“एक चुटकी सिंदूर की कीमत अब समझ पा रहा है पाकिस्तान” –
भारत की रणनीतिक बढ़त से हिल गई इस्लामाबाद की जमीन
विशेष रिपोर्ट | ऑपरेशन सिंदूर : रीतेश माहेश्वरी
नई दिल्ली/इस्लामाबाद
मशहूर फिल्म देवदास का मशहूर डायलॉग एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो । वर्तमान में पाकिस्तान पर पूरी तरीके से सटीक बैठ रहा है कि एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो पाकिस्तानियों ।
दरअसल पिछले महीने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए दर्दनाक हादसे में 26 महिलाओं के सिंदूर पाकिस्तान पोषित आतंकवादियों द्वारा मिटा दिए गए थे । तब से पूरे भारत में इस बात को लेकर गुस्सा चरम पर था और पिछले चार दिन से भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर वह तनाव नजर आ रहा है पाकिस्तान की तरफ से लगातार भारत पर हमले किए जा रहे हैं तो भारत उनका माकूल जवाब दे रहा है । भारत के नकुल जवाब से पाकिस्तान के हुक्मरानों को सिंदूर की कीमत समझ में आ रही है कि भारत में किसी सुहागन का सिंदूर उजाड़ना बहुत महंगा होता है और अब यह सिंदूर पाकिस्तान को महंगा पड़ने लगा है ।
भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के तहत देश की सुरक्षा को लेकर जो कड़े कदम उठाए गए हैं, उनका असर अब न केवल पाकिस्तान की रणनीतिक सोच पर पड़ रहा है, बल्कि उसके आंतरिक हालात भी बिखरते नज़र आ रहे हैं।
एक ओर भारत ने अपने एयरस्पेस को नियंत्रित कर सेना को युद्ध के लिए तैयार मोड में रख दिया है , वहीं पाकिस्तान अब वैश्विक मंचों पर आर्थिक सहायता के लिए हाथ फैलता घूम रहा है है। हालात यह हैं कि IMF और चीन जैसे देशों से लिए गए कर्ज की किश्तें चुकाने के लिए इस्लामाबाद सरकार के पास विकल्प कम होते जा रहे हैं। हालांकि बीती रात आईएमएफ के द्वारा पाकिस्तान को अरबों रुपए का कर्ज मंजूर किया गया है ।
रणनीति में पिछड़ रहा पाकिस्तान
भारतीय सेना की आक्रामक सतर्कता और तकनीकी बढ़त के सामने पाकिस्तान की मिसाइल और ड्रोन लगातार धराशाई होते जा रहे हैं । बीते चार दिनों में 800 से ज्यादा ड्रोन और दो-तीन दर्जन मिसाइल पाकिस्तान भारत पर छोड़ चुका है पर भारत का नुकसान न के बराबर है जबकि जवाब में भारत द्वारा छोड़े गए मिसाइल अटैक से पाकिस्तान में नुकसान ज्यादा दिखाई पड़ रहा है ऐसे वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं और भारत में देखे जा रहे हैं ।
राजनीतिक नेतृत्व और सैन्य सोच में दरार
पाकिस्तान के भीतर अब खुद उसकी जनता और विश्लेषक यह कहने लगे हैं कि देश की न तो राजनीतिक नेतृत्व में स्पष्टता है, न ही सैन्य रणनीति में एकजुटता। सेना के शीर्ष जनरल और राजनीतिक नेतृत्व के बीच असहमति की खबरें मीडिया में लगातार आ रही हैं, जिससे फैसला लेने की प्रक्रिया धीमी और भ्रमित नजर आ रही है। यहां तक की पाकिस्तान की संसद में भी वहां के प्रधानमंत्री को लानत मनालत दी जा रही है । भारत पाक तनाव के बाद संसद संसद में रोते हुए भी नजर आए हैं ।
बलूचिस्तान से उठ रही बगावत की आवाजें
देश के भीतर भी पाकिस्तान को एकजुट रखना अब चुनौती बनता जा रहा है। बलूचिस्तान में विरोध-प्रदर्शन और अलगाव की मांगें एक बार फिर ज़ोर पकड़ रही हैं। मानवाधिकार हनन और राजनीतिक उपेक्षा के आरोपों के बीच वहां की जनता खुलेआम पाकिस्तान सरकार के खिलाफ नारेबाज़ी कर रही है।
जनता का भरोसा डगमगाया
पाकिस्तान की आम जनता अब खुद अपने देश की नीतियों पर सवाल उठा रही है। बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और सुरक्षा तंत्र की विफलता ने नागरिकों का भरोसा हिला दिया है। सोशल मीडिया पर अब आवाजें तेज़ हो रही हैं कि देश को खुद से खतरा है, बाहरी नहीं।
क्या पाकिस्तान भारत से मुकाबला कर पाएगा?
भारत-पाकिस्तान की राजनीति पर नजदीकी निगाह रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा हालात में पाकिस्तान भारत से किसी प्रकार केलंबे समय के युद्ध के लिए फिलहाल तैयार दिखाई नहीं पड़ता । भारत जहां तकनीकी रूप से सक्षम, आर्थिक रूप से मजबूत और राजनीतिक रूप से स्थिर दिखाई दे रहा है, वहीं पाकिस्तान को अंदर और बाहर दोनों मोर्चों पर संकट का सामना करना पड़ रहा है। यह अलग बात है कि युद्ध कितने दिन तक पाकिस्तान खींच सकता है । यही उसकी रणनीतिक विजय हो सकती है । पाकिस्तान को अगर युद्ध लंबा किसका नजर आया तो पाकिस्तान चाहेगा वैश्विक मंच के बड़े देश भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की भूमिका में आए ताकि पाकिस्तान के नेताओं और सेना के जनरल को यह कहने का मौका मिल सके हम तो युद्ध लड़ना चाहते थे भारत ने ही मध्यस्थ की मांग की थी जबकि हकीकत इसके विपरीत है ।
फिलहाल जब आप यह खबर पढ़ रहे होंगे तब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव किस हद तक पहुंचूंगा यह कहना बहुत मुश्किल काम है हो सकता है तब तक मध्यस्थ की बात अगर हो जाए तो दोनों देश टेबल पर आ जाए और अगर ऐसा नहीं हुआ तो युद्ध को टालना बहुत मुश्किल नजर आने लगा है । और अगर युद्ध होता है तो नुकसान दोनों पक्ष का होगा चाहे वह भारत हो या फिर पाकिस्तान ।
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