आखिर क्यों नहीं हो रही अनिल अंबानी की गिरफ्तारी ?
6000 करोड़ के फ्रॉड का मामला ?
एक पत्रकार को खरीदने की की गई थी कोशिश !
कंपनी के प्रवक्ता का बयान हमें गलत फंसाया जा रहा!
नई दिल्ली रीतेश माहेश्वरी
अगर आपने किसी बैंक से लोन लिया है और मान लीजिए आपकी दो-तीन किस्तें बाउंस हो जाती हैं । तो सूची क्या होता है ऐसी स्थिति में बैंक के कर्मचारी फोन करके दबाव बनाना शुरू करते हैं और कभी-कभी तो घर भी टपक जाते हैं । परंतु अगर आप भारत के बड़े रईस खानदान से जुड़े हुए हैं जिसका नाम अंबानी हो तो बैंक हो या जांच एजेंसियां सब आपसे दूरी बनाकर ही रखते हैं वह अलग बात है कि दिखावे के लिए थोड़ी बहुत जांच पड़ताल कर दी जाती है ताकि कोई सवाल ना उठा सके ।
देश की जांच एजेंसियां जब छोटे व्यापारियों, नौकरीपेशा लोगों और आम नागरिकों पर त्वरित कार्रवाई करने में पीछे नहीं हटतीं, तो ये सवाल उठना लाज़मी है कि 5000 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार आरोपों में घिरे रिलायंस ग्रुप के प्रमुख अनिल अंबानी अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हुए ?
एजेंसियों की दबिश, पर कार्रवाई अधूरी
पिछले एक महीने में अनिल अंबानी के घर और दफ्तर पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने छापेमारी की। यह छापेमारी Yes Bank और State Bank of India की शिकायतों पर की गई, जिनमें आरोप है कि अंबानी समूह की कंपनियों ने 3000 करोड़ और 2300 करोड़ रुपये का ऋण गलत तरीके से दूसरी कंपनियों में स्थानांतरित किया।
डिजिटल लेनदेन के तमाम सबूत एजेंसियों के पास मौजूद हैं। बावजूद इसके, अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई। आखिर एजेंसियां किसी संकेत या दबाव का इंतज़ार कर रही हैं?
आम आदमी बनाम उद्योगपति का कानून
एक साधारण व्यक्ति यदि बैंक से लिया गया लोन चुकाने में ज़रा-सी चूक करता है, तो बैंक तुरंत नोटिस भेजता है, कॉल पर दबाव बनाता है और वसूली एजेंट घर तक पहुंच जाते हैं। लेकिन जब हजारों करोड़ का खेल सामने आता है, तो कार्रवाई क्यों थम जाती है?
क्या कानून केवल छोटे दुकानदारों और आम नागरिकों के लिए ही है, और बड़े उद्योगपतियों के लिए इसका कोई मायना नहीं?
अंबानी की पुरानी विवादित छवि भी
अनिल अंबानी का नाम पहले भी विवादों में रहा है। राफेल डील के समय उनकी कंपनी पर सवाल उठे थे कि मात्र 13 दिन पुरानी कंपनी को इतनी बड़ी रक्षा डील का ठेका कैसे मिल गया। उस दौरान भी आरोप लगे थे कि केंद्र सरकार ने उनका बचाव किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक पत्रकार को भी चुप कराने के लिए भारी रकम की पेशकश की गई थी। आज जब बैंकों और एजेंसियों के पास पुख्ता सबूत मौजूद हैं, तो यह सवाल और तीखा हो जाता है कि क्या अंबानी परिवार सत्ता गलियारों में अपनी निकटता के कारण सुरक्षित है?
जनता का बढ़ता रोष
लोग अब खुले तौर पर जानना चाह रहे हैं
क्या गिरफ्तारी का कानून केवल आम आदमी के लिए है?
क्या बड़े उद्योगपतियों को राजनीतिक संरक्षण के कारण बचाया जा रहा है?
जब एजेंसियां शनिवार को छापेमारी ( कुछ सबूत होगा तभी की गई होगी ) कर चुकी हैं, तो गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई?
