GK : दूतावास को कौन जारी करता है ‘DC’, ‘CC’, ‘UN’ नंबर प्लेटें? कैसे तय होती है इनकी सीरीज?
गाजियाबाद में फर्जी दूतावास पकड़े जाने के बाद सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे कैसे जारी होती है दूतावासो गाड़ियों की नंबर प्लेट क्या होती है सीरीज क्या होता है नंबर प्लेट का रंग !
नई दिल्ली/गाजियाबाद रिया सिंह
गाजियाबाद में हाल ही में एक फर्जी दूतावास का भंडाफोड़ हुआ है, जो उन देशों के नाम पर संचालित हो रहा था जो वास्तविकता में अस्तित्व में ही नहीं हैं। इस फर्जी मिशन से जुड़े लोगों के पास डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट लगी महंगी लग्जरी गाड़ियां भी मिलीं। इस खुलासे के बाद अब यह सवाल चर्चा में आ गया है कि असली दूतावासों की गाड़ियों पर जो ‘DC’, ‘CC’ या ‘UN’ कोड वाली नंबर प्लेटें लगती हैं, उनका सिस्टम क्या है, इन्हें कौन जारी करता है और ये कितनी सुरक्षित हैं?
क्या होता है डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट सिस्टम?
भारत में किसी भी दूतावास, कांसुलेट या अंतरराष्ट्रीय मिशन की गाड़ियों पर नीले रंग की खास नंबर प्लेट लगाई जाती है, जिसमें सफेद अक्षरों में DC (Diplomatic Corps), CC (Consular Corps) या UN (United Nations) लिखा होता है। इसके बाद उस देश का तीन अंकों वाला कोड और फिर वाहन का क्रमांक दिया जाता है।
उदाहरण के लिए:
अमेरिका के लिए कोड 77
रूस के लिए 75
चीन के लिए 17
ब्रिटेन के लिए 11
पाकिस्तान के लिए 68
कौन करता है इनका पंजीकरण?
डिप्लोमैटिक वाहनों के पंजीकरण की पूरी प्रक्रिया भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के प्रोटोकॉल डिवीजन द्वारा नियंत्रित होती है। संबंधित दूतावास वाहन खरीदने के बाद मंत्रालय के पास आवेदन करता है, जहां से निर्धारित कोड और सीरीज के आधार पर नंबर अलॉट किया जाता है। इसके बाद संबंधित राज्य का परिवहन विभाग उस वाहन को डिप्लोमैटिक रजिस्ट्रेशन जारी करता है, लेकिन यह प्रक्रिया विदेश मंत्रालय की मंजूरी के बाद ही पूरी होती है।
क्या होते हैं डिप्लोमैटिक वाहनों के विशेषाधिकार?
इन वाहनों को वियना संधि के तहत कुछ विशेष छूट प्राप्त होती है:
सीमित ट्रैफिक चालान या जुर्माने से छूट
तलाशी से विशेष छूट
कुछ मामलों में पार्किंग नियमों में भी लचीलापन
कैसे पकड़ा जाता है फर्जीवाड़ा?
दिल्ली पुलिस और ट्रैफिक विभाग के पास विदेश मंत्रालय द्वारा प्रमाणित सभी डिप्लोमैटिक नंबर प्लेटों की सूची होती है। संदिग्ध वाहनों को सीसीटीवी, ट्रैफिक चेकिंग या शिकायत के आधार पर रोका जाता है। विदेश मंत्रालय के रिकॉर्ड से मिलान करने पर तुरंत यह पता लगाया जा सकता है कि नंबर प्लेट असली है या नहीं। फर्जी पाए जाने पर वाहन जब्त कर लिया जाता है और संबंधित व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज होता है।
अब और सुरक्षित हैं ये प्लेटें
अब डिप्लोमैटिक नंबर प्लेटों को और ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए इनमें हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (HSRP), बारकोड, QR कोड, होलोग्राम, रिफ्लेक्टिव मटेरियल और विशेष फॉन्ट्स* का प्रयोग किया जा रहा है ताकि इनकी नकल न की जा सके।
क्या है हालिया मामला?
गाजियाबाद में जिन गाड़ियों पर फर्जी डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट मिलीं, वे कुछ ऐसे “काल्पनिक देशों” के नाम पर थीं जो अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त नहीं हैं। कारों पर नकली कोड और सीरीज लिखी गई थीं। इस गिरोह ने खुद को राजनयिक बताकर कई संस्थानों को गुमराह किया।
डिप्लोमैटिक नंबर प्लेटें न केवल भारत में मौजूद दूतावासों की पहचान का माध्यम हैं, बल्कि यह देश की सुरक्षा और वैश्विक कूटनीति से भी जुड़ी होती हैं। इनका पंजीकरण और नियंत्रण पूरी तरह विदेश मंत्रालय के हाथों में होता है। इसीलिए इन प्लेटों के दुरुपयोग को बेहद गंभीर अपराध माना जाता है और ऐसे मामलों में त्वरित और कठोर कार्रवाई की जाती है।
यदि आपको किसी वाहन पर संदिग्ध डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट नजर आए, तो तुरंत पुलिस को सूचित करें। यह देश की सुरक्षा से जुड़ा विषय है।
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