गेमिंग जोन में बच्चों की खुशियां बनी मातम, जानिए पूरी खबर
प्रेरणा ढींगरा : गुजरात के गेम जोन में लगी भीषण आग, जिसकी चपेट में आ गए 12 बच्चों समेत 35 लोगों। राजकोट में दिल दहला देने वाले हादसे के बाद गेम जोन के मालिक और उसके प्रबंधन को हिरासत में ले लिया है। 24 मई को आग लगने के दौरान बच्चों समेत कई लोग वहां पर मौजूद थे।
बच्चे अक्सर गर्मियों का मजा लूटने के लिए गेम ज़ोन जाया करते हैं, लेकिन अगर यही मजा सजा बन जाए, तब किसकी गलती होगी? आपको बता दे की गुजरात के राजकोट से एक बड़ी खबर सामने आई है। जहा आग लगने के कारण गेम जोन के अंदर 12 बच्चों के साथ 35 लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि, ऐसा नहीं है गुजरात में इस तरह का हादसा पहली बार हुआ हो। पिछले कुछ सालों में गुजरात देश के कुछ सबसे ज्यादा खतरनाक हादसों का गवाह बन चूका है।
मौजूद लोगों के अनुसार, नाना-मावा रोड पर मौजूद गेम जोन में अक्सर लोगों की भीड़ रहा करती है। सूत्रों के अनुसार उस समय गेम जोन मैं 300 लोग मौजूद थे, जिसमें से ज्यादातर संख्या बच्चों की थी। बच्चों समेत बड़े भी गेम जोन का मजा उठा रहे थे, तभी आग लग गई। बच्चों के माता-पिता को भी कहां पता था कि यह खुशियां कुछ पल की ही है।
गुजरात के मुख्यमंत्री का क्या कहना है?
सीएम भूपेंद्र पटेल ने कहा है कि “राजकोट में गेम जोन में आग लगने की घटना में नगर निगम और प्रशासन को तत्काल बचाव और राहत कार्यों के निर्देश दिए गए हैं। घायलों के तत्काल इलाज की व्यवस्था को प्राथमिकता देने के भी निर्देश दिए गए हैं।”
हादसे में मरे लोगों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान कर दिया गया है, लेकिन क्या यह मुआवजा उनके बच्चों की खुशियों को वापस ला सकता है? वहीं घायलों को 50-50 हजार का मुआवजा मिलेगा। अहमदाबाद से घायलों के इलाज के लिए 40 डॉक्टरों की टीम का राजकोट में इंतजाम किया गया है। पूरे मामले की जांच के लिए SIT गठित की गई है। एक इंसान अभी भी लापता बताया जा रहा है, खोज जारी है।
राजकोट के पुलिस का क्या कहना है?
पुलिस आयुक्त राजू भार्गव ने कहा कि “मैं आग लगने के पीछे के कारण अभी नहीं बता सकता, यह जांच का विषय है। बचाव अभियान जारी है और कई दमकल गाड़ियां मौके पर भेज दी गईं हैं। हम दमकल अधिकारियों से बात करेंगे कि और क्या मदद की जानी चाहिए।”
हाई कोर्ट में हुई सुनवाई
इस मामले में हाई कोर्ट के स्पेशल ब्रांच में सुनवाई हुई। जस्टिस बीरेन वैष्णव और देवेन देसाई की बेंच ने कहा है कि यह मानव निर्मित आपदा है। साथ ही कोर्ट ने इस बात की भी सूचना दी है कि अहमदाबाद में सिंधुभवन रोड, सरदार पटेल रिंग रोड और एसजी हाईवे पर गेमिंग जोन सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा बन चुकी है।
2022 मोरवी ब्रिज हादसा
एक और दिन जो गुजरात के लोग नहीं भूल पाएंगे, वो था मोरवी ब्रिज हादसा, जिसकी चपेट में 135 लोग आ गए थे। 30 अक्टूबर रविवार की शाम जब लोग अक्सर घूमा करते हैं, तब उन्हें क्या पता था कि उनकी जिंदगी बदलने वाली है, खुशियां मातम में बदल जाएगी। 30 अक्टूबर को गुजरात में मोरबी ब्रिज टूट गया था। उसमें दर्जनों लोगों की जान गई थी।मरे हुए लोगों में से ज्यादातर महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे थे।
गुजरात से ऐसी खबरें प्रशासन की लापरवाही को साफ दर्शाती रही है। मोरवी पुल में 100 से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी और यह आग तो दर्दनाक हादसों का ताजा उदाहरण है।
कुछ सवाल जो इस हादसे के बाद प्रशासन पर खड़े होते हैं
1- राजकोट में बिना NOC पेट्रोल-डीजल का बड़ा स्टॉक कैसे रखा गया वह भी बच्चों के गेम जोन में ?
2- गेम जोन में आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने की तैयारी क्यों नहीं थी ? यह देखना जिसका काम था उसे पकड़ा क्यों नही ?
3- सुरक्षा मानको के पालन में कोताही पर कड़ी कार्रवाई हादसे के पहले की जाती तो यह घटना ही नहीं होती?
4- दिल्ली बेबी केयर अस्पताल में भी कोई सेफ्टी मेज़र नही लिया, ना NOC थी। क्यों ?
5- हादसे के वक्त अस्पताल का मालिक या कोई ज़िम्मेदार स्टाफ क्यों मौजूद नहीं था ?
6- अस्पताल की सुरक्षा में लगे गार्ड कहां थे, या रखे ही नही गए थे ?
7- इतनी संकरी या छोटी गलियों में जहां अग्निशमन गाडी नहीं जा सकतीं वहाँ इसे अनुमती कैसे दी ?
8- आग लगते ही बेबी केयर का मालिक फरार कैसे हो गया ? अब उस पर क्या कार्रवाई होगी ? इसे भी कोई निबंध लिखने देंगे ?
9- सुरक्षा मानकों के खिलाफ जाकर परमीशन देने वाले अफसरों को अभी तक जेल में क्यों नहीं डाला ?
10- अभी तक कोई नेता कहीं पर भी क्यों ज़िम्मेदार ठहराया नहीं गया ?
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