कांग्रेस के दो प्रवक्ताओं ने छोड़ा हाथ , एक ने थामा कमल , दूसरे की प्रतिक्रिया का इंतजार
लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस को यह बड़ा झटका
दोनों इस्तीफों में एक बात बड़ा भगवान श्री राम का जिक्र
लोकसभा चुनाव 24 के पहले कांग्रेस के दो कद्दावर प्रवक्ताऔ ने अचानक कांग्रेस का हाथ छोड़ने का फैसला कर लिया है । यह दोनों प्रवक्ता टीवी डिबेट के अंदर कांग्रेस की तरफ से कांग्रेस का पक्ष मजबूती के साथ रखते थे । अगर बात महाराष्ट्र की राजनीतिक की करें तो संजय निरुपम लगातार दमदारी के साथ विपक्ष को घेरा करते थे और अगर दिल्ली से देखें तो गौरव वल्लभ लगातार भाजपा नेताओं से सवाल पूछते थे । मगर राजनीति में नेताओं का इधर से उधर जाना कोई आश्चर्य की बात नहीं होती । सवाल तब पैदा होता है जब पिछले कई सालों से यही नेता भारतीय जनता पार्टी को पानी पी पीकर कोसते थे तो अब अचानक ऐसा क्या हुआ होगा कि इनको भाजपा में अपना राजनीतिक भविष्य दिखाई पड़ने लग गया ।
भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन करने के बाद कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता और अब भाजपाई गौरव वल्लभ ने बताया
“मैंने सुबह एक पत्र सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर डाला…उस पत्र में मैंने अपने दिल की सारी व्यथाएं लिख दीं…मेरा शुरू से यह दृष्टिकोण रहा है कि भगवान श्री राम का मंदिर बने, न्योता मिले और कांग्रेस ने न्योते को अस्वीकार कर दिया, मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकता… गठबंधन के नेताओं ने सनातन पर प्रश्न उठाए, कांग्रेस द्वारा उसका जवाब क्यों नहीं दिया गया?…मैं आज भाजपा में शामिल हुआ और मुझे उम्मीद है कि मैं अपनी योग्यता, ज्ञान का प्रयोग भारत को आगे ले जाने में करूंगा…”
गौरव वल्लभ के भारतीय जनता पार्टी में चले जाने पर कांग्रेस युवा मोर्चा के अध्यक्ष ने सोशल मीडिया पर लिखा ,
4 साल में 2 विधानसभा टिकिट मिलने और हारने के बाद अचानक से ये सुबह सोकर उठे और BJP कार्यालय चले गए,
संजय निरुपम को लेकर कांग्रेस ने बताया कि वह लगातार पार्टी की नीतियों के खिलाफ बयान बाजी कर रहे थे जिसकी वजह से उन्हें कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से 6 साल के लिए निकाल दिया गया है जबकि इसके उलट संजय निरुपम का कहना है कि कांग्रेस ने मुझे निकला नहीं है । मैने खुद ही इस्तीफा दिया है । इस्तीफा देने के बाद संजय निरुपम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस पर आरोप लगाया कि कांग्रेस में पावर के 5 केंद्र बन गए हैं । उन पांच सेंटरों के बारे में उन्होंने बताया कि सोनिया गांधी राहुल गांधी बहन जी नए अध्यक्ष खरगे और वेणुगोपाल । वेणुगोपाल को लेकर तो संजय निरुपम ने कहा कि हिंदी उनको आता नहीं अंग्रेजी वे समझते नहीं और मलयालम हमें नहीं आती ऐसे आदमी को पिछले कई सालों से संगठन में जगह दे रखी है । कांग्रेस पूरी तरीके से दिशाहीन हो रखी है और आने वाले वक्त में काफी कुछ खत्म हो जाएगा । अपने इस्तीफा में संजय निरुपम ने रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण का भी जिक्र किया है । उसमें उन्होंने लिखा कि कांग्रेस ने कहा कि यह बीजेपी का प्रचार है , एक तरह से उन्होंने राम की अस्तित्व को ही नकार दिया ।
दोनों प्रवक्ताओं के इस्तीफा में एक बात कमान भगवान श्री राम का जिक्र
श्री राम मंदिर का उद्घाटन जनवरी में तो इस्तीफाअप्रैल में क्यों ?
जब श्री राम मंदिर के उद्घाटन समारोह का कार्यक्रम 22 जनवरी को हुआ था और कांग्रेस के द्वारा श्री राम मंदिर के उद्घाटन समारोह का न्योता नकार दिया गया था । तब उसी समय गोविंद बल्लभ को और संजय निरुपम की अंतरात्मा से आवाज क्यों नहीं निकली । लगभग 75 दिन बीत जाने के बाद उनको श्रीराम की याद आई है । दरअसल उनको श्री राम की याद नहीं आई है वजह यह है कि लोकसभा चुनाव में उनकी टिकट कांग्रेस ने काट दी है । संजय निरुपम महाराष्ट्र से लोकसभा की टिकट की उम्मीद लगाए बैठे थे , मगर कांग्रेस ने उनका नाम लिस्ट में रखा ही नहीं जिसकी वजह से संजय निरुपम ने इस्तीफा देना ही बेहतर समझा । इसके पहले कांग्रेस ने उनका नाम स्टार प्रचारकों के लिस्ट से भी हटा दिया था । और ज्यादा किरकिरी हो इससे बेहतर उन्होंने समझा की इस्तीफा दे ही दिया जाए ।
नेता इस्तीफा में सच लिखने से घबराते क्यों है ?
किसी भी पार्टी का नेता हो जब उसे निकाला जाता है या वह इस्तीफा देते हैं तो वह सच लिखने से या सच बोलने से घबराते क्यों है । एक आकलन के अनुसार चुनाव के वक्त ही ज्यादातर नेता अपनी पार्टी को छोड़कर के ही चले जाते हैं उसकी सीधी वजह समझी जा सकती है कि ज्यादातर नेताओं को जनता से प्यार नहीं है सिर्फ अपनी कुर्सी से प्यार है । उनकी अपेक्षा टिकट मिलने की होती है जब टिकट नहीं मिलता या उनको लगता है कि मुझे टिकट नहीं मिल सकेगा तो वही पार्टी बुरी हो जाती है और दूसरी पार्टी अच्छी लगने लगती है ।
खैर गोविंद बल्लभ ने तो अपनी राह पकड़ ली है और भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है मगर खबर लिखे जाने तक संजय निरुपम ने यह नहीं स्पष्ट नहीं किया था कि अब उनका अगला ठिकाना किस पार्टी में होगा । क्या हुआ आगे राजनीति करेंगे या कुछ समय के लिए बिल्कुल मौन धारण कर लेंगे ।
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!