8-9 साल की बच्चियों को शुरू हो रही है पीरियड्स, ऐसे में क्या करना सही और क्या करना गलत?
अब 11 साल की उम्र से पहले पीरियड आने वाली लड़कियों की संख्या 8.6% से बढ़कर 15.5% हो गई है और 9 साल की उम्र से पहले पीरियड्स आने वाली लड़कियों की संख्या दोगुना से भी ज्यादा हो गई है
हर एक महिला अपने जीवन में मासिक धर्म काल का अनुभव करती है। ऐसे में यह भी कहा जाता है कि जब एक लड़की का मासिक धर्म शुरू हो जाता है तो फिर पूरी तरीके से बड़ी हो जाती है और अपनी जिम्मेदारियां भी सही तरीके से समझने लगती है। उन दिनों हार्मोनल बदलाव के साथ दर्द और कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अब एक रिपोर्ट के अनुसार यह भी कहा जा रहा है कि आजकल के समय में 11 साल की उम्र से पहले पीरियड आने वाली लड़कियों की संख्या 8.6% से बढ़कर 15.5% हो गई है और 9 साल की उम्र से पहले पीरियड्स आने वाली लड़कियों की संख्या दोगुना से भी ज्यादा हो गई है।
इसका अर्थ है कि अब के समय में 9 या 8 साल की बच्ची का मासिक धर्म शुरू हो जाता है। कई लोगों के मन में यह भी सवाल उठता है कि ऐसा बदलाव आखिर क्यों हो रहा है। जहां एक समय में पीरियड्स 17-18 साल में शुरू होते थे, वहीं अब 9 या 8 साल की बच्ची भी उम्र के हिसाब से बड़ी हो रही है। अब सवाल उठता है कि कौन सी उम्र पीरियड्स आने के लिए सही है? और अगर एक बच्ची को इतनी जल्दी पीरियड्स शुरू हो जाते हैं तो क्या वह एक समस्या है? यूनिटीपॉइंट हेल्थ पीडियाट्रिशियन डॉ. सारा क्रेकमैन कहती हैं, “लड़कियों में 8 या 9 साल की उम्र में ही मासिक धर्म शुरू हो जाना कोई असामान्य बात नहीं है। यह इतनी कम उम्र की लड़कियों के साथ-साथ उनके माता-पिता के लिए भी भावनात्मक और मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है।”
क्या कहती है रिसर्च?
जामा नेटवर्क ओपन जर्नल ने अमेरिका में एक रिसर्च की थी, इस रिसर्च के अनुसार, अमेरिका में लड़कियों को उनका पहला पीरियड 1950 और 60 के दशक की तुलना में औसतन लगभग 6 महीने पहले आ रहा है। इस रिसर्च के अनुसार, बच्चियों में अब 9 साल की उम्र में भी पीरियड्स शुरू होने लगे हैं। यहां तक की यह रिसर्च 71,000 से ज्यादा महिलाओं पर करी गई थी। महिलाओं द्वारा साझा किए हुए डाटा से पाया गया कि 1950 से 1969 के बीच पीरियड 12.5 साल की उम्र से शुरू होने लगे थे, वहीं 2000 से 2005 में पीरियड्स 11-12 साल की उम्र में आने लगे थे। भारत में औसतन पीरियड (Periods) 12 साल में शुरू होता है। लेकिन एक अध्ययन के अनुसार 10 से 15% लड़कियों में पीरियड 7 साल से पहले ही आ जाता है जिसे प्रीकोशियस प्यूबर्टी कहते हैं।
जानिए क्यों आते हैं अर्ली एज मे पीरियड्स?
आजकल अर्ली ऐज पीरियड की समस्या काफी ज्यादा बच्चियों में देखने को मिल रही है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन नेशनल हेल्थ एंड न्यूट्रिशन एग्जामिनेशन द्वारा किये गए सर्वे के अनुसार पहली बार पीरियड आने का सही उम्र 12 साल और इससे अधिक को माना गया है। हालांकि, 8 9 साल की उम्र में भी अगर पीरियड्स आते हैं तो वह कोई बड़ी समस्या नहीं है। अब इसके कारण क्या हो सकते हैं?
- बाहर का खाना या फास्ट फूड ज्यादा खाना।
- मोबाइल और कंप्यूटर का अधिक इस्तेमाल होना।
- एक्सरसाइज ना करना
- शरीर में मोटापा बढ़ना
- ज्यादा प्लास्टिक का इस्तेमाल करना
- केमिकल युक्त प्रोडक्ट्स भी है इसका कारण
- स्ट्रेसफुल वातावरण भी होता है अर्ली ऐज पीरियड का कारण
- जेनेटिक रीजन
इन हालातो में एक मां को क्या करना चाहिए?
