सोसाइटियों को बार-बार पत्र लिखने के बावजूद गीला सूखा कूड़ा नहीं किया जाता अलग, सेनेटरी ब्रांच ठोस कार्रवाई करने में नाकाम
मिक्स कूड़ा देने वाली सोसाइटियों का आज तक नहीं काटा गया एक भी चालान
संदीप सिंह बावा: वर्षों से नगर कौंसिल द्वारा लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि कूड़ा उठाने वाले लोगों को सभी शहर निवासी जिला तथा सूखा कूड़ा अलग-अलग करके ही दें लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है जानकारी के अनुसार वर्ष 2018 से नगर कौंसिल द्वारा विभिन्न सोसाइटियों में जाकर लोगों को इस संबंधी जागरूक भी किया गया था इसके बाद शहर के लोग अपने घरों का गीला तथा सूखा कूड़ा अलग-अलग करके देने लग गए थे उसे समय ऐसे लोगों की संख्या 80% से लेकर 90% तक पहुंच गई थी लेकिन 2020 में कोरोना के समय पर यह सारा कुछ बंद हो गया और फिर से जिला तथा सूखा कूड़ा मिक्स होने लग गया। जोकि अब तक चल रहा है लेकिन नगर कौंसिल द्वारा कोई सख्ती नहीं दिखाई जा रही। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 2019 से लेकर अब तक उन सोसाइटियों को नगर कौंसिल द्वारा चार से पांच पत्र भी निकल जा चुके हैं जो सोसाइटियां गीला तथा सूखा कूड़ा अलग-अलग करके नहीं डाल रही है लेकिन यहां पर यह एक बड़ा प्रश्न उठता है कि उनके खिलाफ सख्ती से क्यों नहीं पेश आया जाता।
क्या लिखा है सोसाइटियों को निकाले पत्र में
जिला तथा सुख कूड़ा अलग-अलग करके ना देने वाली सोसाइटियों को नगर कौंसिल द्वारा 4 से 5 बार पत्र भी लिखा जा चुका है उसमें यही लिखा है कि जो भी सोसाइटी गीला तथा सूखा कूड़ा अलग-अलग करके नहीं देगी उसे सोसाइटी में से नगर कौंसिल द्वारा कूड़ा नहीं उठाया जाएगा। इतने पत्र निकालने के बाद भी नगर कौंसिल द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। अगर नगर कौंसिल का सेनेटरी विभाग गीला तथा सुखा कूड़ा अलग-अलग करने के नियम को सख्ती से लागू करता है तो नगर कौंसिल को इसे अलग-अलग करवाने में जो खर्च करना पड़ता है वह बच सकता है।
तीन लेवल पर की जाती है गीले तथा सूखे कूड़े की छंटाई
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार घर से लेकर डंपिंग ग्राउंड तक पहुंचने तक गीले तथा सूखे कूड़े की छंटाई तीन लेवल में होती है। पहले लेवल में जिला तथा सूखा कूड़ा घर से ही अलग-अलग करके डाला जाता है, दूसरे लेवल में अगर घर से जिला तथा सूखा कूड़ा अलग-अलग करके नहीं डाला जाता तो जी रेडी में वह कूड़ा डाला गया है उसे रेडी वाला द्वारा गीले तथा सूखे कूड़े को अलग-अलग करके डंपिंग ग्राउंड तक पहुंचना है। तीसरे लेवल में अगर फिर भी जिला तथा सूखा कूड़ा अलग-अलग नहीं किया गया तो उसे पिट के सामने अलग-अलग किया जाता है और प्लास्टिक को पूरी तरह से बाहर निकाल कर उसमें से गीला कूड़ा पिट में डाला जाता है।
हमने शहर की सोसाइटियों को कई बार पत्र लिखकर कहा है कि सोसाइटियों द्वारा गीला तथा सूखा कूड़ा अलग-अलग करके ही डाला जाए लेकिन सोसाइटियों द्वारा ऐसा नहीं किया जा रहा। कुछ सोसाइटियां हमें ₹50प्रति घर फीस अदा कर रही है। लेकिन हमने गीला तथा सूखा कूड़ा अलग-अलग करके ना देने वाली किसी भी सोसाइटी का चालान नहीं किया है। : रामगोपाल, सेनेटरी इंस्पेक्टर, नगर कौंसिल जीरकपुर।
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