महिला दिवस पर विशेष 8 मार्च महिलाओं के लिए जागरुकता का दिन ,पर अगले दिन ,,,,
रितेश महेश्वरी / प्रेरणा ढींगरा
हमारी भारतीय संस्कृति ने सदैव ही नारी जाति का स्थान पूज्यनीय एवं वन्दनीय रहा है, नारी का रूप चाहे मां के रूप में हो, बहन के रुप में हो, बेटी के रुप में हो या फिर पत्नी के रूप में हो सभी रुपों में नारी का सम्मान किया जाता है। यह बात आदिकाल से ही हमारे पौराणिक गाथाओ में विद्यमान रही है। और यह आज भी जगह –जगह देवी के रुप में पूजी जाती हैं। नौ रात्रों में कन्या खिलाने की प्रथा आज भी विद्यमान है। हमें यह भी ज्ञात है कि नारी प्रेम, स्नेह, करूणा एवं मातृत्व की प्रतिमूर्ति है। इसलिए नारी का ख्याल रखना जरुरी है। यह कहना है लाल कला मंच के संस्थापक सचिव, समाजसेवी, पत्रकार एवं दिल्ली रत्न लाल बिहारी लाल का। नारी की दीनहीन दशा देखकर कई समाज सुधारको ने प्रयत्न किया और आज सरकारी स्तर पर इन्हे समान दर्जा प्राप्त है। राजाराम मोहन राय के अथक प्रयास से सती प्रथा का अंत हुआ।फिर नारी की दशा सुधारने के लिए आचार्य विनोवा भावे ,स्वामी विवेकानंद ने भी काम किया। ईश्वर चंद विद्या सागर के प्रयास से विधवाओं की स्थिति सुधारने के लिए विधवा पुनर्विवाह अधिनियम 1856 आया।
नारी की स्थिति सुधारने के लिए- अनैतिक ब्यपार रोकथाम अधिनियम-1956, दहेज रोक अधिनियम-1961,पारिश्रमिक एक्ट 1976,मेडिकल टर्म्मेशन आँफ प्रिगनेंसी एक्ट 1987,लिंग परीक्षण तकनीक( नियंत्रक और गलत इस्तेमाल)एक्ट 1994, बाल विबाह रोकथाम एक्ट 2006,कार्य स्थलो पर महिलाओं का शोषण एक्ट 2013 आदी महिलाओं के सामाजिक,आर्थिक और राजनैतिक स्तर सुधारने के लिए काफी प्रयास किये गये है। इसी का परिणाम है कि 2001 की जनगणना में जहा महिलाओं की संख्या प्रति 1000 पुरुषों पर 933 थी जो 2011 की जनगणना में 943 हो गई।
विश्व की आधी आबादी महिलाओं की है, लेकिन भारतीय समाज में महिला को वह स्थान आज तक प्राप्त नहीं हो सका है जिसकी वह हकदार है। भारतीय समाज सदैव से ही पुरुष प्रधान माना गया है, लेकिन 21 वीं सदी में अब स्थिति बदलने लगी है। स्त्रियों को पुरुष के समान दर्जा दिया जाने लगा है।आज भारतीय महिलाये प्रत्येक क्षेत्र में पुरुषों से कंधा से कंधा मिलाकर अपना योगदान दे रही है। चाहे बात शिक्षा की हो, बैंकिंग क्षेत्र की हो, स्वास्थ्य की हो,रक्षा की हो, मनोरंजन की हो,रेल चलाने की हो या हवाई जहाज उड़ाने की, आई.टी. क्षेत्र हो अथवा राजनैतिक क्षेत्र हो हर क्षेत्र में सक्रिय हैं। कई राज्यो ने तो स्थानीय निकाय चुनावों में 50 % का आरक्षण भी दे रखा है। इसके विपरीत हमारे देश में महिलाओं पर अत्याचार की बढ़ती घटनाओं ने भारतीय नारी की सुरक्षा पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। देश की राजधानी दिल्ली सहित कई प्रदेशों में नारी के साथ अत्याचार अभी भी जारी है।
पितृसतात्मक सत्ता में नारी को संबल बनाने की जरुरत है ताकि इनकी सामाजिक,आर्थिक औऱ राजनैतिक स्तर सशक्त हो सके। आज समस्त समाज एकजुट होकर , नारी सम्मान एवं उसकी सुरक्षा के सम्मान का संकल्प लेना चाहिय़े। हम जानते हैं कि नारी के बिना सृष्टि सृजन की कल्पना अधूरी है। वंश चलाने की वात करने वालों लड़के को भी नारी ही जन्म देती है। इसके सहयोग के विना लड़का हो या लड़की कोई भी पैदा नही हो सकता है। जिस प्रकार कोई भी पक्षी एक पंख के सहारे उड़ नहीं सकता, उसी प्रकार नारी के बिना पुरुष की कल्पना भी नहीं की जा