खरी-अखरी : डराने लगा है अब अपना ही साया
उस सरफिरे को यूॅं नहीं बहला सकेंगे आप, वो आदमी नया है मगर सावधान है। वो आदमी नहीं है मुकम्मल बयान है, माथे पे उसके चोट का गहरा निशान है। सामान कुछ नहीं है फटे हाल है मगर, झोले में उसके पास कोई संविधान है। दुष्यंत कुमार की गजल की ये चंद पंक्तियाँ आज के […]