़िलाफ़ वोट करने का वादा कर चुके हैं।”
जहां पार्टी के पांच विधायकों ने साथ छोड़ा वहीं दो से तीन और विधायकों के पार्टी से अलग होने की संभावना जताई जा रही है। इस समय जब पार्टी चुनाव की तैयारी में लगी हुई है और ऐसे में विधायकों का पार्टी छोड़ना संकट की घड़ी का संकेत है। अब सवाल यह है कि जननायक जनता पार्टी 5 साल में अर्थ से फर्ज पर कैसे पहुंच गई? इसके लिए सबसे पहले जानते हैं जननायक जनता पार्टी कब और क्यों बनी।
जेजेपी का इतिहास
JJP की स्थापना 9 दिसंबर 2018 को दुष्यंत चौटाला ने देवी लाल की विचारधारा के साथ की थी , जिन्होंने भारत के उप प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया। 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में जजपा किंगमेकर बनी और 90 में से 10 सीटें हासिल करी पर राजनीति में करवट ले ली। किंग मेकर पार्टी ने एनडीए से अलग होने का फैसला किया।
दुष्यंत चौटाला ने इंडियन नेशनल लोकदल यानी इनेलो से अलग होकर नई पार्टी का गठन किया था। पार्टी के गठन की पीछे चौटाला परिवार की सियासी लड़ाई थी। दरअसल, सांसद रह चुके दुष्यंत चौटाला चौधरी देवीलाल के परिवार से हैं। परिवार की बात की जाए तो चौधरी देवीलाल के बेटे हैं ओमप्रकाश चौटाला और ओमप्रकाश चौटाला के दो बेटे हैं, अजय चौटाला और अभय चौटाला। अभय चौटाला से आपसी मतभेद के बाद अजय चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला ने जननायक जनता पार्टी का गठन किया था।
जेजेपी में क्यों मची हलचल?
विधायकों के इस्तीफों और रामनिवास सुरजाखेड़ा, जोगी राम सिहाग और राम कुमार गौतम जैसे नेताओं के पार्टी से खुद को अलग करने के बाद, जेजेपी के पास सिर्फ तीन विधायक बचे हुए हैं– पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला (उचाना), उनकी मां नैना चौटाला (बाधरा) और अमरजीत ढांडा (जुलाना)। पार्टी को जेजेपी विधायक ईश्वर सिंह (गुहला), राम करण काला (शाहबाद) और देवेंद्र बबली (टोहाना) के इस्तीफे पत्र भी मिले। इन घटनाक्रमों के साथ, विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले जेजेपी के भीतर उथल-पुथल मच गई है। पर यह दिक्कतें आने का कारण क्या है?
जेजेपी में दिक्कत आनी तब शुरू हुई जब भाजपा के साथ उसका गठबंधन टूट गया। लोकसभा चुनाव से पहले जब भाजपा और जेजेपी का गठबंधन टूटा, तो जेजेपी में काफी हलचल मच गई। इसकी शुरुआत पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह के इस्तीफे से हुई, जो बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए। भारतीय जनता पार्टी का साथ छोड़ने को ही जेजेपी की हार का कारण भी माना जा रहा है। पार्टी की हरियाणा में वैसे तो हार के कई कारण बताए जा रहे है, जेसे की दुष्यंत चौटाला विधायकों को संभाल नहीं पाए। यहां तक की किसान आंदोलन, महिला पहलवानों के साथ बदसलूकी और अग्नि वीर योजना पर कुछ ना बोलना। राजनीतिक गलियों में तो यह भी बात चल रही है कि पार्टी की विधायक ने ही पार्टी का साथ नहीं दिया। लोकसभा चुनाव से पहले सीट शेयरिंग को लेकर भाजपा और जेजेपी का गठबंधन टूट गया था। गठबंधन टूटने की वजह से पार्टी को काफी नुकसान हुआ। अब कहीं विधानसभा चुनाव के बाद जननायक जनता पार्टी का हरियाणा से नामोनिशान तो नहीं मिट जाएगा?
अब मुश्किलों के बाद पार्टी का अगला कदम क्या होगा? बिखरी हुई पार्टी चुनाव से पहले कैसे सिमटेगी? यह पार्टी का नाम विधानसभा चुनाव के बाद खत्म हो जाएगा? कई सारे सवालों के घेरे में खड़े हुए दुष्यंत चौटाला। लगातार गिरावट कहीं पार्टी को जमीन पर ना खींच लाए। सत्ता का साथ छूटने के बाद मुसीबतें टलने का नाम नहीं ले रही है, अब पार्टी का भविष्य क्या होगा?
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