5000 करोड़ रुपये की यह कथित गड़बड़ी केवल एक वित्तीय घोटाला नहीं, बल्कि यह इस बात की भी परीक्षा है कि भारत का न्यायिक और प्रशासनिक ढांचा सबके लिए समान है या नहीं। यदि कार्रवाई केवल कमजोरों तक सीमित है और बड़े नाम सुरक्षित हैं, तो यह लोकतंत्र और कानून के राज पर गंभीर प्रश्नचिह्न है।
अनिल अंबानी के आवास पर CBI तलाशी, प्रवक्ता ने कहा—‘झूठे आरोप, कानूनी लड़ाई लड़ेंगे’
एडीएजी समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी के घर पर हुई सीबीआई तलाशी को लेकर उनके प्रवक्ता ने विस्तृत बयान देर रात जारी किया है। प्रवक्ता के अनुसार, तलाशी शुक्रवार दोपहर समाप्त हुई और यह मामला लगभग दस साल पुरानी एक शिकायत से जुड़ा है, जिसे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने दर्ज कराया था।
प्रवक्ता ने कहा कि उस समय अनिल अंबानी केवल नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर की भूमिका में थे और कंपनी के दैनिक संचालन से उनका कोई संबंध नहीं था। उन्होंने आरोप लगाया कि एसबीआई ने इसी मामले में पांच अन्य गैर-कार्यकारी निदेशकों पर कार्रवाई वापस ले ली थी, लेकिन अंबानी को अलग से निशाना बनाया जा रहा है।
बयान में यह भी कहा गया कि वर्तमान में रिलायंस कम्युनिकेशंस की जिम्मेदारी क्रेडिटर्स की कमेटी और रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल (RP) के पास है, जिसकी निगरानी एनसीएलटी और सुप्रीम कोर्ट जैसे मंचों पर हो रही है। प्रवक्ता के अनुसार, अंबानी पहले ही एसबीआई की घोषणाओं को कानूनी रूप से चुनौती दे चुके हैं और मामला अभी विचाराधीन है।
अनिल अंबानी ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि वह कानून में पूरी आस्था रखते हैं और न्यायिक प्रक्रिया में सहयोग करते हुए अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे। तलाशी के बाद जारी यह बयान उस समय सामने आया है जब देशभर में इस कार्रवाई को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
जब एक पत्रकार को खरीदने की गई कोशिश अनिल अंबानी की तरफ से
अनिल अंबानी ने अपने फ्रॉड की स्टोरी गिराने के लिए पत्रकार को बड़ा ऑफर दिया था! : विश्व दीपक
अनिल अंबानी के खिलाफ़ 17 हज़ार करोड़ के लोन फ्रॉड मामले में सीबीआई ने छापेमारी की. यह वही अनिल अंबानी है जिसने रफाएल डील से ठीक 12 दिन पहले एक रक्षा कंपनी बनाई थी जिसे मोदी जी ने 33 हज़ार करोड़ का ऑफ सेट कॉन्ट्रैक्ट दिलवाया था.
रक्षा क्षेत्र में काम करने का अनिल अंबानी को कोई अनुभव नहीं था फिर उसको इतना बड़ा ऑफ सेट कॉन्ट्रैक्ट HAL से छीनकर किस आधार पर दिया गया था? किसी को नहीं पता.
मैंने ( पत्रकार ने ) यह स्टोरी कर दी. भूचाल आ गया. अंबानी ने पूरी कोशिश की कि मैं स्टोरी गिरा दूं या पल्ला झाड़ लूं. उसने काफी बड़ा ऑफर दिया था. इतना बड़ा की एक आदमी की ज़िन्दगी बदल जाए. आने वाली पीढ़ियों की ज़िन्दगी बदल जाती है ऐसे ऑफर्स को स्वीकार करने के बाद.
टोनी भाई जो अब इस दुनिया में नहीं हैं वो अनिल अंबानी की तरफ से डील कर रहे थे. मैंने प्रस्ताव ठुकराया दिया. गुस्सा कर अनिल भाई ने 5000 करोड़ का मुकदमा दायर कर दिया. जब साम, दाम काम नहीं आया तो अनिल भाई के लोग दंड वाली भाषा बोलने लगे.
राहुल गांधी को पता चला तो उन्होंने हस्तक्षेप किया. तुरंत औकात पर आ गए. बाद में अनिल भाई ने स्वतः मुकदमा वापस ले लिया. ऐसा उन्होंने सत्ता प्रतिष्ठान की सलाह पर किया था- बाद में पता चला. मुकदमेबाजी से मोदी जी को राजनीतिक नुकसान हो रहा था.
अनिल अंबानी पर मोदी सरकार की मेहरबानियां इतनी हैं कि भारत के राष्ट्रीय बैंकों का बैंड बज गया. अनिल अंबानी ने 50 से ज़्यादा बैंकों से 47 हज़ार करोड़ से ऊपर का लोन लिया था. मोदी जी की कृपा से मामला 455 करोड़ में ही सेटल हो गया.
अब उसी अंबानी के खिलाफ ED और CBI (अमित शाह के अधीन) को कारवाई करनी पड़ रही है. निश्चित रूप से मोदी जी के लिए निजी तौर पर यह मजबूरी भरा फैसला रहा होगा. मोदी जी ने क्रोनी कैपिटलिजम की कील से अर्थव्यवस्था में इतने छेद किए हैं, इतने छेद किए कि उन्हें आने वाले कई दशकों तक पाटना मुश्किल होगा.
( साभार भड़ास4मीडिया वेबसाइट से )

Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!