अब यही मेरी दुनिया है” : एक स्त्री की चुपचाप क्रांति
कुछ औरतें मायके के बिना जीना सीख जाती हैं — न माँ की गोद, न भाई का कंधा, फिर भी हर रिश्ता निभाती हैं। दुख पी जाती हैं, आँसू अपने आँचल से पोंछ लेती हैं। कोई नहीं कहता “बेटी थक गई होगी”, पर वह खुद को समझा लेती है कि यही अब उसकी दुनिया है। […]