नारी दिवस पर समाजसेवी आर पी मल्होत्रा की सुंदर कविता
मैं नारी हूँँन समझो सोंदर्य की मूर्तन अबला न आभारी हूँएम्पावरमेंट की हद से परेअनंत सामर्थ्य से भरपूरलाचार नहीं मैं नारी हूँँ। नहीं कोई अलंकारजो परिभाषित कर सके मुझकोन मर्दानी न नारायणीनारी तो स्वयं सम्पूर्ण हैअरे क्या धरतीक्या बृह्मंडशक्ति के बिनात्रिदेव भी अपूर्ण है। कैसा नारी सशक्तिकरण?क्यों लेडीज फस्ट का फरमान?क्यों हमदर्दी का अहसाननहीं शोकेश […]