AAP+Congress गठबंधन के बाद भी बीजेपी के दोनो हाथ में लड्डू
चंडीगढ़ नगर निगम चुनावों के लिए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने पहली बार गठबंधन किया है। गठबंधन के बाद बीजेपी के हाथ से मेयर की कुर्सी जाना अब लगभग तय हो चुका है। मगर बीजेपी निगम मे जीते या हारे, दोनो ही हालातों मे बीजेपी के हाथ मे लड्डू तो दिख ही रहा है।
दोनो हालातों में लड्डू कैसे?
अरे जनाब! इतनी भी क्या जल्दी पड़ रही है लड्डू खाने की। वैसे भी बीजेपी मे ज्यादातर समय रिफाइंड के ही लड्डू बांटे जाते है। तो इसलिए बीजेपी से देसी घी के लड्डू की उम्मीद तो ना ही करो। फिर भी आप जान ही लो, कि बीजेपी के दोनो हाथ में लड्डू कैसे है। दरअसल अगले कुछ ही दिनों में लोकसभा के चुनाव होने वाले है। बीजेपी के नेता वा कार्यकर्ता ढोल पीट पीट कर जनता को बताएंगे, ये वही केजरीवाल है, जो कभी कहते थे कि कांग्रेस भ्रस्टाचार की पार्टी है और आज उन्ही के साथ इन्होंने गठबंधन कर कर ये बता दिया है कि ईमानदारी का ढोल पीटने वाले केजरीवाल की पार्टी कितनी ईमानदार है। चाहे दिल्ली शराब घोटाला हो, दवा घोटाला या फिर मोहल्ला क्लीनिक, सभी मे भ्रष्टाचार है। तभी इनके नेताओ को कोर्ट जमानत नहीं दे रहा है। केजरीवाल ED के सम्मन पर क्यो नही आ रहे है।
इसीलिए हम कह रहे हैं की भाजपा के दोनों हाथों में लड्डू है। अगर गंठबंधन होने के बाद भी भाजपा मेयर चुनाव जीत जाती है तो ढोल ये पिटेगा की गठबंधन के बाद भी नहीं हरा पाए। वही अगर भाजपा हार जाती है तो भाजपाई इस बात की डुगडुगी बजाएंगे कि अपने आप को साफ़ छवि का कहने वाले केजरीवाल ने केजरीवाल द्वारा भ्रस्टाचारी कहे जानी वाली कांग्रेस के साथ ही गठबंधन कर लिया।
तो देखिए आगे आगे यह गठबंधन कितनी दूर तक साथ साथ रहेगा और बीजेपी इसका कितना फायदा ले पाएगी।
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