चंडीगढ़ मेयर चुनाव पर सुनवाई टली, 20 जनवरी को होगी अगली सुनवाई
बैलेट पेपर के बजाय हाथ उठाकर वोटिंग की मांग पर कोर्ट ने मांगा जवाब
चंडीगढ़ में 24 जनवरी को प्रस्तावित मेयर चुनाव को लेकर राजनीतिक और कानूनी उठापटक जारी है। मौजूदा मेयर कुलदीप कुमार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस चुनाव को स्थगित करने और मतदान प्रक्रिया को लेकर बदलाव की मांग की है। शुक्रवार को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए सभी पक्षों की दलीलें सुनीं और अगली सुनवाई 20 जनवरी को तय की है। कोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन से यह स्पष्ट करने को कहा है कि चुनाव स्थगित करना संभव है या नहीं।
मेयर की प्रमुख मांगें
मेयर कुलदीप कुमार का तर्क है कि उनका कार्यकाल 24 जनवरी तक समाप्त नहीं होता, ऐसे में चुनाव की तारीख जल्दबाजी में तय की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछली बार की तरह विवाद और मतभेद से बचने के लिए बैलेट पेपर की बजाय “हाथ उठाकर” मतदान प्रक्रिया अपनाई जाए। इससे पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित होगी।
कुलदीप कुमार ने पहले ही डिप्टी कमिश्नर से 19 फरवरी के बाद चुनाव कराने का अनुरोध किया था। इसके साथ ही, उन्होंने चुनाव की तारीख बदलने और प्रक्रिया पर पुनर्विचार के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
मेयर चुनाव में पार्षदों का गणित
चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 सीटें हैं, जिनमें 35 पार्षद और 1 सांसद मतदान प्रक्रिया में भाग लेंगे। चुनावी समीकरणों की बात करें तो:
- भाजपा के पास 15 पार्षद हैं, जो चुनाव में मजबूत स्थिति में हैं।
- आम आदमी पार्टी के पास 13 पार्षद हैं, जो दूसरे नंबर पर हैं।
- कांग्रेस के पास 7 पार्षद हैं, जिनकी भूमिका निर्णायक मानी जा रही है।
- इसके अलावा, चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी का एक वोट भी महत्वपूर्ण है, जो परंपरागत रूप से कांग्रेस के पक्ष में ही जाएगा।
इस प्रकार, भाजपा के पास 15 वोट की संभावित बढ़त है। वहीं, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मिलकर समीकरण बनाने की कोशिश कर सकते हैं।
क्या कहता है राजनीतिक परिदृश्य?
चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर चुनाव में राजनीतिक पार्टियों के बीच शक्ति प्रदर्शन का दौर शुरू हो चुका है। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस, भाजपा के मुकाबले अलग रणनीति तैयार कर रही हैं। आम आदमी पार्टी ने बैलेट पेपर की जगह खुले मतदान की मांग का समर्थन किया है, जिससे पारदर्शिता बनी रहे।
कांग्रेस इस बार निर्णायक भूमिका में है, लेकिन पार्टी ने अभी तक अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। कांग्रेस के सात पार्षदों के अलावा सांसद का वोट भी पार्टी के पक्ष में जाने की संभावना है।
चुनाव प्रक्रिया पर टिकी निगाहें
पिछली बार मेयर चुनाव में हुई गड़बड़ियों और विवादों के बाद, इस बार अदालत ने मामले को गंभीरता से लिया है। हाईकोर्ट ने प्रशासन को निर्देश दिया है कि वे अगली सुनवाई में यह स्पष्ट करें कि चुनाव स्थगित करना संभव है या नहीं।
राजनीतिक महत्व और परिणाम
इस चुनाव का परिणाम न केवल चंडीगढ़ की नगर निगम की राजनीति बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी संदेश देगा। मेयर चुनाव के समीकरण और राजनीतिक खेल को देखते हुए सभी की निगाहें 20 जनवरी को होने वाली अगली सुनवाई पर हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि हाईकोर्ट प्रशासन और राजनीतिक दलों को लेकर क्या रुख अपनाता है।
चंडीगढ़ में यह चुनाव महज एक स्थानीय प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि राजनीतिक दलों के लिए अपनी ताकत और संगठनात्मक क्षमता दिखाने का अवसर भी है।
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