यह तो स्पष्ट हो गया है कि समय बदल रहा है। अब वक्त के साथ हमें भी बदलना होगा। जहां मासिक धर्म की बात एक मां अपनी बेटी से लगभग 15 साल की उम्र में किया करती थी, अब उसे 8 साल या 7 साल की उम्र में करना पड़ेगा। यही एक सही तरीका होगा ताकि जब आपकी बच्ची के पहले पीरियड्स की शुरुआत हो तब उसे किसी भी तरीके की कोई मानसिक मुसीबत का सामना नहीं करना पड़े। हां ऐसा करना मुश्किल जरूर है पर नामुमकिन नहीं।
जरा सोचिए आपकी बच्ची स्कूल में है और तब उसे पहले पीरियड की शुरुआत हो तब उसे कितनी सारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। हालांकि अगर उसे इस बारे में पहले से सही जानकारी मिल जाए तो उसके लिए कितनी आसानी होगी। यह जितना मुश्किल एक मां के लिए है उतना ही उस बच्ची के लिए भी जो बिना कुछ सोचे समझे अपने शरीर की परेशानियों से गुजर रही है। पीरियड्स की शुरुआती में ही समझना होगा कि पीरियड्स एक तरीके की बीमारी नहीं है। आजकल के समय में भी लोग मासिक धर्म के बारे में बात करने से कतराते हैं और जब एक लड़की को इसकी पहली शुरुआत होती है तब उसे तरह-तरह के सवाल पूछे जाते है। अगर आपकी बच्ची में भी अर्ली एज पीरियड के लक्षण है या उसकी शुरुआत हो चुकी है तो अपनी बच्ची से बात करनी शुरू करें और सही गलत के बारे में जानकारी दें।
आपको उसे समझाना चाहिए कि 3 से 7 दिनों के दौरान योनि से धीरे-धीरे कुछ रक्त-द्रव बाहर निकलेगा, और उसे इसे इकट्ठा करने के लिए पैड, टैम्पोन या दोबारा इस्तेमाल किए जाने वाले मासिक धर्म उत्पादों का उपयोग करना होगा , ताकि यह उसके कपड़ों पर न लगे।
घुमा फिरा कर बात ना करें बिल्कुल स्पष्ट और सीधे तौर पर पीरियड के बारे में जानकारी दें। एक मन नहीं बल्कि दोस्त बनाकर उसका साथ दें। ऐसे में पीरियड कीट देना भी समझदारी का काम कहलाएगा। आखिर में, पीरियड्स में होने वाले तनाव को नजरअंदाज ना करें। बेटी को इस तनाव से निपटने के तरीके बताएं, उसे आराम करना दे और किसी काम के लिए जबरदस्ती ना करें। सबसे जरूरी है कि पीरियड्स के दर्द या स्ट्रेस को लेकर उसकी बाकी लड़कियों से तुलना ना करें। सभी के लिए यह अनुभव अलग-अलग साबित होता है।
मासिक धर्म के दौरान क्या करें?
मासिक धर्म के दौरान रक्त को रोकने के लिए कई उत्पाद उपलब्ध हैं, जिनमें मासिक धर्म कप, टैम्पोन, कपड़ा और डिस्पोजेबल पैड शामिल हैं। अपनी बेटी के साथ मिलकर यह पता लगाना महत्वपूर्ण है कि उसके लिए सबसे अच्छा क्या है। इस दौरान एक महिला को अपनी हाइजीन का सबसे ज्यादा ख्याल रखना पड़ता है। पैड का इस्तेमाल शुरुआती पीरियड्स में सबसे लाभदायक माना जाता है क्योंकि उसे पहना आसान होता है। पैड को कम से कम हर 6 घंटे में बदलें। इस्तेमाल किए गए पैड को किसी पेपर में लपेटकर फेके और अगर कोई कपड़ा भी गंदा हो चुका है तो उसे भी तुरंत बदले।
मासिक धर्म में दर्द का सामना करना पड़ता है। कई बार लड़कियों को जरूर से ज्यादा या अधिक दर्द महसूस होता है। ऐसे वक्त में गर्म पानी के साथ नहा लेना या गर्म पानी की बोतल से अपने पेट का सेक करना, सही साबित हो सकता है और दर्द से राहत दे सकता है। महिलाओं को इस समय में मीठे खाने का भी बहुत शौक होता है क्योंकि यह उन्हें दर्द से आराम देता है। ज्यादा से ज्यादा सोना और आराम करना शरीर के लिए भी फायदेमंद साबित होता है। पीरियड्स के दौरान बहुत सारा पानी पिए और हेल्दी खाना खाए।
कुछ सवाल और उनके जवाब
मासिक धर्म की शुरुआत कब होती है?
