गर किया राम से बैर ,तो बंदे तेरी कहां खैर
कुछ लोग सोच रहे हैं कि प्राण प्रतिष्ठा का करके बहिष्कार , 80 करोड़ लोग तो करेंगे ही प्यार
भारत हिंदू प्रधान देश है । और यहां की आबादी 140 करोड़ से ज्यादा ही है । और 140 करोड़ की आबादी में लगभग 80 करोड़ की आबादी हिंदू बाहुल्य है । सभी राजनीतिक दल इस बात को भली भांति जानते हैं 140 करोड़ की आबादी में 80 करोड लोगों को नाराज करना मतलब अपनी कुर्सी के चार पाय में से तीन पायो पर खुद कुल्हाड़ी चलाना है । मगर फिर भी कई बार नेताओं के आसपास बैठे चाटुकारों का आभामंडल ना चाहते हुए भी नेताओं को ऐसा करने के लिए मजबूर कर देता है । सत्ता धारी नेता हो या विपक्ष के नेता , गलतियां सबसे होती है मगर उन गलतियों को कितनी जल्दी समझ कर नेता माफ़ी मांग लेते हैं जनता इन्हीं बातों पर ध्यान रखती है ।
वर्तमान परिदृश्य में 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होने जा रहा है । सबको इस बात की जानकारी है कि भारतीय जनता पार्टी इस कार्यक्रम का चुनावी लाभ लेने की तैयारी कर रही है और करेगी भी । मोहल्ले में चौक चौराहा पर चाय की दुकानों पर नव की दुकान पर कहीं पर भी आप चले जाए तो आज के दौर में सिर्फ और सिर्फ प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की ही चर्चा होती है लोगों के लिए मुद्दा जन भावनाओं से जुड़ा हुआ मसला हो गया है । एक तरफ तो जन भावनाएं साथ लगती है तो दूसरी तरफ लोग यह भी कहते हैं कि भाजपा इसका चुनावी फायदा लेने की तैयारी कर रही है ।
विपक्ष नेताओं को भी जन भावनाओं को समझना होगा
लगभग सभी पक्षी नेताओं द्वारा इस कार्यक्रम का परोक्ष या अपरोक्ष तौर पर विरोध किया जा रहा है । सत्ताधारी नेताओं को निमंत्रण कार्ड भेजे ही जा रहे हैं , साथ ही साथ विपक्ष के भी सभी बड़े नेताओं को श्री राम जन्मभूमि न्यास बोर्ड की तरफ से निमंत्रण कार्ड भेजे जा रहे हैं । मगर पहली बार विपक्ष को भी यह नहीं समझ आ रहा , कि करे क्या ? जाए तो मुश्किल ना जाए तो मुश्किल ।
मुश्किल में है जान ,नहीं मिल रहा कोई समाधान
विपक्ष के नेता भले कैमरे के सामने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर इनकार कर चुके हैं मगर अंदर ही अंदर इस बात का डर उनको भी सता रहा है की अयोध्या ना जाना उनकी बड़ी भूल होगी । अब इस बात का तोड़ो निकालने की तैयारी की जा रही है कि किस तरीके से प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल हुआ जाए । कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे ।
अखिलेश यादव ने की मुस्किल आसान , विपक्ष को दिखाई राह
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस मुश्किल को समझा और उनको अयोध्या ना जाने पर अपने वोटों की नफा नुकसान का गणित जल्दी ही समझ आ गया । इसलिए अखिलेश ने एक पत्र श्री राम जन्मभूमि न्यास बोर्ड को जारी किया और उसे पत्र में लिखा कि हम भगवान राम के दर्शन करने आएंगे जरूर मगर किसी भी वीआईपी की तरह नहीं आम दर्शनार्थ की तरह आएंगे ।
2024 में चुनावी चौपाल पर खेल हो सकता है एकतरफा
किसी भी खेल में जब प्रतिद्वंदी दमदार होता है तब खेल के परिणाम पर अंतिम समय तक नजर लगी रहती है की पता नहीं अगले पल क्या हो ? और चुनावी चौपाल 2024 में चुनावी रण में उतरने वाले प्रतिद्वंदी कमजोर होंगे तो फैसला एक तरफा ही हो जाएगा । फिर ना तो चुनाव लड़ने वाले को मजा आएगा ना ही चुनावी परिणाम देखने वालों को । अगर परिणाम एक तरफ हुआ तो इसके परिणाम भी भयंकर होंगे । क्योंकि इतिहास गवाह है किसी भी परीक्षा में अगर परीक्षार्थी को बिना मेहनत किए हुए सफलता मिल जाती है तो उसका भविष्य अंधकार मय हो जाता है ।
प्रभु से सिर्फ एक ही विनती
हे प्रभु प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में किसी को बुलाओ या किसी को ना बुलाओ यह तो आपकी मर्जी है मगर 2024 के चुनावी रण में उसी को उतारना , ताकि फैसला कभी भी एक तरफ ना होने पाए ।
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