राम रहीम को कोर्ट की लताड़ -कमलेश भारतीय
राम रहीम चाहे जेल में रहें या बेल या फरलो पर हमेशा चर्चा में बने रहते हैं । पहले लोकसभा चुनाव के मतदान के एक दिन पूर्व भाजपा के पक्ष में अपना फरमान जारी करने से लेकर अब पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट से इक्कीस दिन की फरलो मांगने तक ! पहली बात यह कि इस बार हाईकोर्ट का रवैया सख्त है और कोर्ट ने कहा है कि आप पहले से कार्यक्रम तय करके, फिर फरलो मांगते हो ! राम रहीम की ओर से दायर की गयी अर्ज़ी में कहा गया कि इसी महीने डेरे में सेवादार श्रद्धांजलि भंडारा आयोजित किया जा रहा है, जिसमें शामिल होने के लिए उन्हें फरलो दी जाये ! कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाते कहा कि सुनवाई दो जुलाई को कार्यवाहक जस्टिस की बेंच ही करेगी, आप अपना कार्यक्रम स्थगित कर सकते हो ! आप पहले कार्यक्रम रख लेते हो, फिर बाद में कोर्ट आकर इसमें शामिल होने का दबाव डालते हो !
पहली बार हरियाणा में राम रहीम के भाजपा को वोट देने के फरमान का कोई असर नहीं दिखा । भाजपा को हरियाणा में आधी सीटें ही मिल सकीं और सिरसा में जहां डेरा है, वहां से भी कांग्रेस की सैलजा भारी मतों से जीतीं ! हरियाणा और खासकर सिरसा और रोहतक के मतदाताओं ने भारी मतों से कांग्रेस प्रत्याशियों को जिता कर राम रहीम और उनके फरमान की धज्जियां उड़ा कर यह संदेश दिया कि अब आपके ये फरमान कोई नहीं मानने वाला ! फरलो के लिए कोई नया बहाना ढूंढिये ! अब तो कभी सुनारिया जेल में सब्ज़ियां लगाते या देखभाल करते राम रहीम की कोई फोटो भी नहीं आती ! क्या जेल प्रसाशन ने पूर्ण भक्ति का समय दे दिया है? आखिर विशेष दर्जा दे दिया लगता है । वैसे भी सीबीआई की कमज़ोर पैरवी के चलते रणजीत सिंह हत्याकांड से राम रहीम को बरी कर दिया गया है ! राम रहीम फरलो के दिनों में वीडियो वायरल करते हैं, क्या यह कानून की नज़र में सही है? जब किसी भी गतिविधि में भाग नहीं ले सकते, तो वीडियो से ऑनलाइन सत्संग कैसे ? खैर, कानून की बात, कानून और जस्टिस ही जानें ! हम बोलेगा तो बोलेंगे कि बोलता है पर एक बार फिर इतना तो बोलेगा ही कि राम रहीम का फरमान न मानने वालों को सलाम ! राजनीति से ऐसे किसी भी डेरे के फरमान नहीं मानने चाहिएं, जिससे लोकतंत्र धर्मनिरपेक्ष रहे !
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