खरी-अखरी: पहले सत्ता के तराजू में तौले जाते हैं रेप – मर्डर फिर नफा-नुकसान देखकर उठाई जाती है आवाज
लगभग बारह साल बाद एकबार फिर रेप और मर्डर को लेकर देश गुस्से में है मगर इस बीच ना जाने कितने रेप और मर्डर होने की खबरें दफन कर दी गईं। समय के साथ बदलते राजनीतिक परिवेश में बलात्कार और हत्या भी सियासी रंग ले चुकी है। (16 दिसम्बर 2012 की रात में हुआ था […]