सकती। यदि हम नारी को भयमुक्त वातावरण देने और आत्मसम्मान के साथ खड़ा करने में सहयोगी बन सके, तो यह हमारे औऱ समाज के लिए गर्व की बात होगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं अभियान की नींप रखा है। इसका परिणाम भी धीरे –धीरे दिखने लगा है। सन 2018 में अन्त महिला दिवस का थीम था-: “प्रेस औऱ प्रोगरेस” वही 2019 में भी महिलाओं के शिक्षा ,स्वास्थ्य ,एवं समानता सहित्य अन्य मुद्दों पर जोर रहेगा। इस वर्ष का थीम है इंस्पायर इक्लूजन । ++ बाक्स में +++++++++++++
अन्त. महिला दिवस का इतिहास
सन् 1908 में अमेरिका के न्यूयार्क शहर में 1 5,000 महिलाओं को वोट का अधिकार दिया गया। फिर 1909 में सोशलिस्ट पार्टी आँफ अमेरिका द्वारा 28 फरवरी को महिला दिवस मनाया गया। सन 1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल द्वारा कोपेनहेगन में महिला दिवस की स्थापना हुई। इसी वर्ष जर्मनी में भी सोशल डेमोक्रेटिभ पार्टी द्वारा महिला दिवस मनाया गया। सन 1911 में 19 मार्च को आस्ट्रीया, डेनमार्क, जर्मनी, स्वीट्जरलैंड आदी सहित कई देशों की महिलाओं ने एक रैली निकाली । 1913-14 प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान लाखों सैनिक मारे गये इसके लिए फरवरी के अंतिम ऐतवार को महिलाओं ने एक शांति मार्च निकाला । सन 1913 में ही इसे 19 मार्च के स्थान पर 8 मार्च को मनाया गया । आगे चलकर 1975 में संयुक्त राष्ट्रसंघ ने भी महिलाओं के चहुमुखी विकास के लिए इसे अन्त. स्तर पर मनाने की मान्यता प्रदान कर दी। तब से अब तक हर साल 8 मार्च को महिलाओं के सर्वांगिण विकास के लिए अन्त.महिला दिवस मनाते आ रहे हैं।
महिला दिवस के अगले दिन से ,,, एक सच यह भी
8 मार्च को पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने जा रहे हैं । महिला दिवस मनाने का उद्देश्य है कि महिलाओं का सम्मान किया जाए । महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की जाए । कोमल है कमजोर नहीं तू, शक्ति का नाम ही नारी है सबको जीवन देने वाली मौत भी तुझसे हारी है । मगर सोशल मीडिया के युग में क्या सच में महिला का सम्मान हो रहा है ।
हर 2 सेकंड में तीन महिलाओं की फोटो एडल्ट साइट पर हो रही अपलोड
आजकल ज्यादातर लोग सोशल मीडिया के प्लेटफार्म फेसबुक इंस्टाग्राम स्नैपचैट जैसे प्लेटफार्म पर एक्टिव रहते है । और अपनी हर दिन की एक्टिविटी , निजी जिंदगी की फोटोस वीडियो को वह सोशल मीडिया पर शेयर करते रहते हैं । मगर दिक्कत और परेशानी तब आनी शुरू होती है जब वही फोटो या वीडियो एडल्ट वेबसाइट पर नजर आनी शुरू हो जाती है । और जान पहचान वाले लोग चिर परिचित लोग इस बात की जानकारी संबंधित व्यक्ति तक पहुंचाते हैं , तब वही लोग सोचते हैं कि हमने तो कभी एडल्ट साइट की तरफ देखा ही नहीं यह फोटो वहां तक कैसे पहुंची । उसके बाद पुलिस के चक्कर , थाने के चक्कर सोशल मीडिया अकाउंट से बातचीत और बार-बार अकाउंट को चेक करना यही रह जाता है मगर एक बार बदनामी का जो दाग लग जाता है उसको छुड़ाना बहुत मुश्किल होता है ।
किसकिस तरीके के एडल्ट साइट पर
पति पत्नी का तलाक हो गया कुछ अतरंग फोटो वीडियो थे पति ने उसे एडल्ट साइट पर डाल दिया । कामिनी ( बदला हुआ नाम ) एक ऑफिस में काम करती थी , ऑफिस में ही काम करने वाले लड़के के साथ में दोस्ती हो गई । कुछ समय रिलेशनशिप में रहे मगर बाद में ब्रेकअप हो गया लड़के ने साथ की फोटो वीडियो एडल्ट साइट पर डालने शुरू कर दिए और साथ में उसका नंबर भी लिखना शुरू कर दिया जब कामिनी के नंबर पर लोगों ने फोन करने शुरू कर दिए और उल जलूल बातें करने शुरू कर दी तब वह परेशान हुई ।
