सात शव और एक सवाल : हम सब कब जागेंगे? मरे सात हैं पर दोषी हम सब हैं !
“मौन अपराध है: पंचकूला की त्रासदी से सीख”“हर आत्महत्या एक पुकार है, क्या हम सुन रहे हैं?”“जब रिश्ते रह गए सिर्फ़ त्योहारों तक”“आर्थिक तंगी से नहीं, सामाजिक बेरुख़ी से मरे वो लोग” सिर्फ़ खबर नहीं थी वो, एक सामूहिक अपराध का दस्तावेज़ थी “आखिरकार छोड़कर तो सब कुछ यहीं जाना है। ऐसे में यदि किसी […]