9 से 15 साल के बीच मासिक धर्म की शुरुआत होती है। इसकी औसत आयु लगभग 12.5 वर्ष है।
पीरियड्स जल्दी उम्र में शुरू होना है कोई बुरी बात?
ऐसा कुछ नहीं है कि पीरियड्स आने की कोई सही उम्र होती है। आज के समय में खानपान के तरीके बदलने के कारण 8 9 साल के बच्चे को भी पीरियड शुरू हो जाते हैं और कई बार एक लड़की 15 साल की हो जाती है तब भी उसके मासिक धर्म शुरू नहीं होते।
मासिक धर्म चक्र कितने दिनों का होता है?
हर 21 से 40 दिन के बीच होने वाला नियमित मासिक चक्र सामान्य है। मासिक धर्म चक्र का औसत 28 दिन है। पीरियड्स लगभग 5 से 6 दिन के होते हैं। कई महिलाओं को 3 दिन के लिए भी पीरियड्स आते हैं पर एक हेल्थी पीरियड्स 5 से 6 दिन के माने जाते हैं। यदि एक महिला को सात आठ दिन के लिए पीरियड्स होते हैं या दो दिन के लिए पीरियड्स होते हैं ऐसे समय में उसे डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
मासिक धर्म में कितनी ब्लीडिंग होती है?
हर एक शरीर अलग तरीके का होता है। अलग-अलग महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान ब्लीडिंग की मात्रा अलग होती है। ज्यादातर लड़कियों को पहले और दूसरे दिन सबसे ज्यादा ब्लीडिंग होती है और धीरे-धीरे ब्लीडिंग होना कम हो जाती है। यदि दो घंटे से पहले ही टैम्पोन या पैड बदलने की आवश्यकता पड़ती है या एक सिक्के या उससे बड़े आकार के खून के थक्के निकलते हैं तो इसे ज्यादा ब्लीडिंग माना जाता है और ऐसे में स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए।
कई स्वच्छता उत्पादों में से किसे चुने
पहले पीरियड्स के दौरान महिलाओं को सबसे बड़ी समस्या होती है की कौन से स्वच्छता उत्पादों में से किसी एक को चुनें।
- सेनेटरी नैपकिन– भारत में सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले उत्पाद हैं, जिसे सैनिटरी पैड या सिर्फ पैड नाम से भी पुकारा जाता है। इसका काम है पीरियड के समय खून को सोखना। 5 से 6 घंटे में इसे बदलना पड़ता है। यह कई आकार में आता है जैसे कि बड़ा छोटा। एक महिला अपने शरीर के हिसाब से और ब्लडिंग के हिसाब से इसे खरीद सकती है।
- टैम्पोन– ज्यादा महिलाएं भारत में इसका इस्तेमाल अभी भी नहीं करती है पर भारी देशों में कई महिलाएं इसका उपयोग करती है। महिलाओं को कहना है कि इसके इस्तेमाल के लिए आदत डालनी पड़ती है। इसे धीरे से योनि के अंदर धकेला जाता है। इसके निचले हिस्से से एक धागा जुड़ा होता है जो योनि से बाहर निकला रहता है और उसे धीरे-धीरे खींचकर टैम्पोन को आसानी से बाहर निकाला जाता है।
- मेंसट्रुअल कप– यह सिलिकॉन या रबड़ से बना एक छोटे कप के आकार का उत्पाद है। साफ हाथों से, इसे आधे में मोड़ा जाता है और टैम्पोन के समान ही योनि के अंदर धकेल दिया जाता है। अंदर जाने के बाद कब को धीरे से घुमाया जाता है ताकि यह अंदर जाकर खुल जाए। आपको बता दे कि यदि इसे गिला कर लिया तो योनि के अंदर धकेल आसान हो जाता है। पीरियड्स के दौरान आने से 12 घंटे तक पहना जाता है। स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करने के बाद सही आकार के मेंसट्रुअल कप का उपयोग किया जाना चाहिए, जो आपको फिट हो जाए।
पीरियड्स के तनाव में आकर बच्ची ने किया सुसाइड
बढ़ती उम्र में कई सारे बदलाव देखे हुए एक बच्ची घबरा जाती है। मासिक धर्म की जानकारी होना बहुत जरूरी है। पीरियड्स को लेकर जानकारी और जागरूकता की कमी ना सिर्फ बच्ची को परेशान करती है लेकिन उसके लिए कितनी खतरनाक साबित हो सकती है आप इसी बात से जान सकते हैं की कुछ समय पहले में मुंबई में 14 साल की लड़की ने पहली बार हुए पीरियड्स के तनाव मैं आकर और दर्द के चलते आत्महत्या कर ली। पुलिस के अनुसार, उसे पीरिड्स को लेकर कुछ खासा जानकारी नहीं थी इसीलिए वह तनाव में थी और उसने यह कदम उठाया।
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