यह मामले तो सिर्फ एक बानगी है ऐसे लाखों मामले आज के समय में पुलिस थानों में , साइबर थानों में पहुंच रहे हैं और लोग परेशान हो रहे हैं। कुछ एक मामले में सजा भी हो रही है , पर फिर भी ज्यादातर मामले में कार्रवाई नहीं हो पा रही है । मगर फिर भी ना तो महिलाओं के खिलाफ मामले रुक पा रहे हैं । और ना ही लोग इन समस्याओं को लेकर जागरूक हो रहे है । आए दिन इस तरह की खबरें अखबारों में और मीडिया में सुर्खियां बटोरती है मगर फिर भी लोग लापरवाह है ।
जिनकी निजी जिंदगी सोशल मीडिया पर उनमें से 75% से ज्यादा महिलाएं होती है टारगेट
जिन महिलाओं की निजी जिंदगी का ज्यादातर वक्त सोशल मीडिया पर बीतता है साइबर अपराध का सबसे ज्यादा खतरा भी उन्हीं को होता है । कहने को तो यह सोशल मीडिया है मगर महिलाओं के लिए यह अनसोशल मीडिया है । जहां किसी को भी उनके मान-सम्मान की निजी जिंदगी की कोई परवाह है ।
पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट के वकील अनिल सोनी का कहना है , लगभग 25% मामले महिलाओं मे महिलाओं को ईमेल / व्हाट्सएप / फेसबुक / इंस्टाग्राम मैसेंजर इत्यादि पर दोस्ती करने के लिए ऑफर आते हैं । और दोस्ती होने के साथ ही महिला जैसे ही अपने निजी जीवन को सार्वजनिक ( कथित सोशल मीडिया फ्रेंड से बताना शुरू ) करना शुरू करती है । वहीं से समझिए कि उसके साथ साइबर क्राइम की शुरुआत हो जाती है । जब तक रिश्ता अच्छा है तब तक तो सब ठीक लेकिन जैसे ही रिश्ते में खटास आनी शुरू होती है , महिला को गाली गलौज गंदे गंदे मैसेज धमकियां मिलनी शुरू हो जाती हैं । और यह गाली गलौज धमकियां मैसेज वही लोग देते हैं जो उसे महिला के बहुत करीबी हो चुके होते हैं ।
वायलेंस ऑनलाइन इन इंडिया की एक रिपोर्ट है ,, एक्स हस्बैंड ,एक्स ब्वॉयफ्रेंड अक्सर गंदे मैसेज भेजते हैं । 50% मामलों में तो एक पार्टनर सोशल नेटवर्क प्रोफाइल पर यौन रिमार्क्स तक भेज देते हैं ।
हरियाणा पुलिस की तेज तर्रार पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने के शर्त पर हमें बताया कई बार महिलाएं जब हमारे पास शिकायत लेकर आती हैं तब वह बताती है कि हमने तो टाइमपास करने के लिए दोस्ती की थी मगर अब यह टाइमपास भारी पड़ने लगी है । उन्होंने बताया की साइबर क्राइम में सबसे ज्यादा अपराध आम महिलाओं के साथ होता है उन्हीं की फोटोस का वीडियो का गलत इस्तेमाल होता है फोटो वीडियो पोर्न साइट पर लगा दी जाती है जिसको की हटवा पाना पुलिस के लिए भी असंभव सा काम हो जाता है । महिला पुलिस अधिकारी का कहना है कि मैं एक महिला हूं इसलिए महिला की समस्या को बहुत आसानी से समझती हूं लेकिन हमारे भी हाथ कानून से बंधे होते हैं हम चाह कर भी मदद नहीं कर पाते । मगर फिर भी कोशिश करते हैं कि हम आउट ऑफ द वे जाकर भी महिलाओं की मदद करने की कोशिश कर सके । वह बताती है कि 10% महिलाओं को दोस्ती में पोर्नोग्राफी दिखा दी जाती है । तो 20% महिला को सोशल मीडिया पर ही सेक्सुअल बाते की जाती है ।
यह तो सिर्फ एक बानगी है जो लिखी गई है। और इस तरह के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं जरूरत है तो खुद की समझदारी की । थोड़ी सी समझदारी आपके भविष्य को अंधकार में होने से बचा सकती है ।
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