हरियाणा में बीपीएल श्रेणी के लोगों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी, भाजपा और कांग्रेस में तीखी भिड़ंत
चंडीगढ़। मंगलवार को हरियाणा विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों ने राज्य में गरीबी की बढ़ती समस्या को लेकर राजनीतिक हलकों में गर्मा-गर्मी पैदा कर दी है। राज्य के 2.9 करोड़ से अधिक निवासियों में से 1.98 करोड़ लोग अब गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जीवन जी रहे हैं। पिछले दो वर्षों में बीपीएल श्रेणी में शामिल होने वाले लोगों की संख्या में लगभग 75 लाख का इजाफा हुआ है, जो कुल राज्य आबादी का लगभग 68 प्रतिशत है। यह आंकड़ा कांग्रेस और भाजपा के बीच एक नए विवाद का कारण बन गया है।
कांग्रेस ने इस वृद्धि को लेकर भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पार्टी का कहना है कि यह बढ़ती गरीबी रेखा से नीचे जीवन जीने वाले लोगों की संख्या प्रदेश सरकार की विफलताओं को दर्शाता है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आरोप लगाया कि भाजपा ने जानबूझकर चुनावी लाभ उठाने के लिए गरीबों की संख्या बढ़ाई और अब अधिक से अधिक लोगों को बीपीएल श्रेणी में डालकर सरकारी योजनाओं का लाभ देने का दावा कर रही है। उन्होंने मांग की है कि इस मामले की सीबीआई जांच की जाए।
वहीं, भाजपा ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा कि यह वृद्धि सरकार द्वारा गरीबों के हित में किए गए प्रयासों का परिणाम है। पार्टी का दावा है कि राज्य में गरीबों को सरकारी योजनाओं का फायदा पहुंचाने के लिए ही इस वर्ग का विस्तार किया गया है। भाजपा विधायक धनेश अदलखा ने कहा कि कांग्रेस शासन के दौरान बीपीएल कार्ड की पात्रता सीमा केवल 1.20 लाख रुपये थी, जबकि भाजपा सरकार ने इसे बढ़ाकर 1.80 लाख रुपये वार्षिक कर दिया है। इसके परिणामस्वरूप अब असली गरीब लोग बीपीएल श्रेणी में आ सके हैं। अदलखा ने कांग्रेस के आरोपों को राजनीतिक साजिश करार दिया और कहा कि सरकार ने गरीबों की स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए हैं।
बीपीएल श्रेणी के लाभ
बीपीएल श्रेणी के लोग कई सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं, जिनमें सस्ता अनाज, रियायती तेल और चीनी शामिल हैं। प्रत्येक बीपीएल परिवार को हर महीने 5 किलो अनाज, 40 रुपये में दो लीटर सरसों का तेल और 13 रुपये किलो चीनी मिलती है। इसके अलावा, परिवार पहचान पत्र (PPP) में शामिल बीपीएल परिवारों को 20 से अधिक योजनाओं का लाभ भी प्राप्त होता है। दिसंबर 2022 तक करीब 1.24 करोड़ लोग इस श्रेणी में शामिल किए गए थे, जो राज्य की कुल आबादी का लगभग 44 प्रतिशत थे। अब बीपीएल लोगों की संख्या बढ़कर 1.98 करोड़ तक पहुंच गई है, जो 26 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
राजनीतिक विवाद
कांग्रेस का आरोप है कि सरकार ने चुनावी लाभ के लिए बीपीएल श्रेणी के अंतर्गत अधिक से अधिक लोगों को शामिल किया। पार्टी के नेता भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि राज्य में गरीबों की संख्या बढ़ने के बावजूद प्रति व्यक्ति आय में इजाफा नहीं हो पा रहा है, जो एक गहरी असंवेदनशीलता का प्रतीक है। उनके अनुसार, यह असामान्य स्थिति तब उत्पन्न हुई है जब सरकार के आंकड़ों के मुताबिक प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हो रही है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि गरीबों की संख्या इतनी क्यों बढ़ी?
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा द्वारा अब तक गरीबों को सस्ती योजनाओं का लाभ देने की प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं रखी गई है, और इन आंकड़ों के बढ़ने के पीछे कोई चुनावी रणनीति हो सकती है। पार्टी का कहना है कि जब वास्तविक जरूरतमंदों को लाभ नहीं मिल पा रहा, तो यह बढ़ती संख्या संदिग्ध हो सकती है।
भाजपा का पलटवार
भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि वे गरीबों के लिए काम कर रही हैं और जिन लोगों को बीपीएल श्रेणी में शामिल किया गया है, वे सरकार की योजनाओं का वास्तविक लाभ उठा रहे हैं। भाजपा ने दावा किया कि उन्होंने फर्जी बीपीएल कार्डधारियों की पहचान कर उन्हें समाप्त कर दिया, जिससे केवल असली गरीबों को ही योजनाओं का लाभ मिल रहा है।
भाजपा के नेताओं का कहना है कि कांग्रेस को यह परेशानी हो रही है कि भाजपा ने गरीबों के लिए जो योजनाएं बनाई हैं, उनसे राजनीतिक लाभ मिल सकता है, क्योंकि अब जरूरतमंद लोग सरकारी योजनाओं का ठीक से लाभ ले रहे हैं। भाजपा के विधायक धनेश अदलखा ने कहा कि राज्य सरकार ने बीपीएल कार्ड की पात्रता सीमा बढ़ाकर 1.80 लाख रुपये की है, और इसका उद्देश्य वास्तविक गरीबों को मदद पहुंचाना है।
जिलावार आंकड़े
हरियाणा के विभिन्न जिलों में बीपीएल की संख्या में बड़ा अंतर देखने को मिल रहा है। फरीदाबाद जिले में सबसे अधिक 14.29 लाख लोग बीपीएल श्रेणी में शामिल हैं, जबकि हिसार जिले में 13.55 लाख और नूंह जिले में 13.40 लाख लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। वहीं, पंचकूला जिले में सबसे कम 3.65 लाख बीपीएल लोग हैं।
सीबीआई जांच की मांग
कांग्रेस ने अब इस पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बीपीएल श्रेणी में शामिल होने वाले लोग सचमुच गरीब हैं और उन्हें योजनाओं का सही लाभ मिल रहा है या नहीं। कांग्रेस का कहना है कि राज्य सरकार ने जानबूझकर इस आंकड़े को बढ़ाकर चुनावी लाभ लेने की कोशिश की है।
वहीं, भाजपा ने इस जांच के लिए सहमति जताते हुए कहा कि अगर किसी तरह की गड़बड़ी हुई तो वे उसे सार्वजनिक करेंगे। भाजपा के अनुसार, सरकार ने किसी भी व्यक्ति को फर्जी लाभ नहीं दिया है और वे बीपीएल कार्डधारियों के मामलों में पूरी पारदर्शिता बरत रही हैं।
निष्कर्ष
हरियाणा में बढ़ती गरीबी और बीपीएल लोगों की संख्या को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच यह टकराव आगामी विधानसभा चुनावों से पहले एक नया विवाद बन सकता है। अब देखना होगा कि इस मामले में जांच की दिशा क्या होती है और क्या सरकार अपनी योजनाओं के दावे को साबित कर पाएगी या विपक्ष उसे नकारा करता रहेगा।
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