…अम्मा देख हा देख तेरा मुंडा बिगड़ा जाए
बुलेट मोटरसाईकिलों पर पटाखों की आवाज से खौफजदा शहरवासी
लोग बोले -पुलिस करे बिगडैल मुंडो के खिलाफ सख्त कार्रवाई
प्रवीण सिंह वालिया : शहर में डरावनी आवाजों के शोरगुल ने जहां आम जन को परेशान कर रखा है वहीं आजकल कल बुलेट मोटरसाइकिल पर पटाखों की आवाज से लोगों को भयभीत करने का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है। युवाओं का यह शौक है या फिर जुनून कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन इससे शहरवासी अच्छे खासे परेशान हैं। इस बारे इस संवाददाता ने शहर के कुछ लोगों से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश। रमण नागपाल का कहना है कि पुलिस कई बार कार्रवाई तो करती है लेकिन फिर भी कुछ युवा रोजाना सडक़ों पर बुलेट मोटरसाईकिलों से तेज पटाखों से लोगों को भयभीत करने से बाज नहीं आ रहे। ऐसा करना ये अपनी शान समझते हैं। पुलिस को चाहिए की इस संबंध में सख्त कार्रवाई करे। सज्जन सिंह का कहना है कि कुछ युवाओं के हौंसले लगातार बढ़ रहे हैं। जबकि लोगों की जान आफत में है। जबकि ट्रैफिक पुलिस शहर में नियमों की अनदेखी करने वालों के चालान तो काटती है लेकिन इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा। जरूरत है इस ओर विशेष ध्यान देने व कार्रवाई करने की।
संजीव मल्होत्रा व सुनील विरमानी ने कहा कि शहर में बुलेट मोटरसाइकिलों वाले कुछ युवा जानबूझ पर सडक़ों पर पटाखे की आवाज से लोगों का दिल दहला रहे हैं। ऐसे में कमजोर दिल के व्यक्तियों की जान पर बन आई है वहीं अन्य भी पटाखों जैसी आवाज सुनकर बुरी तरह से भयभीत हो जाते हैं जिससे सडक़ों पर दुर्घटनाओं के होने की पूरी संभावनाएं बन रही हैं। पंकज जैन व सोमनाथ अरोड़ा ने कहा कि नौजवान शान पट्टी दिखाने के लिए बुलेट मोटरसाईकिल पर पटाखों की आवाजों से आम जन को परेशान करते हैं। सडक़ों पर लोग इन डरावनी आवाजों को सुनकर हड़बड़ाहट में एक तरफ हो जाते हैं व पटाखों की आवाज ऐसे लगती है जैसे कहीं गोलियां चल रही हों। इन आवाजों से शहरवासी खौफजदा हैं। पुलिस को चाहिए कि इन बिगडैल युवकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे व चालान काटे। आम जन को इससे कितनी परेशानी हो रही है वह वही जानते हैं। सीनीयर सिटीजन डीएल गुप्ता व बिजनेसमैन राजेश मदान ने कहा कि कम उम्र के मुंडे बाईकों व स्कूटी पर गली मोहल्लों से गुजरते हैं तो स्पीड देखकर लोगों के दिल दहल जाते हैं। लेकिन चलाने वाले इन बच्चों को कोई फर्क नहीं पड़ता। बता दें कि खुली सडक़ों पर तो ये तेज गति से चलते ही हैं लेकिन गली मोहल्लों में भी इनकी स्पीड कम नहीं होती। गली मोहल्लों में खेल रहे बच्चे अक्सर इनकी चपेट में आ जाते हैं। इनकी तेज रफ्तार ही अक्सर दुर्घटनाओं का कारण बनती हैं। कम उम्र के बच्चों को अभिभावक न जाने क्यों बाईक चलाने की इजाजत दे देते हैं। ये समझ से बाहर है। इन अनाड़ी व बेसमझ बच्चों के कारण ही अधिकतर सडक़ दुर्घटनाएं घटित होती हैं। जान की परवाह न करते हुए ये बच्चे सडक़ों पर तेज गति व नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाते जाते हैं जो सरासर गलत है।
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