जीरकपुर में Green Lotus Utsav प्रोजेक्ट विवादों के घेरे में:
पर्ल ग्रुप की जमीन के बाद अब बिल्डर पर कब्रिस्तान की ज़मीन पर कब्जे का आरोप
निगम अधिकारी चुप, बिल्डर बेखौफ; करोड़ों की जमा पूंजी पर संकट
पंजाब के मोहाली जिले की जीरकपुर कस्बे की पॉश PR-7 रोड पर स्थित विवादित रियल एस्टेट प्रोजेक्ट Green Lotus Utsav एक बार फिर गंभीर आरोपों के चलते सुर्खियों में है। बीते हफ्ते सामने आई रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि यह प्रोजेक्ट पर्ल ग्रुप की जमीन पर अवैध रूप से बनाया जा रहा है, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट और लोधा कमेटी के निर्देशों को भी जीरकपुर नगर परिषद के अधिकारियों ने अनदेखा कर दिया। अब इस प्रोजेक्ट पर एक और बड़ा आरोप लगा है—कब्रिस्तान की जमीन पर कब्जा कर फ्लैट निर्माण।
क्या है नया खुलासा?
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, Green Lotus Utsav प्रोजेक्ट के बगल में स्थित एक कब्रिस्तान की जमीन के एक हिस्से पर अब अवैध निर्माण शुरू कर दिया गया है। वहां अब बहुमंजिला फ्लैट्स की नींव रखी जा चुकी है। यानी, पहले Perl Group की जमीन पर कब्जा हुआ, अब बारी कब्रिस्तान की जमीन की है।
इससे जुड़ा सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि नगर परिषद जीरकपुर के अधिकारी पूरे मामले में आंख मूंदे बैठे हैं। न किसी ने संज्ञान लिया, न ही जांच की शुरुआत हुई।
500 से अधिक खरीदारों की पूंजी पर खतरा
इस प्रोजेक्ट में अब तक 500 से ज़्यादा परिवारों की जमापूंजी लगी हुई है, जिनमें अधिकतर लोगों ने 1.5 करोड़ रुपये से अधिक कीमत वाले फ्लैट बुक किए हैं। अब जब प्रोजेक्ट की वैधता पर सवाल खड़े हो चुके हैं, खरीदारों का भविष्य अधर में लटक गया है।
जवाबदेही से भाग रहे अफसर
पिछले एक सप्ताह से पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा नगर परिषद जीरकपुर के अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की गई। फोन कॉल्स और व्हाट्सएप मैसेज के बावजूद कोई जवाब नहीं मिला। कुछ छोटे कर्मचारियों ने फोन उठाया जरूर, लेकिन ग्रीन लोटस उत्सव प्रोजेक्ट पर सवाल सुनते ही काट दिया। कर्मचारी और अधिकारियों की यह चुप्पी बताती है कि नगर परिषद और बिल्डर के बीच सांठगांठ की आशंका को नकारा नहीं जा सकता।
बिल्डर की चुप्पी पर संदेह
प्रोजेक्ट के बिल्डर अमित मित्तल की ओर से भी अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। जबकि पूरे राज्य में इस प्रोजेक्ट को लेकर सवाल उठ रहे हैं, कई शिकायतें दी जा चुकी हैं, परंतु बिल्डर और उसके प्रतिनिधि मीडिया और प्रशासन—दोनों से बचते नजर आ रहे हैं।
हालांकि प्रोजेक्ट के जीएम द्वारा फोन लाइन पर यह जरूर कहा जा रहा है कि हमारे पास प्रोजेक्ट के संबंध में सारे कागजात मौजूद हैं पर जब उनसे कागजात दिखाने की बात या व्हाट्सएप करने की बात कही जाती तो उन्होंने चुप्पी साध ली ।
क्या कहता है कानून?
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार कब्रिस्तान की जमीन पर किसी भी तरह का व्यावसायिक निर्माण कानूनी रूप से पूर्णतः प्रतिबंधित है। अगर यह आरोप सही साबित होता है, तो संबंधित प्रोजेक्ट को तत्काल रद्द करने, बिल्डर पर आपराधिक मामला दर्ज करने और अधिकारियों की जांच कराने की आवश्यकता है।
खबरी प्रशाद अखबार की प्रशासन से मांग
- SDM और नगर परिषद जीरकपुर द्वारा तत्काल जांच शुरू हो।
- कब्रिस्तान की जमीन की सीमांकन कर स्पष्ट किया जाए।
- प्रोजेक्ट में निवेश करने वाले लोगों को कानूनी सुरक्षा प्रदान की जाए।
- बिल्डर और अधिकारियों की मिलीभगत की निष्पक्ष जांच हो।
- प्रोजेक्ट पर निर्माण तत्काल रोका जाए।
यह मामला सिर्फ एक रियल एस्टेट विवाद नहीं, बल्कि जनभावनाओं, धार्मिक आस्थाओं और सामाजिक विश्वास के साथ सीधा खिलवाड़ है। अगर समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह आने वाले समय में ज़िरकपुर की सबसे बड़ी कानूनी और नैतिक त्रासदी बन सकता है।
अखबार की निवेशकों से अपील
खबरी प्रशाद अखबार समूह जीरकपुर में बिल्डरों के प्रोजेक्ट पर निवेश करने वाले निवेशकों को एक सलाह दे रहा है कि किसी भी बिल्डर के प्रोजेक्ट में अपना पैसा निवेश करने के पहले उसे प्रोजेक्ट की पूरी जानकारी जरूर करें । और यही सलाह हमारी आम जनमानस के लिए भी है आम जनमानस अपनी मेहनत की कमाई से बड़ी मुश्किल से जीवन में एक छत खरीद पाता है । पर एक गलत प्रोजेक्ट में लगाया गया पैसा उसकी मेहनत की कमाई एक पल में मिट्टी में मिल सकता है ।
पढ़ते रहिए खबरी प्रशाद अखबार को ,जहां पर खबरें निष्पक्ष होती हैं और जल्दी ही जीरकपुर के कुछ और बिल्डरों के प्रोजेक्ट की रिपोर्ट आपको पढ़ने को मिल सकती है ।
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